रिश्वतखोरी से अकूत संपत्ति के चलते पूर्व चीफ इनकम टैक्स कमिश्नर और ITO को 4 साल की जेल



जोधपुर, 27 सितंबर। जोधपुर में रिश्वतखोरी से जुड़े एक हाई-प्रोफाइल मामले में केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (CBI) की विशेष अदालत ने आयकर विभाग के पूर्व मुख्य आयकर आयुक्त (पवन कुमार शर्मा) और पूर्व आईटीओ (शैलेंद्र भंडारी) को चार-चार साल की सज़ा सुनाई है। स्पेशल सीबीआई कोर्ट के जज भूपेंद्र सनाढ्य ने दोनों दोषियों पर ₹1.10 लाख का जुर्माना भी लगाया है, जबकि बिचौलिए की भूमिका निभाने वाले जौहरी चंद्रप्रकाश कट्टा को बरी कर दिया गया।




मामला और ट्रैप ऑपरेशन
मामला 31 मार्च 2015 का है, जब बाड़मेर के व्यापारी किशोर जैन ने सीबीआई को शिकायत दी थी।



मूल शिकायत: व्यापारी किशोर जैन की टैक्स देनदारी को आयकर विभाग ने ₹2.5 करोड़ से बढ़ाकर ₹12 करोड़ कर दिया था।
रिश्वत की डील: इस मामले को निपटाने के लिए अधिकारियों ने शुरू में ₹25 लाख की रिश्वत मांगी थी, जो बाद में ₹23 लाख तय हुई।
गिरफ्तारी: किशोर जैन की शिकायत पर सीबीआई ने जाल बिछाया। 31 मार्च 2015 को जौहरी चंद्रप्रकाश कट्टा के शोरूम पर शैलेंद्र भंडारी को ₹15 लाख की रिश्वत लेते हुए रंगे हाथों पकड़ा गया। यह रकम मुख्य आयकर आयुक्त पवन कुमार शर्मा की तरफ से ली जा रही थी। इस ऑपरेशन में तीनों (शर्मा, भंडारी और कट्टा) को गिरफ्तार कर लिया गया था।
करोड़ों की संपत्ति और शाही शौक
सरकारी वकील (सीबीआई) भगवानसिंह भंवरिया ने बताया कि पवन कुमार शर्मा 1981 बैच के आईआरएस अधिकारी थे। सीबीआई की जाँच में उनकी अकूत संपत्ति और शाही जीवनशैली का खुलासा हुआ था:
संपत्ति का दावा: जाँच में पता चला कि शर्मा के पास जयपुर, जोधपुर, अजमेर और बेंगलुरु में कुल 400 करोड़ रुपए की संपत्ति थी, जिसमें कई बंगले और फार्महाउस शामिल थे।
लक्जरी जीवनशैली: उनके बंगलों के हर कमरे में ₹18-18 हजार रुपए के डिजाइनर पंखे लगे मिले थे। शर्मा को चांदी के कप में चाय पीने और सोने के चम्मच का इस्तेमाल करने का शौक था। उनके घर से 50 बोतल महंगी विदेशी शराब भी बरामद हुई थी।
अन्य कार्रवाई: सीबीआई ने रिश्वतखोरी के आरोप में तीनों आरोपियों के खिलाफ आईपीसी और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत मामला दर्ज किया था। नवंबर 2015 में सीबीआई ने पवन कुमार शर्मा की जोधपुर स्थित आठ संपत्तियों पर छापेमारी भी की थी।

