ऐतिहासिक स्रोतों को पढ़ने में AI के उपयोग पर शोध पत्र प्रस्तुत


बीकानेर \ जोधपुर , 18 दिसम्बर।’राजस्थान इतिहास कांग्रेस’ का 39वां वार्षिक अधिवेशन सूर्य नगरी जोधपुर के ऐतिहासिक मेहरानगढ़ दुर्ग स्थित चोकेलाव सभागार में सफलतापूर्वक संपन्न हुआ। 15-16 दिसम्बर को आयोजित इस दो दिवसीय समागम में देश भर के प्रख्यात इतिहासकारों ने राजस्थान के गौरवशाली अतीत और उसे सहेजने की आधुनिक तकनीकों पर मंथन किया।


इतिहास और तकनीक: राजस्थान के स्रोतों पर ए.आई. शोध


अधिवेशन के दौरान डॉ. नितिन गोयल (वरिष्ठ अनुसंधान अधिकारी) द्वारा प्रस्तुत शोध पत्र आकर्षण का केंद्र रहा। उनके शोध का विषय “राजस्थान इतिहास स्रोतों के अध्ययन में ए.आई. (कृत्रिम बुद्धिमत्ता) के प्रयोग एवं चुनौतियां” था।
डॉ. गोयल ने अपने शोध पत्र के माध्यम से निम्नलिखित महत्वपूर्ण बिंदुओं पर प्रकाश डाला:
डिजिटलीकरण: राजपूताना के प्राचीन हस्तलिखित ऐतिहासिक स्रोतों को डिजिटल प्रारूप में बदलने की प्रक्रिया।
ए.आई. की भूमिका: कृत्रिम बुद्धिमत्ता का उपयोग कर कठिन हस्तलिपियों और प्राचीन दस्तावेजों को पढ़ने एवं उनका विश्लेषण करने की तकनीक।
चुनौतियां: पुरानी लिपि को सटीक रूप से पहचानने में आने वाली तकनीकी बाधाओं और डेटा की सटीकता पर विस्तृत चर्चा।
प्रतिष्ठित अतिथियों की उपस्थिति और संबोधन
अधिवेशन का आयोजन भारतीय इतिहास अनुसंधान परिषद (ICHR), दिल्ली एवं महाराजा मानसिंह पुस्तक प्रकाश शोध संस्थान, जोधपुर के संयुक्त तत्वाधान में किया गया।
मुख्य संबोधन: ICHR के अध्यक्ष एवं पद्मश्री प्रो. रघुवेन्द्र तंवर ने वर्ष 1947 में जम्मू-कश्मीर के अधिग्रहण के ऐतिहासिक पहलुओं पर मुख्य व्याख्यान दिया।
समापन समारोह: दो दिवसीय आयोजन के समापन सत्र की अध्यक्षता जोधपुर के पूर्व नरेश महाराजा गजसिंह ने की।
नई खोजों का प्रदर्शन
इस वार्षिक अधिवेशन का मुख्य उद्देश्य इतिहास के क्षेत्र में प्रतिवर्ष होने वाली नई खोजों को शोधकर्ताओं के समक्ष प्रदर्शित करना है। इस बार भी अन्य राज्यों से आए इतिहासकारों ने विभिन्न नवीन तथ्यों को साझा किया, जिससे राजस्थान और भारत के इतिहास को समझने की नई दिशाएं प्रशस्त हुईं।








