कौन होगा राजस्थान का अगला राज्य निर्वाचन आयुक्त, रेस में 4 ब्यूरोक्रेट्स, एक महिला IAS भी प्रबल दावेदार

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जयपुर, 13 अगस्त। राजस्थान में अगला राज्य निर्वाचन आयुक्त कौन होगा, इस पर सियासी गलियारों में चर्चा तेज है। मौजूदा निर्वाचन आयुक्त मधुकर गुप्ता का कार्यकाल 17 सितंबर को समाप्त हो रहा है। दिसंबर में संभावित पंचायत और निकाय चुनावों को देखते हुए, यह पद सरकार खाली नहीं छोड़ेगी। राजनीतिक विश्लेषक मान रहे हैं कि सरकार जातीय समीकरणों को ध्यान में रखकर ही यह महत्वपूर्ण नियुक्ति करेगी।
कौन हैं रेस में शामिल प्रमुख दावेदार?
सीएम भजनलाल शर्मा पंचायत और निकाय चुनाव को देखते हुए सहमति से चुनाव आयुक्त का चयन करेंगे। इस दौड़ में दो सेवारत और दो सेवानिवृत्त आईएएस अधिकारी शामिल हैं:

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राजेश्वर सिंह (सेवानिवृत्त IAS): गहलोत सरकार में ग्रामीण एवं पंचायती राज विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव रह चुके हैं। उनकी प्रशासनिक पकड़ मजबूत मानी जाती है और उन्होंने पंचायतों के पुनर्गठन में अहम भूमिका निभाई थी। राजपूत समाज से आने के कारण सीएम भजनलाल शर्मा उन पर दांव खेल सकते हैं। हालांकि, सचिन पायलट से उनकी कथित नजदीकी उनकी राह में रोड़ा बन सकती है।

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पीके गोयल (सेवानिवृत्त IAS): 1988 बैच के सेवानिवृत्त आईएएस गोयल के पास लंबा प्रशासनिक अनुभव है, खासकर स्वायत्त शासन विभाग में। उनकी साफ-सुथरी छवि है और वे भाजपा व कांग्रेस दोनों सरकारों में अहम पदों पर रहे हैं। वे राजस्थान के निवासी हैं और वैश्य समुदाय से आते हैं, जो भाजपा का परंपरागत वोट बैंक माना जाता है।

आनंद कुमार (सेवारत IAS): वन एवं पर्यावरण विभाग के वर्तमान एसीएस आनंद कुमार दलित आईएएस अधिकारी हैं। भजनलाल सरकार ने सत्ता में आने के बाद ब्यूरोक्रेसी में बड़े बदलाव किए, लेकिन आनंद कुमार और अखिल अरोड़ा को नहीं बदला था। गहलोत सरकार में वे ढाई साल तक गृह विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव रहे। सीएम भजनलाल शर्मा आनंद कुमार के माध्यम से दलित समाज को साध सकते हैं, क्योंकि उन्हें सीएम का पसंदीदा अफसर माना जाता है।

शुभ्रा सिंह (सेवारत IAS): राजस्थान में पूर्व मुख्य सचिव उषा शर्मा के बाद कोई बड़ी महिला आईएएस अधिकारी नहीं है। ऐसे में रोडवेज विभाग की चेयरमैन शुभ्रा सिंह को भी निर्वाचन आयुक्त बनाया जा सकता है। दिल्ली में उनकी लंबे समय तक पोस्टिंग रही है। वे मिलनसार अफसर मानी जाती हैं और उनकी नियुक्ति से आधी आबादी को साधा जा सकता है। हालांकि, वे मुख्य सचिव की दौड़ में भी थीं, लेकिन सुधांश पंत को यह पद मिला था।

जातीय लॉबिंग और पुराने नियम
ब्यूरोक्रेसी के जानकारों का कहना है कि मुख्य सचिव सुधांश पंत और डीजीपी राजीव शर्मा की नियुक्ति के बाद सरकार एससी-एसटी के किसी आईएएस पर दांव खेल सकती है। इस पद के लिए परदे के पीछे से लॉबिंग भी शुरू हो गई है।

पहले राज्य निर्वाचन आयुक्त के पद पर मुख्य सचिव स्तर के आईएएस अधिकारियों को नियुक्त किया जाता था। हालांकि, वसुंधरा राजे सरकार ने नियमों में बदलाव कर प्रमुख शासन सचिव स्तर के अधिकारी प्रेम सिंह मेहरा को वीआरएस दिलवाकर निर्वाचन आयुक्त बनाया था। गहलोत सरकार ने अगस्त 2022 में प्रेम सिंह मेहरा के स्थान पर 1985 बैच के सेवानिवृत्त आईएएस मधुकर गुप्ता को नियुक्त किया था।

कब होंगे पंचायत और निकाय चुनाव?
राजस्थान में पंचायत और शहरी निकायों के चुनाव को लेकर लंबे समय से उत्सुकता है। हाईकोर्ट भी सरकार से 6 हजार से अधिक ग्राम पंचायतों में चुनाव कराने के बारे में पूछ चुका है। अब चर्चा है कि प्रदेश में दिसंबर 2025 तक पंचायती राज और शहरी निकायों के चुनाव एक साथ कराए जा सकते हैं। पंचायती राज संस्थाओं के पुनर्गठन को लेकर बनी कैबिनेट सब कमेटी जल्द सरकार को रिपोर्ट सौंपेगी, जिसके बाद मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा अंतिम फैसला लेंगे। मंत्री अविनाश गहलोत ने दिसंबर के अंत तक चुनाव कराने के संकेत दिए हैं, लेकिन अभी तक कोई निश्चित तारीख तय नहीं हुई है।

क्या सरकार इस बार जातीय संतुलन और प्रशासनिक अनुभव के बीच संतुलन बिठा पाएगी, यह देखना दिलचस्प होगा।

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