गांधी जी का ‘तावीज’ याद करिए: मनोज झा का सांसदों को भावुक पत्र, मनरेगा की जगह नए बिल का विरोध

shreecreates
quicjZaps 15 sept 2025

नई दिल्ली, 18 दिसम्बर। राष्ट्रीय जनता दल (RJD) के राज्यसभा सांसद और पार्टी के प्रमुख रणनीतिकार मनोज झा ने केंद्र सरकार द्वारा मनरेगा (MGNREGA) को समाप्त कर उसकी जगह ‘विकसित भारत गारंटी फॉर रोजगार एंड आजीविका मिशन (ग्रामीण) विधेयक, 2025’ लाने के प्रस्ताव पर तीखा विरोध दर्ज कराया है। इस विषय को लेकर उन्होंने संसद के सभी सदस्यों को एक खुला पत्र लिखा है, जिसमें उन्होंने दलगत राजनीति से ऊपर उठकर गरीब और वंचित वर्ग के अधिकारों के लिए एकजुट होने की अपील की है।
गांधी जी के ‘तावीज’ से नैतिक अपील
मनोज झा ने अपने पत्र की शुरुआत बेहद भावनात्मक और प्रभावशाली ढंग से महात्मा गांधी के प्रसिद्ध ‘तावीज’ के उल्लेख के साथ की है। उन्होंने सांसदों को याद दिलाया कि कोई भी नीतिगत निर्णय लेते समय हमें समाज के सबसे अंतिम और सबसे कमजोर व्यक्ति के चेहरे को याद करना चाहिए। “हममें से कई लोगों ने स्कूल की किताबों में गांधी जी का यह संदेश पढ़ा है। कोई भी फैसला लेने से पहले हमें सोचना चाहिए कि क्या यह निर्णय उस सबसे गरीब व्यक्ति के जीवन में कोई सकारात्मक बदलाव लाएगा? मैं इसी नैतिक सिद्धांत के आधार पर आपसे यह अपील कर रहा हूँ।”
मनरेगा बनाम नया विधेयक: चिंताएं और विरोध
सांसद मनोज झा का मुख्य तर्क यह है कि मनरेगा ग्रामीण भारत के करोड़ों परिवारों के लिए केवल एक योजना नहीं, बल्कि ‘जीवन रेखा’ है। केंद्र सरकार द्वारा प्रस्तावित ‘विकसित भारत गारंटी फॉर रोजगार एंड आजीविका मिशन (ग्रामीण) विधेयक, 2025’ को लेकर उन्होंने निम्नलिखित चिंताएं जताई हैं:

indication
L.C.Baid Childrens Hospiatl

अधिकारों का हनन: उन्हें डर है कि नए बिल के प्रावधान मनरेगा की मूल ‘काम के अधिकार’ वाली कानूनी गारंटी को कमजोर कर सकते हैं।

pop ronak

वंचितों पर प्रभाव: पत्र में कहा गया है कि मनरेगा को बंद करने का सबसे बुरा असर उन मजदूरों और दलित-पिछड़े वर्गों पर पड़ेगा जिनके पास आजीविका का कोई दूसरा साधन नहीं है।

संसदीय एकजुटता की मांग: उन्होंने सभी सांसदों से आग्रह किया है कि वे इस प्रस्तावित कानून पर गंभीरता से पुनर्विचार करें और संसद के भीतर इसका कड़ा विरोध करें।
तेजस्वी यादव की पार्टी का कड़ा रुख
बिहार की राजनीति में तेजस्वी यादव पहले ही रोजगार के मुद्दे को प्रमुखता से उठाते रहे हैं। अब मनोज झा के इस पत्र ने इस मुद्दे को राष्ट्रीय स्तर पर और अधिक हवा दे दी है। आरजेडी का मानना है कि विकसित भारत के नाम पर मौजूदा कल्याणकारी योजनाओं के बुनियादी ढांचे से छेड़छाड़ करना गरीबों के साथ अन्याय होगा।
===================

भीखाराम चान्दमल 15 अक्टूबर 2025
mmtc 2 oct 2025

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *