स्वामी कृष्णानंद गिरी महाराज की 33वीं पुण्यतिथि मनाई गई


- संतों के जीवन को अपने चरित्र में करें आत्मसात
बीकानेर, 15 जुलाई । स्वामी कृष्णानंद गिरी महाराज की 33वीं पुण्यतिथि सोमवार को रत्नेश्वर राज रंगों की बगेची में श्रद्धापूर्वक मनाई गई। इस अवसर पर पंडित जुगल किशोर ओझा के आचार्यत्व में हवन आरंभ हुआ, जिसके बाद श्रद्धांजलि सभा और भंडारे का आयोजन किया गया। श्रद्धांजलि सभा और भंडारे में धर्मगुरुओं, साहित्यिक समाज के प्रतिनिधियों के साथ-साथ कई राजनीतिक हस्तियाँ भी सम्मिलित हुईं।




गुरु महिमा और संतों के जीवन का महत्व
कार्यक्रम में स्वामी विर्मशानंद महाराज ने गुरु महिमा का वर्णन करते हुए कहा कि गुरु दीपक के समान होते हैं, जो अज्ञान के अंधकार को मिटाकर आत्मज्ञान का प्रकाश प्रज्वलित करते हैं। यह उल्लेखनीय है कि स्वामी कृष्णानंद गिरी महाराज की श्रद्धांजलि सभा और भंडारे का कार्यक्रम उनके शिष्यों के सामूहिक प्रयासों का सुखद परिणाम है। मौके पर नारायण दास रंगा “शेरे” ने बताया कि संतों का जीवन स्वयं एक ग्रंथ के समान होता है, जिसे पढ़कर हर जिज्ञासु को सकारात्मक मार्ग सहज ही उपलब्ध हो जाता है। रंगा राजस्थानी राहुल ने कहा कि किसी भी संत को सच्ची श्रद्धांजलि तभी दी जा सकती है, जब हम उस संत के जीवन चरित्र को अपने जीवन में आत्मसात करें। उन्होंने जोर दिया कि कथनी और करनी में अंतर रखना ही पाप है। इस अवसर पर शक्ति रतन रंगा, नंद किशोर रंगा, और अश्विन कुमार रंगा ने अपने आध्यात्मिक अनुभव साझा किए।


उपस्थित गणमान्य व्यक्ति
इस अवसर पर विष्णु दत्त रंगा, संजय रंगा, साहिल रंगा, कैलाश पुरोहित, शिव कुमार रंगा (पूर्व पार्षद), गोपाल दास रंगा (रंगाश्री), राजेंद्र रंगा, गिरिराज रंगा, नूतन रंगा, धनराज रंगा, बिंदू रंगा, डूंगरदत्त रंगा, नरेश रंगा, शिवरतन रंगा, आलू रंगा, सुरेंद्र रंगा (हे! शिव), नारायण रंगा (रूपजी), महेश बोहरा, मालचंद तिवाड़ी, राजेंद्र जोशी, हरिशंकर आचार्य, गोकुल जोशी, नवल व्यास, संजीव गर्ग, अशोक व्यास, रामकुमार हर्ष, बंटी व्यास, मनोज व्यास, शिवजी रंगा, सुरेंद्र व्यास, पप्पू जोशी आदि ने महाराजश्री के तैल चित्र पर पुष्पांजलि अर्पित की और आशीर्वाद प्राप्त किया।