राजस्थान के ‘रियल सिंघम’ IPS दिनेश एमएन की दिल्ली रवानगी की चर्चा; जेल से लेकर एनकाउंटर तक का सफर


जयपुर/बीकानेर, 20 दिसंबर। राजस्थान पुलिस के सबसे चर्चित और ‘फायरब्रांड’ अधिकारियों में शुमार IPS दिनेश एमएन (Munganahalli Narayanaswamy Dinesh) एक बार फिर राष्ट्रीय सुर्खियों में हैं। इस बार उनकी चर्चा किसी बड़े एनकाउंटर या रेड को लेकर नहीं, बल्कि उनकी संभावित केंद्रीय प्रतिनियुक्ति (Central Deputation) को लेकर हो रही है। गलियारों में चर्चा है कि राजस्थान में अपराधियों के लिए खौफ का पर्याय बन चुके इस अफसर को जल्द ही दिल्ली में कोई बड़ी और महत्वपूर्ण जिम्मेदारी दी जा सकती है।


कर्नाटक से राजस्थान तक: पहली कोशिश में IPS
मूल रूप से कर्नाटक के रहने वाले दिनेश एमएन का सफर बेहद प्रेरणादायक रहा है। इंजीनियरिंग की पढ़ाई करने के बाद उन्होंने प्रशासनिक सेवाओं का रुख किया और अपने पहले ही प्रयास में यूपीएससी (UPSC) की परीक्षा पास कर आईपीएस अधिकारी बने। उन्हें राजस्थान कैडर मिला, जहाँ उन्होंने जल्द ही यह साबित कर दिया कि वे बंद कमरों में फाइलें पलटने के बजाय फील्ड में रहकर अपराधियों का सामना करने वाले अधिकारी हैं।


डकैत राम सिंह का एनकाउंटर और ‘हंटर’ की छवि
दिनेश एमएन की पहचान एक ऐसे अफसर की है जिन्होंने करौली, सवाई माधोपुर, झुंझुनूं और उदयपुर जैसे चुनौतीपूर्ण जिलों में एसपी रहते हुए अपराध की कमर तोड़ दी। सवाई माधोपुर में उनके कार्यकाल के दौरान कुख्यात डकैत राम सिंह का एनकाउंटर हुआ, जिसने राजस्थान पुलिस की साख को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया। इसके बाद आनंदपाल सिंह जैसे बड़े गैंगस्टर्स के नेटवर्क को ध्वस्त करने में भी उनकी रणनीतियों ने अहम भूमिका निभाई। उन्हें अपराधियों के खिलाफ ‘जीरो टॉलरेंस’ नीति अपनाने के लिए जाना जाता है।
बीकानेर रेंज के आईजी (IG) के रूप में कार्यभार संभाला
बीकानेर आईजी के रूप में पदभार और कार्यकाल दिनेश एमएन ने 6 अगस्त 2018 को बीकानेर रेंज के आईजी (IG) के रूप में कार्यभार संभाला था। पदभार ग्रहण करते ही उन्होंने स्पष्ट किया था कि उनकी पहली प्राथमिकता अपराधों पर अंकुश लगाना और कानून-व्यवस्था को सुदृढ़ करना है। उनके बीकानेर आगमन को लेकर स्थानीय जनता और पुलिस महकमे में काफी उत्साह देखा गया था, क्योंकि वे इससे पहले कुख्यात गैंगस्टर आनंदपाल सिंह के एनकाउंटर (2017) का नेतृत्व कर सुर्खियों में रहे थे।
अपराध नियंत्रण और कार्यशैली बीकानेर में अपने संक्षिप्त लेकिन प्रभावी कार्यकाल के दौरान दिनेश एमएन ने पुलिस गश्त व्यवस्था को मजबूत करने और शातिर अपराधियों की धरपकड़ पर विशेष जोर दिया। उन्होंने “नाम नहीं, काम बोलता है” के सिद्धांत पर चलते हुए टीम वर्क के जरिए बीकानेर रेंज को ‘क्राइम लैस’ बनाने का लक्ष्य रखा था। बीकानेर में अपनी सेवाएँ देने के बाद, उन्हें जयपुर में आईजी इंटेलिजेंस की महत्वपूर्ण जिम्मेदारी सौंपी गई थी।
7 साल की जेल और ‘बाउंस बैक’ की कहानी
दिनेश एमएन का करियर केवल सफलताओं से ही नहीं, बल्कि भारी संघर्षों से भी भरा रहा है। सोहराबुद्दीन शेख एनकाउंटर मामले में उन्हें सात साल जेल में बिताने पड़े थे। हालांकि, लंबी कानूनी लड़ाई के बाद वे पाक साफ होकर बाहर निकले और पुलिस सेवा में वापसी की। जेल से लौटने के बाद उनका जज्बा और भी निखरा हुआ नजर आया। भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (ACB) में रहते हुए उन्होंने बड़े-बड़े रसूखदारों को सलाखों के पीछे पहुंचाकर यह साबित कर दिया कि सिस्टम में शुचिता लाने के लिए वे किसी भी हद तक जा सकते हैं।
दिल्ली पोस्टिंग के मायने
इन दिनों उनकी दिल्ली रवानगी को लेकर अटकलें तेज हैं। यदि केंद्र सरकार उनके डेपुटेशन को हरी झंडी देती है, तो वे केंद्रीय जांच एजेंसी (CBI) या राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण (NIA) जैसे महत्वपूर्ण विभागों में अपनी सेवाएं दे सकते हैं। वर्तमान में वे राजस्थान में ADG (Crime) के पद पर तैनात हैं और उनके नेतृत्व में राज्य पुलिस ने पिछले कुछ समय में गैंगस्टर्स के खिलाफ कई बड़े प्रहार किए हैं।








