भेड़, ऊंटनी और गधी के दूध से तैयार किया ड्रिंक, डायबिटीज और खून की कमी वाले मरीजों को फायदा; दावा- 10 दिन तक खराब नहीं होगा



बीकानेर, 19 अक्टूबर। राजस्थान की वेटरनरी यूनिवर्सिटी (बीकानेर) ने एक ऐसा ड्रिंक तैयार किया है, जिससे बीमारियां ठीक की जा सकेंगी। खास बात ये है कि इस ड्रिंक को गाय और बकरी के अलावा भेड़, ऊंटनी और गधी के दूध से तैयार किया गया है। इस ड्रिंक को पेंटेंट करवाने का प्रोसेस भी किया जा रहा है। दावा किया जा रहा है कि पेटेंट के बाद जल्द ही ये स्पेशल ड्रिंक बाजार में उपलब्ध होगी।
इसे तैयार करने वाले एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. मुकुल सैन का दावा है कि ये ड्रिंक डायबिटीज और एनीमिया जैसी बीमारियों में फायदेमंद होगी। इसकी एक खास बात ये भी है कि ये 10 दिन तक खराब भी नहीं होगी।




कैसे तैयार हुई ये ड्रिंक?



दरअसल, डायबिटीज, एनिमिया, कब्ज और पेट की बीमारियों समेत वे लोग जिन्हें बीमारी के दौरान मुंह से खाने में परेशानी होती है, उन्हें ध्यान में रखकर इस पर रिसर्च शुरू की गई थी। इस ड्रिंक को सांगरी, तुलसी के बीज, सहजन, मल्टीग्रेन, अलसी, अजवाइन, पुदीना, धनिया, तिल और मल्टीग्रेन भी मिलाया गया है। इसे सिन बायेटिक थेरेब्यूटिक हेल्थ ड्रिंक नाम दिया गया है।
दूध का मिक्सचर का भी इस्तेमाल
इस ड्रिंक को तैयार करने के लिए पांच जानवरों का दूध लिया गया। इसमें गाय, बकरी, भेड़, ऊंटनी और गधी का दूध था। इन सभी औषधीय प्लांट्स की बराबर मात्रा के अनुसार लिया गया। इसके बाद इन सभी का पाउडर तैयार कर इन्हें पांच अलग-अलग दूध में मिलाया गया। दो दिन तक इन मिक्सर को फर्मेंटेशन किया गया। इसके बाद इस मिक्सर को एक समान तापमान में गर्म किया गया। ध्यान रखा गया कि जिस तापमान में ये जितने समय में गर्म हुआ है उसी तापमान और समय में इसे दोबारा नॉर्मल किया जाए। दो दिन के इस पूरे प्रोसेस के बाद ये खास ड्रिंक तैयार हुआ। इस दूध के मिक्सचर को गर्म करने का प्रोसेस भी अलग है। ताकि एक परफेक्ट ड्रिंक बनाई जा सके।
अब पेटेंट का इंतजार, फिर मार्केट में मिलेगा
डॉ. मुकुल सैन ने बताया कि फर्मेंटेशन के बाद सभी में समान रिजल्ट मिले। सैंपल बनाने के बाद सर्वाधिक सही और औषधीय गुण वाले सैंपल को पेटेंट के लिए भेजा गया है।
इसके लिए इंडियन पेटेंट ऑफिस को एप्लिकेशन दी गई। इस पर पेटेंट ऑफिस ने रिसर्च कर पता लगाया कि अब तक इस तरह का काम नहीं हुआ है। इसके बाद एप्लिकेशन को स्वीकृत कर लिया गया। अब इसका सर्टिफिकेशन होना बाकी है। पेटेंट मिलने के बाद इस फॉर्मूले को बाजार में दिया जाएगा। प्राइवेट और सरकारी फर्मों को एक एमओयू के तहत इसका लिटरेचर दिया जाएगा। डेयरी इंडस्ट्री में ये एक नया ब्रेवरेज ड्रिंक का स्थान ले सकता है।
ये होगी ड्रिंक की विशेषता
डॉ. सैन बताते हैं कि इस ड्रिंक में प्रोटीन, फाइबर, मिनरल्स, एंटी ऑक्सीडेंट, मल्टी एंजाइम होंगे। इससे ये मल्टी न्यूट्रिशनल प्रोडक्ट के रूप में काम आ सकेगा।
इसके लिए जिन लोगों को मुंह से खाना खाने में परेशानी हैं, उन्हें ड्रिंक के रूप में भारी भोजन दिया जा सकता है। साथ ही पेट की बीमारियों से ग्रसित रोगियों के लिए भी उपयोगी साबित हो सकता है।
आठ महीने से चल रहा रिसर्च
वेटरनरी यूनिवर्सिटी के डेयरी साइंस के प्रोफेसर राहुल सिंह पाल ने बताया कि ये रिसर्च पिछले आठ महीने से चल रहा है। इसे करीब 22 बार बनाया गया था।
इसके बाद इसे स्टाफ के लोगों को पिलाया गया, जिसमें किसी भी स्तर पर नुकसान सामने नहीं आया है। इस ड्रिंक को अगर रेफ्रिजरेटर में रखा जाता है तो पांच से सात दिन तक खराब नहीं होता। वहीं, अगर इसकी पैकिंग कर दी जाए तो दस दिन तक खराब नहीं होगा। ऐसे में कहीं भी बनाकर इसे आगे एक्सपोर्ट किया जा सकता है।
कौन है डॉ. मुकुल सेन?
डॉ. मुकुल सेन वेटरनरी यूनिवर्सिटी में टीचिंग एसोसिएट के रूप में काम कर रहे हैं। वो खुद नेशनल डेयरी रिसर्च इंस्टीट्यूट करनाल (हरियाणा) से पीएच.डी. है। अबोहर के रहने वाले डॉ. मुकुल राजस्थान और पंजाब के औषधीय पौधों पर विशेष अध्ययन कर रहे हैं। मूलरूप से अबोहर निवासी व बीकानेर डेयरी विज्ञान और प्रौद्योगिकी संकाय, राजुवास के सदस्य डॉ. मुकुल सैन सुपुत्र नारायण सैन ( सेवानिवृत्ति लेक्चरार सरकारी सीनियर सेकेंडरी स्कूल सीतो गुणों) को भारत के प्रथम कृषि विश्वविद्यालय और हरित क्रांति के अग्रणी, पंत कृषि विश्वविद्यालय, पंतनगर में आयोजित अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन में सर्वश्रेष्ठ पीएच.डी. थीसिस पुरस्कार से सम्मानित किया गया। यह पुरस्कार उनके आईसीएआर-राष्ट्रीय डेयरी अनुसंधान संस्थान (एनडीआरआई), करनाल में किए गए डॉक्टोरल शोध कार्य ‘दूध गर्म करने के लिए विभिन्न ओमिक सेल विन्यासों का डिज़ाइन और प्रदर्शन मूल्यांकन’ के लिए दिया गया। शोध निष्कर्ष न केवल वैज्ञानिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण हैं, बल्कि छोटे किसानों और स्टार्टअप उद्यमियों के लिए किफायती और प्रभावी प्रसंस्करण तकनीकों की दिशा में नए अवसर प्रस्तुत करते हैं।
इसके पहले भी डॉ. मुकुल सैन को अपने पीएच.डी. कार्य पर राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय सम्मेलनों और सेमिनारों में प्रस्तुतियों के लिए सर्वश्रेष्ठ पोस्टर और ओरल प्रेजेंटेशन के 6 पुरस्कार मिल चुके हैं। जीबी पंत विश्वविद्यालय, पंतनगर ने इस अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन का मंच प्रदान किया, जिसका थीम था, ‘चुनौतियाँ और अवसर : कृषि और संबद्ध विज्ञान के माध्यम से सतत भविष्य की ओर’। इस सम्मेलन में दुनिया भर के वैज्ञानिक, शिक्षाविद् और उद्योग विशेषज्ञ शामिल हुए, जिससे डॉ. मुकुल सैन का सम्मान और भी प्रतिष्ठित बन गया। पुरस्कार प्राप्त करते समय डॉ. मुकुल सैन ने अपने मार्गदर्शक, डॉ. पी. एस. मिन्ज़, वरिष्ठ वैज्ञानिक (डेयरी इंजीनियरिंग), एनडीआरआई, करनाल, अपने पीएच.डी. सलाहकार समिति, मित्रों और परिवार का हृदय से आभार व्यक्त किया। उन्होंने सीडीएसटी-राजुवास के डीन और अपने सहकर्मियों के निरंतर समर्थन के लिए भी धन्यवाद किया।
डॉ. मुकुल सेन वेटरनरी यूनिवर्सिटी बीकानेर में हैं। इन्होने भेड़, ऊंटनी और गधी के दूध से ड्रिंक तैयार किया है।

