बीकानेर में नहरी पानी के लिए कांग्रेस का धरना शुरू: ‘इंदिरा गांधी नहर में पानी होने के बावजूद खेत सूख रहे’



बीकानेर, 18 अगस्त: बीकानेर में इंदिरा गांधी नहर में पर्याप्त पानी होने के बावजूद किसानों को सिंचाई के लिए पानी न मिलने को लेकर कांग्रेस ने सोमवार को कलेक्टर कार्यालय के बाहर धरना प्रदर्शन शुरू कर दिया। कांग्रेस ने चेतावनी दी है कि यदि किसानों की समस्या का समाधान नहीं हुआ, तो वे एक बड़ा आंदोलन करेंगे। सैकड़ों किसान कलेक्टर कार्यालय के बाहर कर्मचारी मैदान में जुटे हुए हैं।
‘पानी दो-पानी दो’ के नारे गूंजे
धरने को संबोधित करते हुए पूर्व मंत्री भंवर सिंह भाटी ने कहा कि बीकानेर संभाग के किसानों को नहरी पानी और बिजली की भारी किल्लत का सामना करना पड़ रहा है, जिससे फसलें सूखने की कगार पर हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि पोंग डैम में पर्याप्त पानी होने के बावजूद हरिके बैराज का वाटर लेवल नहीं बढ़ाया जा रहा, जिससे किसानों को पानी कम मिल रहा है। भाटी ने कहा कि यदि स्थिति नहीं सुधरी तो आंदोलन तेज किया जाएगा।
धरने में शामिल किसान लगातार ‘पानी दो-पानी दो’, ‘बिजली पानी दे ना सके, वो सरकार निकम्मी है’ और ‘जो सरकार निक्कमी है उस सरकार को बदलना है’ जैसे नारे लगा रहे हैं। बड़ी संख्या में कांग्रेस कार्यकर्ता और किसान रैली के रूप में कलेक्ट्रेट परिसर पहुँच रहे हैं।




भाजपा विधायक ने रखी सरकार के सामने मांग


उधर, राज्य सरकार की तरफ से खाजूवाला विधायक डॉ. विश्वनाथ मेघवाल ने भी किसानों की इस मांग को गंभीरता से लिया है। उन्होंने रविवार को खाजूवाला दौरे के दौरान किसानों द्वारा सिंचाई पानी को 4 में से 2 समूह में चलाने की मांग रखे जाने के बाद सिंचाई मंत्री सुरेश रावत और चीफ इंजीनियर अमरजीत मेहरड़ा से फोन पर बातचीत की।
यह भी दावा किया जा रहा है कि मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा के खाजूवाला दौरे पर केंद्रीय मंत्री अर्जुनराम मेघवाल और विधायक डॉ. विश्वनाथ मेघवाल ने मुख्यमंत्री से किसानों की रबी फसलों को पकाने के लिए 2 समूह में नहरें चलाने की मांग की थी।
किसानों की मुख्य मांगें
किसानों का कहना है कि जब पोंग डैम में 1380 फीट का जल स्तर है और हर रोज एक लाख क्यूसेक पानी आ रहा है, तो फिर उन्हें पानी कम क्यों मिल रहा है? वर्तमान में हिरके बैराज से राजस्थान कैनाल में 13 हजार 795 क्यूसेक पानी छोड़ा जा रहा है, फिर भी किसानों को तीन बारी में पानी दिया जा रहा है। किसानों की मांग है कि नहर को चार भागों में विभक्त करके दो-दो बारी पानी दिया जाए, जैसा कि पहले 12 हजार पांच सौ क्यूसेक पानी में भी किया जाता रहा है। कांग्रेस नेता भाटी का आरोप है कि पोंग डैम से अतिरिक्त पानी पाकिस्तान में छोड़ा जा रहा है, करीब एक लाख क्यूसेक पानी हर रोज पाकिस्तान जा रहा है, जबकि राजस्थान के किसानों को उनका पूरा हक नहीं मिल रहा। इसी मुद्दे को लेकर कांग्रेस ने यह आंदोलन छेड़ा है।
थार एक्सप्रेस का विश्लेषण
बीकानेर में इंदिरा गांधी नहर के पानी को लेकर किसानों का आंदोलन शुरू हो गया है। यह मुद्दा कई कारणों से जटिल है:
पर्याप्त पानी होने के बावजूद वितरण में कमी: किसानों और कांग्रेस का आरोप है कि पोंग डैम में पर्याप्त जल स्तर (1380 फीट) होने और प्रतिदिन बड़ी मात्रा में पानी (एक लाख क्यूसेक) आने के बावजूद, पश्चिमी राजस्थान के किसानों को सिंचाई के लिए पर्याप्त पानी नहीं मिल रहा है। उनका कहना है कि हरिके बैराज का वाटर लेवल बढ़ाकर अधिक पानी राजस्थान नहर में छोड़ा जा सकता है।
पाकिस्तान को पानी छोड़े जाने का आरोप: पूर्व मंत्री भंवर सिंह भाटी का दावा है कि पोंग डैम से अतिरिक्त पानी पाकिस्तान की ओर छोड़ा जा रहा है, जबकि राजस्थान के किसानों के खेत सूख रहे हैं। यह आरोप एक संवेदनशील राजनीतिक मुद्दा बन गया है।
वितरण प्रणाली में अनियमितताएँ: किसान विशेष रूप से ‘चार में दो बारी’ पानी देने की मांग कर रहे हैं, जिसका अर्थ है कि नहर को चार खंडों में विभाजित करके, दो खंडों को एक साथ पानी मिले। उनका तर्क है कि पहले भी 12,500 क्यूसेक पानी में यह व्यवस्था लागू थी, जबकि अब 13,795 क्यूसेक पानी मिलने पर भी उन्हें पर्याप्त पानी नहीं मिल रहा।
फसलों की बर्बादी का खतरा: बारिश की कमी और नहरी पानी की अपर्याप्त आपूर्ति के कारण, रबी की फसलें सूखने की कगार पर हैं, जिससे किसानों को भारी आर्थिक नुकसान का डर है।
राजनीतिकरण: कांग्रेस ने इस मुद्दे को भाजपा सरकार के खिलाफ एक बड़े राजनीतिक आंदोलन में बदल दिया है, जिसमें बिजली की कमी को भी शामिल किया गया है। वहीं, स्थानीय भाजपा विधायक भी किसानों की मांगों के समर्थन में सामने आए हैं, जिससे यह मुद्दा और गहरा हो गया है।
भूतकाल में भी मुद्दे: यह पहली बार नहीं है जब इंदिरा गांधी नहर के पानी को लेकर विरोध प्रदर्शन हुए हैं। बीकानेर और श्रीगंगानगर जिलों में किसान पहले भी पानी की कमी को लेकर हाईवे जाम कर चुके हैं। अतीत में नहर में दूषित पानी छोड़े जाने के मामले भी सामने आए हैं, जिससे स्वास्थ्य और सिंचाई दोनों पर असर पड़ा है।
यह दर्शाता है कि पानी का वितरण केवल तकनीकी मुद्दा नहीं, बल्कि एक जटिल सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक समस्या है, जिसे स्थायी समाधान की आवश्यकता है।