18 May 2023 01:41 PM
नयी दिल्ली , 18 मई। अनेक चर्चाओं व समीकरणों के बाद आखिर कर्नाटका सरकार गठन का निर्णय ले लिया गया है। पिछले कई दिनों की उठापटक के बाद कर्नाटक (Karnataka) के अगले मुख्यमंत्री का ऐलान हो गया है. सिद्धारमैया (Siddaramaiah) कर्नाटक के अगले मुख्यमंत्री होंगे. वहीं डीके शिवकुमार (DK Shivakumar) डिप्टी सीएम होंगे. 20 मई को बेंगलुरु में शपथ ग्रहण समारोह आयोजित होगा.
कांग्रेस महासचिव केसी वेणुगोपाल ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि सभी से चर्चा करने के बाद कांग्रेस पार्टी ने ये फैसला लिया है कि सिद्धारमैया जी को कर्नाटक का मुख्यमंत्री बनाया जाएगा. डीके शिवकुमार कर्नाटक के एकलौते उपमुख्यमंत्री होंगे.
ऐलान के बाद क्या बोले सिद्धारमैया
मुख्यमंत्री के रूप में ऐलान के बाद सिद्धारमैया ने ट्वीट किया, "कर्नाटक की जनता के लिए हमारे हाथ हमेशा एकजुट रहेंगे. कांग्रेस पार्टी एक परिवार के रूप में एक जनोन्मुख, पारदर्शी, भ्रष्टाचार मुक्त शासन देने और हमारी सभी गारंटियों को पूरा करने के लिए काम करे।
वहीं डीप्टी सीएम बनने जा रहे डीके शिवकुमार ने ट्वीट किया, "कर्नाटक का सुरक्षित भविष्य और हमारे लोगों का कल्याण हमारी सर्वोच्च प्राथमिकता है, और हम इसकी गारंटी देने के लिए एकजुट हैं."
इससे पहले कांग्रेस नेता सिद्धारमैया और डीके शिवकुमार ने पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे से मुलाकात की. इसके बाद मल्लिकार्जुन खड़गे ने ट्वीट करते हुए लिखा कि, "टीम कांग्रेस कर्नाटक के लोगों की प्रगति, कल्याण और सामाजिक न्याय के लिए प्रतिबद्ध है. हम 6.5 करोड़ लोगों से वादा किए गए 5 गारंटी को लागू करेंगे."
कांग्रेस को मिली हैं 135 सीटें
कर्नाटक विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने बड़ी जीत दर्ज की है. प्रदेश की 224 विधानसभा सीटों में से कांग्रेस ने 135 सीटों पर जीत हासिल की है. वहीं बीजेपी 66 सीटों और जेडीएस 19 सीटों पर सिमट गई. राज्य में 13 मई (शनिवार) को नतीजे आए थे. कर्नाटक में कांग्रेस की भारी जीत के रणनीतिकार डीके शिवकुमार रहे, लेकिन मुख्यमंत्री के रूप में पार्टी ने सिद्धारमैया के नाम पर मुहर लगाई. इसकी क्या वजह रही.
राजनीतिक विश्लेषक डी. उमापति ने कहा, ''सिद्धारमैया जनता के बीच काफ़ी लोकप्रिय हैं. वह लालू प्रसाद यादव की तरह देहाती छवि वाले नेता हैं. वैसे तो दोनों नेताओं की तुलना नहीं की जा सकती. लेकिन सिद्धारमैया और लालू दोनों ही गंवई लोगों की ज़ुबान बोलते हैं. सिद्धारमैया के बारे में लोगों को पता है कि वो हमेशा ही समाज के ग़रीब तबके की भलाई के बारे में सोचते हैं और सरकार चलाने का उनका हुनर भी ग़ज़ब का है.''
लोकनीति नेटवर्क के राष्ट्रीय संयोजक और राजनीतिक विश्लेषक प्रोफ़ेसर संदीप शास्त्री ने मीडिया से कहा, ''जनता के बीच सिद्धारमैया की छवि लोगों को समझा-बुझाकर अपने साथ लाने का हुनर रखने वाले की है. वहीं, शिवकुमार की ख़ास बात संगठन बनाने में उनकी कुशलता और पार्टी के प्रति वफ़ादारी है. वो पार्टी के लिए पैसे जुटाने में भी काफ़ी मददगार हो सकते हैं.'' लेकिन, जो सबसे अहम बात सिद्धारमैया के हक़ में गई, वो ये है कि उनके पास एक बड़ा वोट बैंक है. वो न सिर्फ़, कर्नाटक की आबादी में आठ फ़ीसद हिस्सेदारी वाली अपनी जाति कुरुबा के सर्वमान्य नेता हैं बल्कि, हाल ही में एक कांग्रेस नेता ने मीडिया को बताया था कि, ''सिद्धारमैया मुस्लिम मतदाताओं के बीच भी काफ़ी लोकप्रिय हैं. उनकी धर्मनिरपेक्ष छवि मध्यम वर्ग के बीच काफ़ी पसंद की जाती है, भले ही वो किसी भी मज़हब से ताल्लुक़ रखते हों.''
लोकप्रियता में आगे
वैसे तो सिद्धारमैया, कर्नाटक के मैसुरू इलाक़े के रहने वाले हैं. लेकिन, वो पूरे राज्य में एक बड़े तबके के बीच पसंद किए जाते हैं. अहिंदा (अल्पसंख्यक, अन्य पिछड़ा वर्ग और दलित) मतदाताओं का जो समूह उन्होंने एचडी देवेगौड़ा के जनता दल सेक्युलर से अलग होने से पहले, 2006 में खड़ा किया था, वो 2013 की तुलना में इस बार ज़्यादा असरदार साबित हुआ है. बीजेपी सरकार ने जब आरक्षण नीति में विवादित बदलाव किया, तो उससे न केवल अन्य पिछड़ा वर्ग के मतदाताओं का एक बड़ा तबक़ा फिर कांग्रेस के पास लौटा, बल्कि दलित मतदाताओं ने भी कांग्रेस का साथ दिया.डी उमापति कहते हैं, ''अहिंदा मतदाताओं की कांग्रेस में वापसी ने सिद्धारमैया की छवि 'अन्य पिछड़ा वर्ग के मसीहा' की बना दी है. वैसे इस बार उन्हीं की वजह से दलितों ने भी बड़ी तादाद में कांग्रेस को वोट दिया. वहीं दूसरी तरफ़, शिवकुमार में ये क़ाबिलियत नहीं है. हालांकि, पार्टी को मुश्किलों से बाहर निकालने में उनका कोई सानी नहीं है.''
कनकपुरा से ताल्लुक़ रखने वाले शिवकुमार को बेंगलुरु ग्रामीण लोकसभा क्षेत्र में बेहद प्रभावशाली माना जाता है. हालांकि, उनके समर्थक कहते हैं कि इस बार उनका असर कर्नाटक के दक्षिणी ज़िलों में भी फैल गया है, जहां शिवकुमार के वोक्कालिगा समुदाय के मतदाताओं का दबदबा है. चूंकि शिवकुमार एक प्रभावशाली समुदाय से आते हैं, तो उनके प्रभाव से ही जेडीएस का वोट इस बार कांग्रेस और बीजेपी के बीच बँट गया. वहीं दूसरी ओर, प्रोफ़ेसर संदीप शास्त्री कहते हैं कि 'लोगों को समझा-बुझाकर मना लेने में सिद्धारमैया की कुशलता ही उन्हें विधायकों के बीच शिवकुमार से ज़्यादा लोकप्रिय बनाती है. इस मामले में शिवकुमार, सिद्धारमैया से कड़क छवि रखते हैं. उनके मामले में अक्सर यही होता है कि, या तो मेरी बात मानो, या चलते बनो.' लेकिन, प्रोफ़ेसर संदीप शास्त्री एक दिलचस्प सवाल भी खड़ा करते हैं, जो चुनाव में भी बार-बार उठा था. वह कहते हैं, ''कांग्रेस ने चुनाव के दौरान पैसे जुटाने की शिवकुमार की क़ुव्वत का भी निश्चित रूप से फ़ायदा उठाया है. आपको चुनाव प्रचार के दौरान की वो बात तो याद होगी जो प्रधानमंत्री ने कही थी. तब मोदी ने कहा था कि कांग्रेस, कर्नाटक को एटीएम बना देगी. निश्चित रूप से इस आरोप में कुछ न कुछ दम तो है.''
शिवकुमार को मुख्यमंत्री बनाने को लेकर कांग्रेस की हिचक की एक वजह ये भी थी कि पार्टी को डर था कि केंद्र सरकार उनके वो पुराने केस खोलने में ज़रा भी नहीं हिचकेगी, जो केंद्रीय जांच एजेंसियों ने शिवकुमार पर दर्ज किए हैं. शिवकुमार पर आयकर और दूसरे केंद्रीय क़ानूनों के उल्लंघन के आरोप हैं. जब शिवकुमार की संपत्तियों पर केंद्रीय एजेंसियों ने छापा मारा था, तो उन्हें गिरफ़्तार करके तिहाड़ जेल में भी रखा गया था. उसी दौरान जब शिवकुमार से मिलने सोनिया गांधी तिहाड़ जेल गई थीं, तो उन्हें कर्नाटक कांग्रेस का अध्यक्ष बनाने का भरोसा दिया था.उमापति कहते हैं, ''इसमें कोई दो राय नहीं कि मुख्यमंत्री की कुर्सी पर शिवकुमार का हक़ बनता है. वो पार्टी के प्रति वफ़ादार हैं और संसाधन जुटाने में भी माहिर हैं.''जहां तक छवि की बात है तो सिद्धारमैया उन गिने चुने नेताओं में से एक हैं, जिन पर कभी भी किसी भी तरह का भ्रष्टाचार करने का आरोप नहीं लगा. उमापति कहते हैं, ''सिद्धारमैया पर अर्कावती हाउसिंग सोसाइटी के मुद्दे पर आरोप ज़रूर लगे थे. लेकिन, अब तक कोई आरोप साबित नहीं हुआ है. यहां तक कि पिछले साढ़े तीन साल से सरकार चला रही बीजेपी भी उनके ख़िलाफ़ मुक़दमा नहीं चला सकी.''ऐसा लगता है कि कांग्रेस हाई कमान ने मुख्यमंत्री का चुनाव करते वक़्त अगले साल होने वाले लोकसभा चुनावों का भी ख़याल रखा है. इस बार पार्टी, कर्नाटक में अपनी सीटें बढ़ाने की कोशिश में है. पिछले लोकसभा चुनाव में कर्नाटक की 28 सीटों में से कांग्रेस सिर्फ़ एक पर जीत हासिल कर सकी थी. एक सीट जेडीएस ने जीती थी, जबकि बाक़ी की सभी 26 सीटों पर बीजेपी ने बाज़ी मारी थी.
ಕನ್ನಡಿಗರ ಹಿತ ರಕ್ಷಣೆಗೆ ನಮ್ಮ ಕೈಗಳು ಸದಾ ಒಂದಾಗಿರಲಿದೆ.
— Siddaramaiah (@siddaramaiah) May 18, 2023
ಜನಪರ, ಪಾರದರ್ಶಕ, ಭ್ರಷ್ಟಾಚಾರ ರಹಿತ ಆಡಳಿತ ನೀಡುವ ಜೊತೆಗೆ ನಮ್ಮ ಎಲ್ಲಾ ಗ್ಯಾರೆಂಟಿಗಳನ್ನು ಈಡೇರಿಸಲು ಕಾಂಗ್ರೆಸ್ ಪಕ್ಷ ಒಂದು ಕುಟುಂಬವಾಗಿ ಕೆಲಸ ಮಾಡಲಿದೆ. pic.twitter.com/V0OoO7JUKQ
Karnataka's secure future and our peoples welfare is our top priority, and we are united in guaranteeing that. pic.twitter.com/sNROprdn5H
— DK Shivakumar (@DKShivakumar) May 18, 2023
Team Congress is committed to usher progress, welfare and social justice for the people of Karnataka.
— Mallikarjun Kharge (@kharge) May 18, 2023
We will implement the 5 guarantees promised to 6.5 Cr Kannadigas. pic.twitter.com/6sycng00Bu
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