कोर्ट ने ‘बीकानेरी भुजिया’ शब्द के उपयोग पर लगाई रोक, GI टैग का उल्लंघन



बीकानेर, 20 सितंबर । बीकानेर की प्रसिद्ध ‘बीकानेरी भुजिया’ को उसका अधिकार वापस मिल गया है। दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट ने चार फर्मों को ‘बीकानेरी भुजिया’ शब्द का इस्तेमाल करने से रोक दिया है। ये कंपनियां कानपुर (उत्तर प्रदेश) और सोनीपत (हरियाणा) में भुजिया बना रही थीं और ‘बीकानेरी भुजिया’ के भौगोलिक संकेत (GI) टैग का अवैध रूप से उपयोग कर रही थीं।




क्या है पूरा मामला?
बीकानेर भुजिया उद्योग संघ ने साल 2008 में ‘बीकानेरी भुजिया’ को जीआई (ज्योग्राफिकल इंडिकेशन) एक्ट 1999 के तहत पंजीकृत कराया था। इसका मतलब है कि केवल बीकानेर में बनी भुजिया ही इस नाम का इस्तेमाल कर सकती है।


संघ ने कोर्ट में मुकदमा दायर कर आरोप लगाया कि ये चार कंपनियां, जिनका बीकानेर से कोई संबंध नहीं है, ‘बीकानेरी भुजिया’ नाम और जीआई मार्क का उपयोग कर आम जनता को गुमराह कर रही थीं। ये कंपनियां कानपुर और सोनीपत में अपने उत्पाद बनाती थीं, लेकिन पैकेजिंग पर ‘बीकानेरी भुजिया’ लिखकर ग्राहकों को यह विश्वास दिलाती थीं कि यह उत्पाद बीकानेर का है।
कोर्ट का फैसला
संघ की ओर से पेश हुए एडवोकेट शैलेन भाटिया ने कोर्ट को बताया कि इन कंपनियों ने बिना अनुमति के अवैध रूप से इस नाम का इस्तेमाल किया, जबकि इस जीआई टैग का अधिकार केवल बीकानेर स्थित निर्माताओं के पास है। कोर्ट ने सभी दलीलों और सबूतों पर विचार करने के बाद बीकानेरी भुजिया के असली निर्माताओं के हितों की रक्षा करते हुए एक विस्तृत आदेश पारित किया।
कोर्ट ने इन कंपनियों के उत्पादों के निर्माण, बिक्री, प्रदर्शन और निर्यात पर तत्काल प्रभाव से रोक लगा दी है। इसके अलावा, कोर्ट कमिश्नर ने कानपुर और सोनीपत की फैक्ट्रियों से ‘बीकानेरी भुजिया’ लिखे हुए सभी उत्पादों को जब्त कर लिया है।