नारी विमर्श और मनोविज्ञान का तलपट’- नगेन्द्र किराड़ू के राजस्थानी उपन्यास ‘कबीरा सोई पीर है’ पर बीकानेर में विशेषज्ञों का मंथन


बीकानेर, 10 नवंबर । प्रज्ञालय संस्थान एवं राजस्थानी युवा लेखक संघ द्वारा आलोचना विधा और पुस्तक संस्कृति को समर्पित ‘पुस्तकालोचन कार्यक्रम’ की पाँचवीं कड़ी स्थानीय लक्ष्मीनारायण रंगा सृजन सदन में आयोजित हुई। इस बार कथाकार-उपन्यासकार एवं चित्रकार नगेन्द्र किराड़ू के राजस्थानी उपन्यास ‘कबीरा सोई पीर है’ पर गहन विचार-विमर्श किया गया।
उपन्यास पर विशेषज्ञों के विचार
कमल रंगा (अध्यक्ष): वरिष्ठ साहित्यकार-आलोचक कमल रंगा ने कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए कहा कि किराड़ू का यह उपन्यास नारी विमर्श एवं मनोविज्ञान का तलपट है। उपन्यास नारी अस्मिता और उसके जीवन के विभिन्न संघर्षों के आयामों को अनूठे शिल्प में ढालता है। उन्होंने राजस्थानी उपन्यास विधा की समृद्ध यात्रा को भी रेखांकित किया।



डॉ. उमाकान्त गुप्त (मुख्य अतिथि): वरिष्ठ आलोचक एवं शिक्षाविद् डॉ. उमाकान्त गुप्त ने कहा कि ‘कबीरा सोई पीर है’ जमीन से जुड़ा है और चेतना को झकझोरता है। उन्होंने कहा कि यह उपन्यास स्त्री विमर्श की दिशा को खोलते हुए पात्रों में राजस्थानी की मूल चेतना को सशक्त शब्द देता है। उन्होंने प्रज्ञालय संस्थान के नवाचार की सराहना की।



अशोक व्यास (मुख्य वक्ता): वरिष्ठ शिक्षाविद् एवं आलोचक अशोक व्यास ने कहा कि उपन्यास में महिलाओं के प्रति विद्रूपता एवं विसंगतियों का मनोवैज्ञानिक विश्लेषणात्मक विवरण प्रस्तुत किया गया है।
राजाराम स्वर्णकार और आत्माराम भाटी: संवादी राजाराम स्वर्णकार ने इसे नारी की पीड़ा को स्वर देने वाला महत्त्वपूर्ण उपन्यास बताया, जबकि व्यंग्यकार आत्माराम भाटी ने इसमें महिलाओं के प्रति समाज की सोच में व्याप्त विडम्बनाओं पर चोट किए जाने की बात कही।
उपन्यासकार नगेन्द्र किराड़ू ने अपनी रचना प्रक्रिया साझा करते हुए सफल आयोजन के लिए आयोजकों का साधुवाद किया और अपने अगले उपन्यास के बारे में भी बात की। कार्यक्रम का संचालन युवा कवि गिरिराज पारीक ने किया और आभार प्रदर्शन वरिष्ठ इतिहासविद् डॉ. फारूक चौहान ने किया।








