लद्दाख हिंसा के बाद सोनम वांगचुक NSA के तहत गिरफ्तार, जोधपुर जेल भेजा गया



जोधपुर, 27 सितंबर। शिक्षा सुधारों और पर्यावरण संरक्षण के लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचाने जाने वाले जलवायु कार्यकर्ता सोनम वांगचुक को राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम (NSA) के तहत गिरफ्तार कर लिया गया है। लद्दाख हिंसा के एक दिन बाद हिरासत में लिए गए वांगचुक को शुक्रवार रात जोधपुर सेंट्रल जेल भेज दिया गया है, जिसके बाद पूरे देश में राजनीतिक विवाद खड़ा हो गया है।
हिंसक प्रदर्शन और गिरफ्तारी की पृष्ठभूमि
लद्दाख में राज्य का दर्जा देने और संविधान की छठी अनुसूची लागू करने की मांग को लेकर 24 सितंबर को राजधानी लेह में प्रदर्शन हुआ था, जो हिंसक हो उठा।
इस झड़प में चार लोगों की मौत हो गई और भाजपा कार्यालय को आग के हवाले कर दिया गया था।
अधिकारियों ने हिंसा भड़काने के आरोप में सोनम वांगचुक को हिरासत में लिया और उन पर NSA के तहत कार्रवाई की गई। गिरफ्तारी से पहले वांगचुक अपनी मांगों को लेकर भूख हड़ताल पर थे, जिसे उन्होंने हिंसक प्रदर्शन के बाद समाप्त कर दिया था।




पंजाब के मंत्री ने जताई नाराजगी
वांगचुक की गिरफ्तारी के बाद राजनीतिक गलियारों में आक्रोश है। पंजाब के शिक्षा मंत्री हरजोत सिंह बैंस ने इस कार्रवाई की कड़ी निंदा की। बैंस ने सोशल मीडिया पर इसे ‘लोकतंत्र पर सीधा हमला’ बताया। उन्होंने कहा कि वांगचुक कोई अपराधी नहीं बल्कि ‘लद्दाख की आवाज’ हैं, और उन्हें तुरंत रिहा किया जाना चाहिए।



लद्दाख में तनावपूर्ण हालात और मांगें
सोनम वांगचुक और स्थानीय संगठन लंबे समय से लद्दाख को छठी अनुसूची में शामिल करने की मांग कर रहे हैं। यह प्रावधान आदिवासी बहुल क्षेत्रों को विशेष स्वायत्त अधिकार देता है (जैसा कि पूर्वोत्तर के राज्यों में है)।
कर्फ्यू जैसे हालात: लद्दाख प्रशासन ने भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (BNSS) की धारा 163 के तहत लेह में पाँच से अधिक लोगों के इकट्ठा होने पर रोक लगा दी है। किसी भी जुलूस या रैली को बिना अनुमति नहीं निकालने दिया जाएगा, और सुरक्षा बलों को तैनात कर दिया गया है। फिलहाल, सोनम वांगचुक जोधपुर जेल में हैं और उनकी गिरफ्तारी ने देश भर में लोकतंत्र और असहमति की आवाज़ों की स्वतंत्रता पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।

