अश्व अनुसंधान केंद्र पर हिंदी कार्यशाला और हिंदी सप्ताह का शुभारंभ



बीकानेर, 15 सितम्बर। राष्ट्रीय अश्व अनुसंधान केंद्र में हिंदी कार्यशाला का आयोजन कर हिंदी सप्ताह का शुभारंभ किया गया। इस कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए केंद्र के प्रभागाध्यक्ष डॉ. एस. सी. मेहता ने हिंदी दिवस की बधाई दी और कहा कि डिजिटल युग में हिंदी का महत्व काफी बढ़ गया है। आज इंटरनेट पर 40% से अधिक भारतीय उपयोगकर्ता हिंदी में ही सामग्री खोजते और पढ़ते हैं। उन्होंने हिंदी का विरोध करने वालों की मानसिकता को हास्यास्पद बताते हुए कहा कि वे चाहते हैं कि 95% लोग उनकी भाषा सीखें, जबकि हिंदी दुनिया में तीसरी सबसे ज्यादा बोली जाने वाली भाषा बन चुकी है।




कार्यालय में हिंदी का शत-प्रतिशत उपयोग हो- डॉ. अनिल कुमार पुनिया
इस समारोह के मुख्य अतिथि, राष्ट्रीय उष्ट्र अनुसंधान केंद्र के निदेशक डॉ. अनिल कुमार पुनिया ने जोर दिया कि कार्यालय के कामकाज में हिंदी का शत-प्रतिशत प्रयोग होना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि विज्ञान के क्षेत्र में हिंदी का उपयोग बढ़ने से आम लोग भी विज्ञान से जुड़ पाएंगे। डॉ. पुनिया ने हिंदी भाषा को जन-जन तक पहुँचाने में सिनेमा और संगीत के महत्वपूर्ण योगदान पर भी बात की।


राजभाषा हिंदी का प्रयोग और संकल्प
कार्यशाला में मुख्य वक्ता प्रेम प्रकाश पारीक, जो केंद्रीय शुष्क बागवानी संस्थान के पूर्व अधिकारी हैं, ने “कार्यालयीन कार्य में राजभाषा हिंदी का प्रयोग” विषय पर एक ज्ञानवर्धक व्याख्यान दिया। उन्होंने संविधान में हिंदी के संदर्भ में दिए गए प्रावधानों का उल्लेख किया और कहा कि जब तक हम अपनी राजभाषा को इच्छाशक्ति से नहीं अपनाते, तब तक इसकी सार्थकता सिद्ध नहीं होगी।
केंद्र की राजभाषा अधिकारी डॉ. रत्ना ने हिंदी सप्ताह के दौरान होने वाले कार्यक्रमों की जानकारी दी और बताया कि आज एक शुद्ध-अशुद्ध प्रतियोगिता का भी आयोजन किया गया। कार्यक्रम का संचालन वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. रत्नप्रभा ने किया, जिसमें केंद्र के अन्य अधिकारियों और कर्मचारियों ने भी हिस्सा लिया।