तप से शरीर और आत्मा दोनों का होता है शोधन- मुनि श्री कमलकुमार


गंगाशहर, 15 दिसंबर। गंगाशहर तेरापंथ भवन में उग्रविहारी तपोमूर्ति मुनिश्री कमलकुमार जी के पावन सान्निध्य में आज तप अभिनंदन कार्यक्रम आयोजित किया गया। मुनिश्री ने अपने उद्बोधन में तपस्या के महत्व को रेखांकित करते हुए कहा कि तप से शरीर और आत्मा दोनों का शोधन होता है।


बाह्य-आभ्यन्तर तप का महत्वशोधन का मार्ग


मुनिश्री ने फरमाया कि तपस्या करने वाले साधक जाप, स्वाध्याय और सामायिक का प्रयोग करते हुए बाह्य (जैसे उपवास) और आभ्यन्तर (जैसे विनय, सेवा) दोनों प्रकार की तपस्याओं से अपनी समय और शक्ति का सदुपयोग कर रहे हैं, जिससे उनके शरीर और आत्मा दोनों का शोधन होता है।
सादगीपूर्ण अभिनंदन
उन्होंने प्रशंसा करते हुए कहा कि गंगाशहर में इस बार तपस्या के उपलक्ष्य में आडंबर नहीं किया गया और प्रायः भाई-बहनों ने 10 बजे तक ही भजन संगीत का कार्यक्रम रखकर एक मधुर माहौल बनाया।
मासखमणों और लंबी तपस्या का क्रम
मुनिश्री ने बताया कि इस बार गंगाशहर में मासखमणों (एक माह का उपवास) का अच्छा रंग खिला।
संतों का तप
संतों में भी बड़ी तपस्याएँ हुईं, जिसमें मुनि श्रेयांस कुमार जी और मुनि नमिकुमार जी ने मासखमण से बड़ी-बड़ी तपस्याएँ की।
श्रावकों का तप
श्रावक-श्राविकाओं में भी केवल 27, 29, 31 दिन की ही नहीं, बल्कि 51 और 54 दिन की लंबी तपस्याओं का क्रम देखने को मिला। वर्तमान में भी सुरेन्द्र भूरा, पवन छाजेड़, आंचल बैद जैसे श्रावक तप में लगे हुए हैं।
सम्मान व स्वागत
तेरापंथ सभा ने चतुर्मास में अठाई (आठ दिन) से ऊपर तपस्या करने वालों का साहित्य भेंट कर स्वागत किया और उनका उत्साहवर्धन किया। मुनिश्री ने विश्वास व्यक्त किया कि यह साहित्य उनके जीवन निर्माण में सहायक बनेगा।
बीकानेर में सान्निध्य
मुनिश्री कमलकुमार जी ने मुनि नमिकुमार जी के साथ बीकानेर पधार कर दुग्गड़ भवन में विराजित शासन श्री मंजू प्रभाजी और शासन श्री कुंभु श्री जी से भेंट की। मुनिश्री ने रामपुरिया मोहल्ला में दुगड़ तेरापंथ भवन में प्रवचन दिया, जिसका लाभ बीकानेर के भाई-बहनों ने समय पर उपस्थित होकर सामायिक प्रवचन का लिया। मुनि नमिकुमार जी अपनी 26 दिन की तपस्या के दौरान भी बीकानेर पधारे, उनका मनोबल देखकर सभी श्रद्धालु गद्गद् हो गए।








