आसाराम बापू को राजस्थान हाईकोर्ट से 6 महीने की अंतरिम बेल


जोधपुर , 29 अक्टूबर 2025 को राजस्थान हाईकोर्ट (जोधपुर) ने नाबालिग से रेप के दोषी स्वघोषित संत आसाराम बापू को स्वास्थ्य आधार पर 6 महीने की अंतरिम बेल प्रदान की है। यह फैसला कार्यवाहक चीफ जस्टिस संजीव प्रकाश शर्मा और जस्टिस संगीता शर्मा की डिवीजन बेंच ने सुनाया। आसाराम, जो 2018 से जोधपुर सेंट्रल जेल में उम्रकैद की सजा काट रहे हैं, की याचिका पर सभी पक्षों की दलीलें सुनने के बाद यह राहत दी गई।




मुख्य बिंदु



कारण: आसाराम (84 वर्षीय) की बिगड़ती सेहत, जिसमें हृदय रोग, किडनी समस्याएं और अन्य पुरानी बीमारियां शामिल हैं। जेल में उचित इलाज संभव न होने का हवाला देकर वकील देवदत्त कमाट और यशपाल सिंह राजपुरोहित ने पैरवी की। मेडिकल रिपोर्ट्स में प्राइवेट हॉस्पिटल में निरंतर इलाज की जरूरत बताई गई।
शर्तें
- बेल केवल मेडिकल ट्रीटमेंट के लिए। आसाराम सार्वजनिक सभाएं, प्रवचन या धार्मिक गतिविधियां नहीं कर सकेंगे।
- सबूतों से छेड़छाड़ या भक्तों से मुलाकात पर सख्त पाबंदी।
- 6 महीने बाद सरेंडर करना होगा या आगे की राहत के लिए याचिका दायर करनी होगी।
- फिलहाल वे प्राइवेट हॉस्पिटल में भर्ती हैं और न्यायिक निगरानी में रहेंगे।
आसाराम केस की पृष्ठभूमि
आसाराम 2013 के मामले में दोषी ठहराए गए, जहां उन्होंने अपने आश्रम में एक 16 वर्षीय लड़की का बलात्कार किया। जनवरी 2025 में सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात केस में 7.5 महीने की अंतरिम बेल दी थी, जो अगस्त में समाप्त हुई। सरेंडर के बाद राजस्थान HC में याचिका दायर की गई थी।
अदालत ने आसाराम की उम्र, स्वास्थ्य स्थिति और पिछले 12 वर्षों से जेल में होने के आधार पर यह राहत प्रदान की। आसाराम वर्तमान में एक निजी अस्पताल में इलाजरत हैं।
आसाराम की ओर से सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता देवदत्त कामत और अधिवक्ता यशपाल सिंह राजपुरोहित ने पैरवी की। उन्होंने कोर्ट के समक्ष दलील दी कि आसाराम लंबे समय से बीमार हैं और जेल में रहकर उनका समुचित इलाज संभव नहीं है। ऐसे में बिना कस्टडी के जमानत मिलने से उनके उपचार में राहत मिल सकेगी। राजस्थान हाईकोर्ट से मिली इस अंतरिम जमानत के बाद अब आसाराम को छह महीने तक जेल में नहीं रहना होगा। अदालत के फैसले की जानकारी मिलते ही उनके समर्थकों में खुशी की लहर दौड़ गई।
विरोध और प्रतिक्रियाएं
राज्य सरकार (एडिशनल एडवोकेट जनरल दीपक चौधरी) और पीड़िता के वकील पीसी सोलंकी ने विरोध किया, दलील दी कि सेहत स्थिर है और पहले भी बेल के दौरान अनियमितताएं हुईं।
पीड़िता के पिता ने चिंता जताई: “वे परिवार को कुछ भी कर सकते हैं।”
सोशल मीडिया पर बहस: समर्थक इसे न्यायोचित बता रहे हैं, जबकि आलोचक इसे अपराधी को छूट मान रहे हैं। X पर #AsaramBail ट्रेंड कर रहा है, जहां एक पोस्ट में लिखा गया: “आसाराम बापू को राजस्थान हाईकोर्ट ने 6 महीने की बेल दी!” कोर्ट ने स्पष्ट किया कि अपराध की गंभीरता कम नहीं हुई, बेल केवल स्वास्थ्य के लिए है।








