जनकवि धनंजय वर्मा को ‘चितार’ समारोह में श्रद्धांजलि



बीकानेर, 20 सितंबर। बीकानेर में ‘सुरभि’, ‘अजित फाउंडेशन’ और ‘शाद्वल’ द्वारा कीर्तिशेष लोकप्रिय राजस्थानी कवि गीतकार धनंजय वर्मा की स्मृति में ‘चितार’ नामक एक विशेष समारोह का आयोजन किया गया। इस समारोह में उनके साहित्यिक योगदान को याद किया गया और राजस्थानी साहित्य में उल्लेखनीय कार्य करने वाली चार विभूतियों को सम्मानित किया गया।
साहित्यिक विभूतियों का सम्मान
इस समारोह में जानकी नारायण श्रीमाली, रवि पुरोहित, राजेंद्र स्वर्णकार, और मनीषा आर्य सोनी को उनके विशिष्ट साहित्यिक अवदान के लिए सम्मानित किया गया। समारोह की अध्यक्षता करते हुए शिक्षाविद् डॉ. उमाकांत गुप्त ने धनंजय वर्मा को ‘बिम्बधर्मा कवि’ बताते हुए कहा कि उनकी कालजयी रचनाएँ उन्हें अमर बनाती हैं, और इन चार साहित्य-सृजकों का सम्मान ही उन्हें सच्ची श्रद्धांजलि है।




वक्ताओं के विचार
शिक्षाविद् ओम प्रकाश सारस्वत ने धनंजय वर्मा के विराट व्यक्तित्व और सरल स्वभाव पर प्रकाश डाला। पृथ्वीराज रतनू ने कहा कि वर्मा की रचनाओं में नई पीढ़ी को राजस्थानी संस्कारों से जोड़ने की भावना स्पष्ट दिखती है।वरिष्ठ व्यंग्यकार बुलाकी शर्मा ने उम्मीद जताई कि वर्मा का अप्रकाशित साहित्य अब प्रकाशित होगा और अनुसंधान का एक महत्वपूर्ण विषय बनेगा। वरिष्ठ साहित्यकार रवि पुरोहित ने बताया कि वह धनंजय वर्मा की कृतियों को डिजिटल रूप में उपलब्ध कराने का प्रयास करेंगे। गोविंद जोशी ने वर्मा की कविताओं को संगीतबद्ध रूप में प्रस्तुत करके भावपूर्ण श्रद्धांजलि अर्पित की। इस कार्यक्रम में डॉ. अभय सिंह टाक ने समारोह की संकल्पना प्रस्तुत की, और अजित फाउंडेशन के संजय श्रीमाली ने सभी का आभार व्यक्त किया। समारोह में धनंजय वर्मा का परिवार, तथा कई अन्य साहित्यकार और गणमान्य व्यक्ति भी उपस्थित थे।

