17 February 2023 10:38 AM
बीकानेर, 17 फरवरी। निजी शिक्षण संस्थानों द्वारा अभिभावकों से एक ही पुस्तक विक्रेता से पुस्तक या यूनिफॉर्म के लिए अपने द्वारा निर्धारित दुकान से ही सामग्री क्रय करने के लिए बाध्य करना अब भारी पड़ेगा। शिक्षा विभाग की नींद खुली है और निजी स्कूलों की मुनाफाखोरी पर शिकंजा कसने का प्रयास किया है। पुस्तकें , ड्रेस ही नहीं टैक्सी व बसों के नाम पर भी लूट मची हुयी है पर विभाग मौन है। अगर निजी शिक्षण संस्थान अभिभावकों को इसके लिए बाध्य करेंगे, तो विभाग द्वारा कार्यवाही की जाएगी। नए सत्र की शुरुआत से पहले ही जिला शिक्षा अधिकारी (माध्यमिक मुख्यालय) ने सभी निजी शिक्षण संस्थानों को अपने सूचना पट्ट के साथ-साथ वेबसाइट पर भी कम से कम तीन स्थानीय विक्रेताओं के नाम सार्वजनिक करने तथा शाला परिसर में इनका विक्रय नहीं करने को पाबंद किया है।भारत में शिक्षा का बाजारीकरण गरमागरम मुद्दा बना हुआ है. शिक्षा की पहुंच के दायरे में हर आम और खास को पहुंचाने के लिए सरकार ने इसके निजीकरण को भरपूर बढ़ावा दिया लेकिन निजी शिक्षण संस्थाओं ने इसका दुरुपोग कर तमाम तरह के शुल्क के नाम पर शिक्षा को वसूली और मुनाफाखोरी का जरिया बना दिया . देश के सुप्रीम कोर्ट ने इस पर रोक लगाते हुए दान के रूप में वसूली जाने वाली कैपिटेशन फीस को अवैध करार दिया था .
छह साल पुराने आदेश का फिर से दिया हवाला
नए शिक्षण सत्र के शुरू होने से पहले निदेशक (माध्यमिक शिक्षा) के वर्ष 2017 में जारी निर्देशों की प्रति भी निजी स्कूल संचालकों को भेजते हुए उसकी पूरी पालना करने को कहा गया है। गौरतलब है कि अक्सर ऐसी शिकायतें आती रहती हैं कि निजी स्कूल अभिभावकों को अपने द्वारा निर्धारित विक्रेताओं से ही पुस्तकें, रेफरेंस बुक्स तथा स्कूल यूनिफॉर्म खरीदने के लिए बाध्य करते हैं। कई स्कूलों ने तो परिसर के आसपास ही इस तरह की व्यवस्था की है जिसमें स्कूल ड्रेस और किताबें मिलती हों। साथ ही वे अभिभावकों को इस बात के लिए भी बाध्य करते हैं कि वे उन्हीं दुकानों या गिनी चुनी या उनकी इंगित की गई दुकानों से ही स्टेशनरी, किताबें और यूनिफार्म आदि खरीदें।
इसलिए पड़ी जरूरत
बताया जाता है कि निजी स्कूलों की इसी प्रवृत्ति पर रोक लगाने तथा अभिभावकों को अपनी मर्जी के स्थान से शिक्षण सामग्री खरीदने की स्वतंत्रता देने के लिए ऐसे आदेश 2017 में विभाग द्वारा जारी किए गए थे। यही आदेश हर वर्ष शिक्षण सत्र शुरू होने से पहले जारी किए जाते हैं, ताकि अभिभावकों को जानकारी हो सके और निजी शिक्षण संस्थान अपनी मनमर्जी नहीं चला सकें।
RELATED ARTICLES