रूसी सेना में जबरन भर्ती किए गए बीकानेर के छात्र, यूक्रेन युद्ध में भेजे जाने का दावा

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बीकानेर, 16 सितंबर। राजस्थान के बीकानेर जिले से रूस में एमबीबीएस की पढ़ाई के लिए गए एक छात्र ने सनसनीखेज दावा किया है कि उसे और उसके कई अन्य साथियों को रूसी सेना में जबरन भर्ती कर यूक्रेन युद्ध के मैदान में भेज दिया गया है। छात्र ने दो वीडियो जारी कर खुद को सुरक्षित बाहर निकालने की गुहार लगाई है।

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युद्ध के मैदान से जारी किए वीडियो
बीकानेर के अरजनसर गांव के निवासी छात्र अजय कुमार ने वीडियो में रूसी सेना की वर्दी में नजर आ रहे हैं। उन्होंने बताया कि उन्हें और उनके साथियों को किसी काम के लिए एक सेना कैंप में बुलाया गया और वहां से सीधे युद्ध के लिए रवाना कर दिया गया। अजय का दावा है कि उनके एक साथी की युद्ध में मौत भी हो चुकी है। अजय के अनुसार, वह नवंबर 2024 में एमबीबीएस की पढ़ाई के लिए रूस गए थे। उन्हें और उनके कुछ दोस्तों (संदीप, विजय, अंकित) को तीन महीने की ‘ट्रेनिंग’ के लिए भेजा गया, जिसके बाद उन्हें युद्ध में जाने के लिए मजबूर किया गया।

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पहले वीडियो में, अजय ने बताया कि उन्हें कहा गया कि उन्हें हर हाल में युद्ध के मैदान में उतरना होगा और घरवालों से बात करने का यह आखिरी मौका है। उन्होंने आशंका जताई कि यह उनका अंतिम वीडियो हो सकता है।

दूसरे वीडियो में, अजय ने बताया कि वह पांच दिन बाद एक ट्रक में आए हैं और उन पर हवाई हमले हुए हैं। उन्होंने दावा किया कि वे चार लोग थे, जिनमें से एक की मौत हो गई, दो भाग गए और वह रास्ता भटक गया। आठ दिन बाद उन्हें उनकी बटालियन ने ढूंढकर सेना पुलिस को सौंपा। फिलहाल, वह यूक्रेन के सेलिडोज शहर में हैं, जिस पर रूस का कब्जा है। उन्होंने कहा कि उनके साथ धोखा हुआ है।

माता-पिता ने भारत सरकार से लगाई गुहार
अजय के माता-पिता, महावीर प्रसाद और कलावती देवी, सदमे में हैं। कलावती देवी ने कहा, “वह मेरा इकलौता बेटा है और उसे झांसे से सेना में भर्ती कर लिया गया।” उनके पिता ने बताया कि अजय को अच्छी खासी रकम का लालच देकर भर्ती किया गया था और उसे यूक्रेन बॉर्डर पर किचन का काम करने के लिए बुलाया गया था, लेकिन सीधे युद्ध में उतार दिया गया। अजय के परिजनों का कहना है कि पिछले 15 दिनों से उनका बेटे से कोई संपर्क नहीं हुआ है। उन्होंने भारत सरकार से जल्द से जल्द उनके बेटे को सुरक्षित वापस लाने की अपील की है।

रूस-यूक्रेन युद्ध में एक बार फिर भारतीयों के रूसी सेना में शामिल करने और जबरन फ्रंटलाइन पर भेजे जाने का मामला सामने आया है। द हिंदू ने दो भारतीय नागरिकों के हवाले से बताया है कि वे यूक्रेन के युद्ध क्षेत्र में फंस गए हैं, जहां उन्हें रूसी सेना में सेवा देने के लिए मजबूर किया जा रहा है। दोनों नागरिकों ने बताया कि उनके साथ कम से कम 13 और भारतीय थे। यह घटनाक्रम तब सामने आया है, जब पीएम मोदी और व्लादिमीर पुतिन के बीच बैठक के दौरान रूसी सेना में भारतीयों की भर्ती का मुद्दा उठाया जा चुका है। पुतिन ने भारत को इस बारे में आश्वासन भी दिया था।

ताजा रिपोर्ट के अनुसार, यूक्रेन मोर्चे पर भेजे गए सभी भारतीय पिछले छह महीने में छात्र का विजिटर वीजा पर मॉस्को गए थे। एक एजेंट उन्हें काम का झांसा देकर ले गया था, लेकिन उन्हें युद्ध क्षेत्र में पहुंचा दिया गया। दोनों व्यक्तियों ने यूक्रेन के सेलीडोव से फोन के जरिए अपने बारे में जानकारी दी है। वे वहां एक बिल्डिंग में रह रहे हैं। यूक्रेन के डोनेट्स्क क्षेत्र के प्रमुख शहर सेलीडीव पर रूस ने नवम्बर 2024 नियंत्रण का दावा किया था।

रूसी एजेंट ने झांसा देकर फंसाया
जम्मू निवासी 22 साल के सुमित शर्मा ने बताया कि वह लगभग 6 महीने पहले रूस आए थे और मॉस्को स्टेट लिग्विस्टिक यूनिवर्सिटी में पढ़ाई कर रहे थे। शर्मा ने हिंदू को बताया कि वह पैसे कमाने के लिए छोटा-मोटा काम ढूढ़ रहे थे, उसी दौरान एक महिला ने उनसे संपर्क किया। महिला ने उनसे निर्माण कार्य दिलाने का भरोसा दिया था। उन्होंने बताया कि उनसे कुछ कागजों पर हस्ताक्षर करवाए और रूसी सेना में भर्ती कर लिया गया। बिना प्रशिक्षण के उन्हें यूक्रेन के कब्जे वाले इलाके में लाया गया और अब जाने नहीं दिया जा रहा।

भारतीय विदेश मंत्रालय ने जारी किया बयान
ताजा मामले पर भारतीय विदेश मंत्रालय ने प्रतिक्रिया दी है। इसने कहा कि ‘हमने हाल ही में रूसी सेना में भारतीय नागरिकों की भर्ती की खबरें देखी हैं। सरकार ने पिछले एक साल में कई मौकों पर इस तरह की कार्रवाई में मौजूद जोखिमों और खतरों को रेखांकित किया है और भारतीय नागरिकों को आगाह किया है। हमने दिल्ली और मॉस्को दोनों जगह पर रूसी अधिकारियों के साथ भी इस मामले को उठाया है और कहा है कि इस प्रथा को रोका जाए और हमारे नागरिकों को रिहा किया जाए। हम प्रभावित परिवारों के संपर्क में हैं।’

 

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