25 May 2023 09:15 PM
बीकानेर 25 मई। शास्त्री नगर स्थित वीर हनुमान वाटिका परिसर में गुरुवार को तीसरे दिन भक्ति संगीतमय भागवत कथा ज्ञान यज्ञ का वाचन.विवेचन ठाकुर श्री बांके बिहारीजी मंदिरए वृंदावन के पंडित बृजेश गोस्वामी ने महा भारत काल के वेद व्यासजी के पुत्र मुनि शुकदेवजी ने राजा परीक्षित को कथा सुनाने केा विभिन्न प्रसंगों को सुनाया।
गुरुवार को श्रीमद् भागवतए भगवान श्रीकृष्णए अन्य देवों का पूजन श्री वीर हनुमान वाटिका समिति की सचिव व पूर्व पार्षद छाया गुप्ता, सचिन गुप्ता, अभिषेक, दिव्या गुप्ता, शिवानी, श्रीमती संतोष गोयल ने करवाया। शुक्रवार को कृष्ण जन्मोत्सव मनाया जाएगा। गुरुवार को भी बड़ी संख्या में सत्संगी महिलाओं भक्ति गीतों के साथ नृत्य किया।
पंडित बृजेश गोस्वामी कथा में बताया कि राजा परीक्षित की मृत्यु का दिन नजदीक आने के प्रसंग सुनाते हुए कहा कि अनन्य भाव व रस से भागवत कथा सुनने से मृत्यु का डर दूर हो जाता है। सात दिनों मे सांसारिक जीवन की किसी न किसी दिन मृत्यु होती है। काल परम सत्य है, परन्तु किस रूप् में किस जगह आएगा किसी को पता नहीं है। मृत्यु स्वभाविक है. अच्छे कर्म करते व हरी स्मरण करते हुए, जीवन बीत जाने पर सुमृत्यु कहलाती है। हमेंं प्रति दिन हरी का स्मरण करते, उनके प्रति सुकृत्य करने चाहिए। भगवत चिंतन मनन करने वाले, प्रभु को भजने वाले अंत समय में भी परमात्मा को याद कर तर जाते है। रावण भगवान राम के प्रति द्वेष रखते थे , लेकिन अंतिम समय में उन्होंने रामजी का स्मरण कर अपना कल्याण कर लिया।
उन्होंने एक अन्य प्रसंग के माध्यम से बताया कि शुकदेव जी ने राजा परीक्षित को मन को स्थिर करने की प्रक्रिया से अवगत करवाया। चंचल मन को स्थिर किए बिना परमात्मा की भक्ति सही तरीके से नहीं की जा सकती। अस्थिर मन से न कथा में आनंद आता है न भक्ति में । प्रभु भक्ति के लिए साधक को सत्संग , साधना , आराधना व भक्ति स्थल पर बैठने , आसन, सांसों, मन व इंद्रियों को नियंत्रण करने का प्रयास करना चाहिए। उन्होने कहा कि मन ही मुक्ति व बंधन का कारण है। नियंत्रित मन के साधक को ही साध्य की प्राप्ति होती है। कलयुग में भक्ति व मन को नियंत्रित करने का सरल उपाय प्रभु नाम व जाप है तथा भागवत कथा श्रवण व सत्संग है।
पंडित गोस्वामी ने अन्य प्रसंग के माध्यम से बताया कि सत्कर्मों से सुख व दुष्कर्मों से दुःख की प्राप्ति होती है। वेद व्यासजी ने 18 पुराणों का सार स्वरूप् में बताया कि किसी का निष्काम भाव से उपकार करना धर्म व किसी को परेशान कर आंसु निकालने के लिए मजबूर करना पाप है। कथा स्थल पर लगातार श्रद्धालुओं की संख्या में वृद्धि हो रही है। गुरुवार को शुकदेव जी, राधा.कृष्ण की सचेतन झांकी प्रदर्शित की गई।
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