01 December 2020 09:59 PM
दिल्ली ,1 दिसम्बर। केंद्र सरकार के तीन कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों का पिछले कई दिनों से हल्ला-बोल जारी है। बड़ी संख्या में किसान हरियाणा-दिल्ली बॉर्डर पर विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं और कृषि कानूनों को वापस लेने या फिर उसमें एमएसपी समेत कई प्रावधानों को जोड़ने की मांग कर रहे हैं। इस बीच, बीजेपी लीडरशिप किसानों के आंदोलन को जल्द हल करना चाहती है। पार्टी को आशंका है कि यदि ऐसा नहीं होता है तो फिर पार्टी के पंजाब में एक्सपेंशन प्लान को झटका लग सकता है। इसके साथ ही, केंद्र सरकार की 'प्रो-फार्मर इमेज' भी खराब हो सकती है।
बीजेपी से जुड़े लोगों का मानना है कि किसानों और सरकार के बीच जारी गतिरोध जल्द खत्म होगा। मंगलवार को किसान संगठनों के साथ सरकार की बातचीत हुई, लेकिन कोई हल नहीं निकल सका। तीन दिसंबर को फिर से एक बार सरकार और किसान संगठन बात करेंगे। बीजेपी के वरिष्ठ नेता ने नाम न प्रकाशित करने की शर्त पर बताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सोमवार को दिए गए बयान से साफ है कि सरकार किसानों की चिंताओं को दूर करने के लिए तैयार है, लेकिन कानून वापस नहीं होंगे। उन्होंने आगे कहा, ''किसानों की वास्तविक शिकायतों का समाधान किया जाएगा। उन्हें कुछ पहलुओं पर चिंता है जैसे कि क्या सरकार एमएसपी (न्यूनतम समर्थन मूल्य) देना जारी रखेगी। हम उन चिंताओं का जवाब देने के लिए तैयार हैं। कानूनों को वापस लेने की मांग अफवाहों पर आधारित है।''
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, राजनाथ सिंह और पीयूष गोयल ने मंगलवार दोपहर को बीजेपी चीफ जेपी नड्डा के आवास पर किसान आंदोलन को लेकर बातचीत की। वहीं, इसके अलावा, पार्टी ने वरिष्ठ नेताओं को किसानों के साथ बातचीत के लिए आगे भेजा है। एक अन्य पदाधिकारी ने कहा, ''मंत्री, सांसदों से लेकर ब्लॉक स्तर तक के पदाधिकारियों तक, हर कोई सरकार के दूत के रूप में काम करेगा और किसानों की गलत धारणा को स्पष्ट करेगा।''
किसान-समर्थक छवि
यह सुनिश्चित करने के लिए कि बीजेपी की किसान-समर्थक छवि धूमिल नहीं हुई है, पार्टी किसानों के लिए किए गए उपायों को आगे बढ़ा रही है। पार्टी के दूसरे पदाधिकारी ने बताया, ''यह बीजेपी सरकार ही थी, जिसने सॉइल हेल्थ कार्ड्स, सूक्ष्म सिंचाई की सुविधा, हर क्षेत्र में सिंचाई, स्वामीनाथन रिपोर्ट का 95% लागू करने जैसी योजनाओं को लागू किया था। इसके अलावा, किसानों को किसान सम्मान निधि से नकद लाभ मिल रहा है। लेकिन विपक्ष ने डर पैदा कर दिया है कि सरकार एमएसपी हटा देगी।''
पंजाब में ढूंढ रही संभावनाएं
बीजेपी जिन बातों को लेकर चिंतित है, उसमें पंजाब में उसकी राजनीति भी शामिल है। शिरोमणि अकाली दल के नाता तोड़ने के बाद और विपक्ष के विरोध के बीच बीजेपी पंजाब में अपने पैर पसारने की कोशिश कर रही है। बीजेपी के एक तीसरे नेता ने कहा, ''एक वोटबैंक है, जो न तो अकाली का है और न ही कांग्रेस का समर्थन करता है; ये गैर पंथक मतदाता जो पार्टी को समर्थन दे सकते हैं।'' बीजेपी ने पंजाब के 2022 के विधानसभा चुनावों के लिए अभी से तैयारी शुरू कर दी है कि वह अपने दम पर चुनाव लड़े।
सरकार और किसानों के बीच नहीं बनी सहमति, 3 दिसंबर को फिर होगी बातचीत, जारी रहेगा प्रदर्शन
केंद्र सरकार के नए कृषि कानूनों के विरोध में दिल्ली में जमे किसानों और सरकार के तीन मंत्रियों के बीच करीब साढ़े तीन घंटे तक बातचीत का कोई नतीजा नहीं निकल पाया। मंगलवार को विज्ञानभवन में कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर सहित तीन मंत्रियों और किसान संगठनों के 30 से अधिक प्रतिनिधियों में मंथन के बाद केवल इतना तय हो पया है कि 3 दिसंबर को दोनों पक्षों में फिर बातचीत होगी। किसान नेताओं ने यह भी साफ कर दिया है कि धरना प्रदर्शन जारी रहेगा। सरकार ने किसानों द्वारा उठाए गए मुद्दों पर गौर करने के लिए एक समिति गठित करने की पेशकश की है।
सूत्रों ने कहा कि किसान प्रतिनिधियों के साथ सरकार की तरफ से रखे गए इस प्रस्ताव का जवाब किसान संगठनों के प्रतिनिधियों की ओर से नहीं आया है। लेकिन वे सभी किसान प्रतिनिधि नए तीनों कृषि कानूनों को निरस्त किए जाने की मांग को लेकर एकमत हैं। किसान प्रतिनिधियों की राय में ये कानून कृषक समुदाय के हित के खिलाफ हैं।
किसान संगठनों के साथ बैठक के बाद कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि बैठक अच्छी रही और हमने फैसला लिया है कि फिर से 3 दिसंबर को बातचीत होगी। उन्होंने कहा, ''हम चाहते थे कि एक छोटा सा समूह बनाया जाए, लेकिन किसान नेता चाहते हैं कि सभी से बातचीत हो। हमें इससे कोई समस्या नहीं है।'' बीकेयू (एकता उगराहां) अध्यक्ष जोगिंद्र सिंह उगराहां ने कहा कि सरकार की प्रदर्शनकारी किसान संगठनों के साथ बातचीत बेनतीजा रही है।
केंद्रीय मंत्रियों और 30 से अधिक किसान संगठनों के प्रतिनिधियों के बीच बैठक के बीच सरकार ने विश्वास जताया कि वह आंदोलनकारी किसानों द्वारा उठाये गये मुद्दों पर विचार-विमर्श करने के बाद किसी समाधान पर पहुंचेगी। विज्ञान भवन में बैठक के लिए केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर के साथ रेल और वाणिज्य व उद्योग मंत्री पीयूष गोयल और वाणिज्य राज्यमंत्री सोम प्रकाश, जो पंजाब के एक सांसद भी हैं, भी मौजूद थे।
बैठक से कुछ घंटे पहले केंद्रीय मंत्री राजनाथ सिंह, अमित शाह, नरेन्द्र सिंह तोमर और पीयूष गोयल और भाजपा अध्यक्ष जे पी नड्डा ने केंद्र के नए कृषि सुधार कानूनों के खिलाफ किसानों के विरोध प्रदर्शन पर लंबी चर्चा की। शुक्रवार को हुई हिंसा की घटना के बाद किसी भी अप्रिय घटना की सूचना नहीं है और अधिकतम पंजाब और हरियाणा के किसानों द्वारा सिंघू और टिकरी सीमाओं पर शांतिपूर्ण धरना जारी रहा। सोमवार को गाजीपुर की सीमा पर प्रदर्शनकारियों का हुजूम जुट गया था।
विपक्षी दलों ने भी अपना दबाव बढ़ा दिया है और केंद्र सरकार से किसानों के ''लोकतांत्रिक संघर्ष का सम्मान करने और नये कृषि कानूनों को रद्द करने के लिए कहा है।'' किसानों ने आशंका व्यक्त की है कि केन्द्र सरकार के कृषि कानूनों की वजह से न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) व्यवस्था ध्वस्त हो जायेगी जिससे किसान बड़े निगमित घरानों (कॉरपोरेट्स) की 'दया के मोहताज' हो जाएंगे। सरकार निरंतर यह कह रही है कि नए कानून किसानों को बेहतर अवसर प्रदान करेंगे और कृषि में नई प्रौद्योगिकियों का समावेश बढ़ेगा।
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