बीकानेर रेलवे स्टेशन पर मुरलीधर व्यास की मूर्ति हटाने पर विवाद: आंदोलन की चेतावनी



बीकानेर, 30 सितंबर । बीकानेर रेलवे स्टेशन के नवीनीकरण कार्य के दौरान जननेता मुरलीधर व्यास की मूर्ति को हटाने की प्रक्रिया शुरू होने पर विवाद खड़ा हो गया। रेलवे द्वारा परिजनों और समर्थकों को बिना सूचना दिए यह काम शुरू करने पर मजदूरों और स्थानीय लोगों ने विरोध किया, जिसके बाद मूर्ति हटाने का काम रोकना पड़ा। अब इस मुद्दे पर रेलवे के अधिकारी और व्यास के परिजन व समर्थक आज मंगलवार को बातचीत करेंगे।
विवाद का कारण और समर्थकों की मांग
हटाने की वजह: रेलवे स्टेशन के रिनोवेशन में जिस जगह यह प्रतिमा लगी है, वहाँ नई संरचना का निर्माण होना है।




अस्पष्टता: रेलवे ने यह स्पष्ट नहीं किया कि 54 साल पुरानी इस मूर्ति को रिनोवेशन के बाद कहाँ और कैसे स्थापित किया जाएगा।



विरोध: इसी अस्पष्टता के कारण परिजन और समर्थक रेलवे से मूर्ती को पुनर्स्थापित करने का लिखित आश्वासन मांग रहे हैं। मजदूर नेता दिलीप जोशी ने चेतावनी दी है कि मूर्ति को पूरी तरह सुरक्षित रखने और स्टेशन पर उपयुक्त स्थान दिए जाने तक संघर्ष किया जाएगा।
कौन थे मुरलीधर व्यास?
‘शेरे व्यासजी’ के नाम से मशहूर मुरलीधर व्यास बीकानेर के एक लोकप्रिय समाजवादी नेता थे।
राजनीतिक पहचान: वे 1957 से 1967 तक विधायक रहे और मजदूर वर्ग के बड़े नेता माने जाते थे, जिन्होंने आम आदमी के प्रतिनिधि की छवि बनाई।
इतिहास: उनका जन्म 4 जुलाई 1918 को हिंगनघाट (महाराष्ट्र) में हुआ और निधन 31 मई 1971 को बीकानेर में हुआ था।
मूर्ति की ऐतिहासिक महत्ता
यह प्रतिमा बीकानेर की राजनीतिक और सामाजिक परंपरा का एक अभिन्न हिस्सा रही है:
स्थापना: व्यास की मृत्यु के बाद 1971 में स्टेशन पर उनकी प्रतिमा लगाने की पहल हुई थी। इसका भूमि पूजन नेपाल के पूर्व प्रधानमंत्री मातृका प्रसाद कोयराला ने किया और जयप्रकाश नारायण ने मूर्ति का अनावरण किया था।
वर्तमान परंपरा: स्टेशन पर स्थापित यह प्रतिमा 54 साल पुरानी है। आज भी बीकानेर में किसी भी पार्टी का नेता चुनाव लड़ने से पहले मुरलीधर व्यास की मूर्ति पर माल्यार्पण करके ही अपने चुनाव का श्रीगणेश करता है।
विरोध और कार्य स्थगित
चूँकि मुरलीधर व्यास मजदूर नेता थे, इसलिए सोमवार को जब जेसीबी और क्रेन लगाकर मूर्ति हटाने का प्रयास शुरू हुआ, तो सबसे पहले मजदूरों और ऑटो चालकों ने ही विरोध किया। उनके विरोध के बाद परिजनों (कर्मचारी नेता दिलीप जोशी और मजदूर नेता नारायण दास रंगा) को सूचना दी गई, जिससे माहौल बिगड़ा। स्थिति बेकाबू होते देख रेलवे को काम रोकना पड़ा।

