07 August 2020 07:38 PM
बीकानेर ,7 अगस्त। मुक्ति संस्था के तत्वावधान में शुक्रवार को राजस्थानी भाषा में राष्ट्रीय स्तर पर काव्य.गोष्ठी का ऑनलाइन आयोजन किया गया । जिसमें बीकानेर जोधपुर जयपुर कोलकाता के कवी शामिल हुए। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि प्रख्यात राजस्थानी रचनाकार एवं राजस्थान उच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश जस्टिस गोपालकृष्ण व्यास थे तथा कार्यक्रम की अध्यक्षता हिन्दी राजस्थानी के वरिष्ठ कवि कथाकार राजेन्द्र जोशी ने की ।
काव्य गोष्ठी की संयोजक जयपुर की युवा साहित्यकार कविता मुखर ने प्रारंभ में स्वागत भाषण करते हुए सहभागी रचनाकारों का परिचय प्रस्तुत करते हुए कहा कि मुक्ति संस्था के तत्वावधान में राजस्थानी भाषा में यह दूसरी काव्य.गोष्ठी राष्ट्रीय स्तर पर आयोजित की गयी है कविता मुखर ने बताया कि शुक्रवार को बीकानेर से हिन्दीए उर्दू एवं राजस्थानी भाषा की साहित्यकार सीमा भाटीए जयपुर की युवा रचनाकार सुनीता बिश्नोलियाए जोधपुर की प्रख्यात राजस्थानी उपन्यासकार. कवियत्री सन्तोष चौधरी एवं कोलकाता की वरिष्ठ गीतकार मृदुला कोठारी ने अपनी चिर परिचित आवाज़ में लोक को सर्मपित रचनाओं से समा बाँध दिया ।
राजस्थानी राष्ट्रीय काव्य.गोष्ठी के मुख्य अतिथि प्रख्यात राजस्थानी रचनाकार एवं राजस्थान उच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश गोपाल कृष्ण व्यास ने कहा कविता जाति और धर्म की सीमाओं से उपर उठकर समाज में व्याप्त छुआछूत के विरुद्ध खड़ी होकर मनुष्यता के पक्ष में आवाज़ बनकर यथार्थ का परिचय देती है । जस्टिस व्यास ने कहा कि समाज में व्याप्त शोषण का विरोध करने वाली कविता कभी समाप्त नहीं हो सकती।राजस्थानी भाषा की कविताओं के लिए कहा कि प्रेम ए अपनत्व भाईचारे की भावना एवम समाज के नैतिक मूल्यों की मिठास लिए हुए होती है।आज पढ़ी गयी रचनाएँ के बारे में कहा कि ये कविताएं भारत की अन्य भाषाओं के मुक़ाबले किसी भी स्तर पर कमज़ोर नहीं हैए यह रचनाएँ समाज की सच्चाई जानने के एवम सामाजिक उत्थान लिए एक सशक्त कदम साबित होंगी।उन्होंने मुक्ति संस्था और सभी महिला रचनाकारों को बधाई देते हुए अपेक्षा की कि भविष्य में इसी तरह समाज को दिशा देने के लिए अपना योगदान लेखन के माध्यम से देती रहेंगी।
राजस्थानी भाषा में राष्ट्रीय स्तर पर आयोजित काव्य.गोष्ठी की अध्यक्षता करते हुए वरिष्ठ कवि.कथाकार राजेन्द्र जोशी ने कहा कि महिला रचनाकार किसी विचारधारा से प्रभावित हुऐ बगैर लोक . संस्कृति से तालमेल बिठाने की जुगत में दिखाई देती है । जोशी ने कहा कि महिला कवयित्री अपना मुहावरा खुद बनाती है जो समाज के स्मृति.पटल पर अमिट अंकित रहने वाले हैं । उन्होंने कहा कि वर्तमान समय में समाज की सहभागिता राजस्थानी रचनाओं में स्पष्ट रूप से देखने को मिलती है जोशी ने कहा कि आज पढ़ी गयी कविताओं में संस्कारए भावनाएँए प्रकृतिए लोकए प्रेमए सौंदर्य का अहसास कराती है । उन्होंने कहा कि इन राजस्थानी कविताओं में बिम्बए प्रतीक और रचना विधान की नवीनता देखी जा सकती है जोशी ने चारों महिला रचनाकारों को अच्छी कविताओं का वाचन करने के लिए बधाई दी।
काव्य.गोष्ठी में वरिष्ठ साहित्यकार एवं साहित्य अकादेमी नई दिल्ली में राजस्थानी भाषा परामर्श मंडल के संयोजक मधु आचार्य ने सम्बोधित करते हुए कहा कि आज पढ़ी गयी कविताओं में राजस्थानी की मठोठ देखने को मिलीए उन्होंने सभी रचनाकारों की रचनाओं पर आलोचनात्मक समीक्षा की ।
बीकानेर की हिन्दीए उर्दू एवं राजस्थानी भाषा में समान रूप से लिखने वाली साहित्यकार कवियत्री सीमा भाटी की कविताओं में विविध रंग देखने को मिले उन्होंने दरपण शीर्षक की कविता में ष्दीस जावै रोजीना कूड़ साच रा उणियारा आपरै दरपण माँयष् व्यक्ति की झूठ को दरपण के साथ दिखाने का प्रयास किया वहीं विधान शीर्षक की रचना में उण रात गाज्यो हो आभौ बरस्यौ हो अणथाग, बरसात और किसानों की स्थिति का चित्रण किया । भाटी ने इसके अतिरिक्त छियां , आजादी, कदै तो बोलतो रूंख एवं रंग शीर्षक की कविताएं सुनाकर वाह वाही लूटी ।
जयपुर की युवा कवयित्री सुनीता बिश्नोलिया ने ऑनलाइन राजस्थानी काव्य गोष्ठी में अनेक राजस्थानी कविताएं पढ़ी उन्होंने गीत, कविता और दोहों के माध्यम से शानदार तरीके से भाव विभोर कर दिया उन्होंने वियोग श्रृंगार की रचना घर आओ पीया शीर्षक से ढोला जी म्हां पर के बीती ,म्हारी खबर पिया जी पाओ, म्हारी बाँचो पाति प्रेम सूं और तार समझ घर आओ। बिश्नोलिया ने मुक्तक काळी.काळी बादळी तारां छाई रात के साथ ही श्रृंगार से सजा सखी पायल घणो गुमान करै और पीया मत बिसराओ शीर्षक से सजे सुंदर गीतों से महफ़िल में चार चाँद लगा दिए ।
जोधपुर की वरिष्ठ साहित्यकार कवियत्री सन्तोष चौधरी ने अनेक राजस्थानी गीत एवं कविताओं के माध्यम से समा बाँध दिया उन्होंने महिलाओं की वर्तमान मनोदशा को उजागर करती हुई महिलाओं के भीतर उपज रहे दर्द को कविता में प्रस्तुत किया । चौधरी ने लोक में महिलाओं की आवाज़ बनकर पीड़ शीर्षक से कविता सुनाई लुगाई हर एक पीड़ नै बांध लैवे है आपरै पल्लै री गांठ सागै , कवियत्री ने औरत को दर्द को सहन करने की बात को अपनी रचनाओं के माध्यम से सांगोपांग तरीके से रखा। चौधरी ने लुगाई रौ गमणौ शीर्षक से गम्भीर रचना प्रस्तुत की उन्होंने आँसू , इज्जत एवं गुण गंडक कुण मिनख शीर्षक से भी शानदार प्रस्तुति दी।
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