बीकानेर में 40 से अधिक जर्जर मकानों पर मंडरा रहा खतरा: निगम ने चेतावनी बैनर लगाए



बीकानेर, 2 अगस्त। बीकानेर शहर में 40 से ज़्यादा मकान कभी भी गिर सकते हैं, जिससे किसी बड़े हादसे की आशंका बढ़ गई है। नगर निगम अब तक इनमें से 9 मकानों को गिरा चुका है, लेकिन शेष 31 मकान अभी भी जर्जर स्थिति में खड़े हैं। कानूनी अड़चनों और मालिकों से संपर्क न हो पाने के कारण निगम चाहकर भी अधिकांश मकानों को ध्वस्त नहीं कर पा रहा है। हताश होकर, निगम ने इन मकानों पर चेतावनी बैनर लगाए हैं, जिन पर लिखा है: “यह मकान जीर्णशीर्ण अवस्था में है। इसके नजदीक जाने से कोई भी दुर्घटना घटित हो सकती है। अतः इसके नजदीक जाना मना है। – निवेदक नगर निगम, बीकानेर” मानसून से पहले हुई पहचान, फिर भी कार्रवाई में अड़चनें
नगर निगम उपायुक्त यशपाल आहूजा ने बताया कि मानसून से पहले ही बीकानेर के जीर्णशीर्ण मकानों की सूची तैयार की गई थी और मकान मालिकों को नोटिस दिए गए। हालांकि, कुछ मकानों के मालिक नहीं मिले, कुछ किराएदार नोटिस लेने से इनकार कर रहे हैं, और कुछ बंद मकानों के मालिकों का पता नहीं चल पा रहा है, जो कोलकाता या देश के अन्य हिस्सों में रह रहे हैं। इन चुनौतियों के कारण, निगम अब तक सिर्फ 7 मकानों को ही ध्वस्त कर पाया है। अधिकांश जर्जर मकान शहर के अंदरूनी और पुराने इलाकों में स्थित हैं।




इन क्षेत्रों में हैं जर्जर मकान
बीकानेर के मोहता चौक में एक पुरानी पिरोल के अंदर बने मकान और दुकान कभी भी ध्वस्त हो सकते हैं। आचार्यों के चौक में भी कुछ मकान गिरने की स्थिति में हैं। एक भाजपा नेता के घर के पास की गली में भी एक जर्जर मकान है। इसके अलावा, बैदों के चौक से मावा पट्टी की ओर जाने वाले रास्ते पर भी घर कभी भी हादसे का कारण बन सकते हैं। रत्ताणी व्यासों के चौक में कुछ दिन पहले एक मकान की दीवार गिरी थी, और उसके पास भी एक घर में दरारें साफ दिख रही हैं।


ध्वस्त मकानों के पड़ोसी भी संकट में
कुछ मकान ऐसे भी हैं जो दो अन्य मकानों के बीच में स्थित थे और उन्हें ध्वस्त करना पड़ा। ऐसे में ध्वस्त मकान के दोनों तरफ वाले घर भी खतरे में आ गए हैं, और नगर निगम जर्जर मकान तो गिरा रहा है, लेकिन पड़ोसी मकानों को खुद ही अपनी मरम्मत करवानी पड़ रही है।

सरकारी भवन भी असुरक्षित
नगर निगम सिर्फ निजी मकानों का सर्वे कर रहा है, लेकिन सरकारी भवनों का निरीक्षण नहीं हो रहा है। हाल ही में झालावाड़ में स्कूल की छत ढहने से सात बच्चों की मौत के बाद सरकारी स्कूलों का निरीक्षण किया गया। बीकानेर में भी नगर निगम की स्वयं की कई इमारतें मरम्मत मांग रही हैं। कलेक्टर और एसपी ऑफिस में जर्जर भवनों की मरम्मत पहले से ही चल रही है। जिला शिक्षा अधिकारी माध्यमिक का कार्यालय तो तुरंत आरके भवन के पास शिफ्ट कर दिया गया है, क्योंकि पुराना भवन कभी भी ध्वस्त हो सकता है। इसी तरह, तेलीवाड़ा में स्थित सरकारी स्कूल परिसर भी जर्जर है।
खाजूवाला में जर्जर भवनों को गिराना शुरू
खाजूवाला नगरपालिका प्रशासन ने जर्जर भवनों को चिन्हित कर कार्रवाई शुरू कर दी है। जर्जर भवनों में रहने वाले परिवारों को सुरक्षित स्थान पर शिफ्ट किया गया है। वार्ड नंबर 16 में एक पूरी तरह से जर्जर भवन को जेसीबी से गिराया गया। अधिशाषी अधिकारी सोहनलाल ने बताया कि राज्य सरकार के आदेशानुसार और उपखण्ड अधिकारी खाजूवाला पंकज गढ़वाल के निर्देशन में बरसाती मौसम को देखते हुए यह कार्रवाई की जा रही है।
घरों के जर्जर होने के कई कारण सामने आए हैं:
- मालिकों की अनुपस्थिति: कई दशकों से मकान मालिक वापस नहीं लौटे हैं, और पड़ोसी उनके घरों पर कचरा फेंकते हैं, जिससे ड्रेनेज फेल हो जाता है और बरसात का पानी दीवारों को कमजोर कर देता है।
- किराएदार-मालिक विवाद: कुछ मकान किराए पर दिए हुए हैं। न तो किराएदार मरम्मत करवा रहा है और न ही खाली कर रहा है। मकान मालिक भी जानबूझकर मरम्मत नहीं करवा रहा, क्योंकि उसे मकान खाली करवाना है।
- कानूनी मामले: कुछ मकान कानूनी मामलों में फंसे हुए हैं, जिससे अदालती कार्रवाई के चलते निगम इन्हें गिरा नहीं पा रहा है और मकान लगातार जर्जर होते जा रहे हैं।