15 November 2021 05:35 PM
भीलवाड़ा , 15 नवम्बर। आचार्य महाश्रमण जी के दर्शनार्थ अशोक गहलोत तय समय 2. 45 बजे की जगह 3. 50 बजे तेरापंथ नगर में हेलीकॉप्टर से पहुंचे। आचार्य महाश्रमण जी के दर्शनार्थ प्रवास स्थल पहुंचे। आचार्य श्री का आहार का समय हो चूका था फिर भी आचार्यश्री कुछ मिन्टों के लिए अशोक गहलोत से वार्ता भी की। इसके बाद अशोक गहलोत साध्वी प्रमुखा कनकप्रभा दर्शनार्थ उनके प्रवास स्थल पहुंचे। उनके साथ सी . पी. जोशी , गोविन्द टोड़ासराय , अजय चोपड़ा व भीलवाड़ा कांग्रेस के स्थानीय नेता व प्रशासनिक अधिकारी थे।
महाश्रमण जी सायं 4 बजे से मौन लेते हैं अतः मंचीय कार्यक्रम में मुनिश्री कुमार श्रमण जी को अपने प्रतिनिधि के रूप में भेजा। मुनिश्री कुमार श्रमण जी ने कहा कि अशोक गहलोत गांधीवादी नेता है और आज अहिंसा यात्रा में शामिल होकर नैतिकता , सद्भावना व नशामुक्ति के उद्देश्यों का भी समर्थन किया है। अशोक गहलोत ने भी अपने संक्षिप्त उद्बोधन में कहा की यहाँ आने से देश भर के तेरापंथ समाज के श्रावकों से रुबरु होने का अवसर मिल गया। उन्होंने कहा कि शान्ति व अहिंसा पर कार्य करने के लिए हमारी सरकार ने अलग से निदेशालय बनाया है यह कार्य करने वाला राजस्थान हिन्दुस्तान में अकेला प्रदेश है।
मंचीय कार्यक्रम से पहले वस्त्रनगरी भीलवाड़ा के आदित्य विहार में ऐतिहासिक चतुर्मास कर रहे जैन श्वेताम्बर तेरापंथ धर्मसंघ के एकादशमाधिशास्ता, अहिंसा यात्रा प्रणेता, शान्तिदूत आचार्यश्री महाश्रमणजी की मंगल सन्निधि में सोमवार को सायं करीब 3.50 बजे प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री अशोक गहलोत, विधानसभा अध्यक्ष श्री सीपी जोशी तथा अन्य कई गणमान्य जनप्रतिनिधि पहुंचे। प्रदेश के मुखिया के साथ गणमान्य नेताओं ने आचार्यश्री के दर्शन कर मंगल आशीर्वाद प्राप्त किया। आशीर्वाद प्राप्त करने के उपरान्त आचार्यश्री से मुख्यमंत्रीजी के संक्षिप्त वार्तालाप का क्रम रहा। जिसमें आचार्यश्री ने उन्हें अहिंसा यात्रा के समापन कार्यक्रम, चतुर्मास पश्चात जयपुर आगमन की जानकारी के साथ अहिंसा यात्रा के संकल्पों को बताया। मुख्यमंत्री महोदय ने आचार्यश्री के जनवरी माह में जयपुर आगमन पर तथा अहिंसा यात्रा समापन कार्यक्रम में उपस्थित होने की अपनी भावना व्यक्त की। प्रवास व्यवस्था समिति के पदाधिकारियों ने स्मृति चिन्ह भेंट कर सभी राजनेतओं अभिनन्दन किया।
इसके पूर्व प्रातःकाल नित्य के मुख्य प्रवचन कार्यक्रम में ‘महाश्रमण समवसरण’ से साध्वीवर्या साध्वी सम्बुद्धयशाजी ने श्रद्धालुओं को अभिप्रेरित किया। तदुपरान्त महातपस्वी आचार्यश्री महाश्रमणजी ने पावन पाथेय प्रदान करते हुए कहा कि आदमी के जीवन में सत्संगत का बड़ा महत्त्व है। अब भीलवाड़ा चतुर्मास परिसम्पन्नता की ओर है। चतुर्मास सत्संगति का अच्छा काल होता है। सत्संगत से अवबोध प्राप्त हो सकता है। आचार्यश्री ने कुमारश्रमण केशी और राजा प्रदेशी का सोदाहरण देते हुए कहा कि साधु में समझाने की क्षमता हो और समझने वाले में भी क्षमता हो तो जीवन की दशा-दिशा भी बदल सकती है। अगर कुमारश्रमण केशी में समझाने की कला थी तो राजा प्रदेशी में उसे समझने की क्षमता भी थी, इसलिए कल्याण की बात हो गई। मंगल संबोध से किसी को दृढ़धर्मी बना देना, किसी को सत्पथ पर ला देना विशेष बात होती है। इस प्रकार आदमी सत्संगत से प्रेरणा प्राप्त कर अपने जीवन को सुखी बना सकता है।
मंगल प्रवचन के पश्चात भीलवाड़ावासियों के मंगलभावना के प्रस्तुति का क्रम आरम्भ हुआ। इसमें मीडिया समिति के संयोजक श्री निर्मल सुतरिया, यातायात व्यवस्था के श्री योगेश चण्डालिया, प्रचार-प्रसार व्यवस्था के श्री सुमित नाहर, होटल व्यवस्था के श्री प्रदीप आंचलिया, श्रीमती प्रमिला गोखरू, पण्डाल व्यवस्था के राजेन्द्र सामसुखा, श्री सुनील तलेसरा, श्रीमती विजया सुराणा, सुरक्षा व्यवस्था के श्री सुरेश चोरड़िया, श्री महावीर लोढ़ा ने अपने हृदयोद्गार व्यक्त किए। श्रीमती वनिता भनावत व ज्ञानशाला की प्रशिक्षिकाओं ने गीत के माध्यम से अपनी भावाभिव्यक्ति दी।
झलकियां
1 दोपहर 2 बजे से श्रोता इन्तजार कर रहे थे पर जब महाश्रमण जी मंच पर नहीं आये तो कहा खोदा पहाड़ निकला चूहा। महाश्रमण स्टेज पर नहीं आने लोग अपने अपने ढंग से कयास रहे थे।
2 मुख्यमंत्री की सुरक्षा व्यवस्था के चलते आवागमन के सभी रास्ते सील कर दिए गए जिसके चलते बहुत दुविधा का सामना पड़ा। कई चारित्रात्माओं को सायं की गोचरी करने हेतु रास्ता भी नहीं मिला।
3 छापर प्रकरण के बारे में इशारों में मुख्यमंत्री ने कहा कि मुझे छापर में भी दर्शन करने का सौभाग्य प्राप्त होगा।
4 मुख्यमंत्री को अपनी समस्याओं को लेकर कुछ महिला नेत्रियां ज्ञापन देना चाहती थी परन्तु पुलिस व प्रशासन के लोगों ने उनको यह कहकर वहां से भगा दिया की कि यह धार्मिक कार्यक्रम है।
5 प्रवास व्यवस्था समिति के ट्रस्टियों व पदाधिकारियों की मुख्यमंत्री के साथ फोटो खिंचवाने की इच्छा पूरी नहीं हो सकीय क्यूंकि अशोक गहलोत अपना व्यक्तवय समाप्त करते ही रवाना हो गए सामान भी चलते चलते ग्रहण किया।
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