बीकानेर में शहीद अशफ़ाक़ उल्लाह ख़ां की 98वीं शहादत पर भव्य आयोजन; ‘हसरत’ के कलाम से गूंजी फिजा


बीकानेर, 20 दिसंबर। अमर शहीद अशफ़ाक़ उल्लाह ख़ां वारसी ‘हसरत’ के 98वें यौमे शहादत (शहादत दिवस) के अवसर पर बीकानेर में देशभक्ति और सांप्रदायिक सौहार्द का अनूठा संगम देखने को मिला। फ्रेंड्स एकता संस्थान, राजस्थान द्वारा आयोजित तीन दिवसीय समारोह के पहले दिन नगर के रचनाकारों ने शहीद की अमर रचनाओं का वाचन किया और उनके प्रेरक व्यक्तित्व पर प्रकाश डाला।


साझी संस्कृति और कौमी एकता का पैगाम
समारोह की अध्यक्षता करते हुए वरिष्ठ व्यंग्यकार बुलाकी शर्मा ने शहीद अशफ़ाक़ उल्लाह ख़ां और पंडित राम प्रसाद बिस्मिल की अटूट मित्रता को याद किया। उन्होंने कहा कि “इन दोनों शहीदों ने सांप्रदायिक एकता की जो मिसाल पेश की, आज उसी रास्ते पर चलते हुए हमें अपनी साझा संस्कृति की रक्षा करनी होगी।” मुख्य अतिथि शाइर इरशाद अज़ीज़ ने भावुक होते हुए कहा कि शहीद हमेशा लोगों के दिलों में जीवित रहते हैं और हर हिंदुस्तानी का यह कर्तव्य है कि वह शहीदों के परिवारों का भी सम्मान और ध्यान रखे। विशिष्ट अतिथि वरिष्ठ कवि जुगल किशोर पुरोहित ने संस्थान के इस प्रयास की सराहना करते हुए इसे नई पीढ़ी के लिए प्रेरणादायक बताया।
हसरत” का साहित्य और क्रांतिकारी व्यक्तित्व
मुफ्ती अशफ़ाक़ उल्ला गौरी मंज़री ने शहीद के व्यक्तित्व और कृतित्व पर विस्तार से चर्चा की। उन्होंने कहा कि “अशफ़ाक़ उल्लाह एक ऐसे निडर योद्धा थे जिन्होंने हंसते-हंसते फांसी के फंदे को चूम लिया। युवाओं को उनके बलिदान से प्रेरणा लेनी चाहिए।” कार्यक्रम के दौरान शहीद अशफ़ाक़ उल्लाह ख़ां वारसी ‘हसरत’ के लिखे कलाम (कविता) का वाचन किया गया। मनीषा आर्य सोनी, क़ासिम बीकानेरी, सागर सिद्दीक़ी और मोहम्मद मुईन ने जब शहीद की रचनाएं पेश कीं, तो श्रोता ‘वाह-वाह’ करने पर मजबूर हो गए और पूरा हॉल तालियों की गड़गड़ाहट से गूंज उठा।


दो दशकों से जारी है यादों का सिलसिला
संस्थान के अध्यक्ष वली मोहम्मद ग़ौरी और कार्यक्रम समन्वयक कमल रंगा ने बताया कि फ्रेंड्स एकता संस्थान पिछले दो दशकों से शहीदों की याद में ऐसे कार्यक्रम आयोजित कर रहा है। कार्यक्रम प्रभारी क़ासिम बीकानेरी ने कहा कि इतनी कम उम्र में देश के लिए समर्पित होने की मिसाल विरल है। वरिष्ठ कवि राजेंद्र जोशी ने स्वागत उद्बोधन में कहा कि वर्तमान समय में ऐसे आयोजन कौमी एकता की जड़ों को मजबूत करने के लिए अनिवार्य हैं।
प्रबुद्धजनों की गरिमामय उपस्थिति
समारोह में राजेश मोहता(जोधपुर),मधुरिमा सिंह, अब्दुल शकूर बीकाणवी, प्रोफ़ेसर डॉ.नृसिंह बिन्नानी, सौरभ कश्यप,शमीम अहमद ‘शमीम’ ,इंद्रा व्यास एवं राजाराम स्वर्णकार ने अपने विचार पेश किए और शहीद अशफ़ाक़ उल्लाह ख़ां वारसी को अपनी श्रद्धांजलि अर्पित की।
समारोह में डॉ.अजय जोशी, गिरिराज पारीक,हरिकृष्ण व्यास, एडवोकेट गंगा बिशन बिश्नोई ‘ब्रह्मा’, मोहम्मद जावेद,शिव प्रकाश शर्मा, एन.के. आचार्य, महबूब अली महबूब, साहिल सहित अनेक प्रबुद्धजन मौजूद थे। संस्थान की तरफ से समस्त अतिथियों को स्मृति चिन्ह भेंट किए गए। अंत में आभार संस्कृतिकर्मी डॉ.मोहम्मद फ़ारुक़ चौहान ने ज्ञापित किया।








