शिक्षा अधिकारियों पर नियम विरुद्ध कार्रवाइयों पर रोक की मांग


- राजस्थान शिक्षक संघ राष्ट्रीय ने मुख्यमंत्री को भेजा पत्र
बीकानेर , 14 जुलाई । राजस्थान शिक्षक संघ राष्ट्रीय ने मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा को पत्र लिखकर शिक्षा अधिकारियों के खिलाफ नियम विरुद्ध कार्रवाइयों पर रोक लगाने और गैर जिम्मेदार अधिकारियों पर अंकुश लगाने की मांग की है। संगठन ने दोषी अधिकारियों पर सख्त कार्रवाई करने की भी मांग की है, ताकि भविष्य में इस प्रकार के नोटिस जारी होने पर रोक लग सके। शिक्षा विभाग के कार्यों में बाधा- प्रदेश महामंत्री महेंद्र कुमार लखारा ने बताया कि संगठन हमेशा राष्ट्रहित और समाज हित में कार्य करता रहा है। उन्होंने कहा कि पूरा शिक्षा विभाग राज्य द्वारा सौंपे गए सभी राष्ट्रहित के कार्यों को निष्पादित करने में सतत लगा हुआ है। इसके बावजूद, प्रदेश में कई उपखंड अधिकारियों द्वारा शिक्षा विभाग की कार्यप्रणाली और व्यवस्थाओं की जानकारी के बिना विद्यालयों का निरीक्षण किया जा रहा है और शिक्षा विभागीय कार्यों में बाधा उत्पन्न की जा रही है। साथ ही, नियमानुसार विभागीय कार्य संपादित कर रहे शिक्षकों और शिक्षा विभागीय अधिकारियों (जैसे प्रधानाचार्य, सीबीईओ, जिला शिक्षा अधिकारी आदि) को राजस्थान सिविल सेवा (वर्गीकरण, नियंत्रण एवं अपील) नियम-1958 के नियम-17 के तहत आरोप पत्र जारी किए जा रहे हैं, जो अनुचित और विधिक शून्य हैं।




दोहरा रवैया और गैर-शैक्षणिक कार्यों का बोझ
प्रदेश अध्यक्ष रमेश चंद्र पुष्करणा ने कहा कि प्रदेश के अलग-अलग भागों में हाल ही में घटित कुछ घटनाओं से इन अधिकारियों की संवेदनहीनता और विभागीय कार्यप्रणाली से अज्ञानता स्पष्ट होती है। उन्होंने उदाहरण देते हुए बताया कि हाल ही में उपखंड अधिकारी एवं उपखंड मजिस्ट्रेट गोगुंदा ने राउमावि ओबरा कलां, उदयपुर का निरीक्षण कर वहां कार्यरत शिक्षकों को प्रवेश, टीसी (स्थानांतरण प्रमाण पत्र) एवं वेतन बिल का कार्य करने, निःशुल्क पाठ्यपुस्तकों का वितरण करने जैसे शिक्षा विभागीय कार्यों को निष्ठापूर्वक कर रहे शिक्षकों और प्रधानाचार्य को ‘गैर शैक्षणिक और राजकीय कार्य के प्रति लापरवाही व उदासीनता’ करार देते हुए नियम-17 के तहत आरोप पत्र जारी किया। इसी तरह का प्रकरण उपखंड अधिकारी एवं उपखंड मजिस्ट्रेट पूगल द्वारा जारी पत्र से भी सामने आया है।


प्रदेश वरिष्ठ उपाध्यक्ष रवि आचार्य ने कहा कि प्रदेश के कई जिलों में कार्यरत शिक्षकों से मिली जानकारी के अनुसार, संगठन के संज्ञान में आए दिन ऐसे प्रकरण सामने आते हैं, जिनमें अधिकारियों का दोहरा रवैया भी दिखता है। एक ओर विद्यालय के आवश्यक और नियमित कार्यों को ‘गैर शैक्षणिक’ मानकर नोटिस दिए जा रहे हैं, तो दूसरी ओर उपखंड अधिकारियों के माध्यम से ही शिक्षकों को बीएलओ (बूथ लेवल ऑफिसर) नियुक्त किया जाकर प्रतिदिन बीएलओ ऐप पर ऑनलाइन कार्य, सर्वे, खाद्य सुरक्षा योजना में आवेदनकर्ताओं का भौतिक सत्यापन जैसे गैर शैक्षणिक कार्यों को करने के लिए मजबूर किया जाता है, जिनका शिक्षा विभाग से कोई लेना-देना नहीं है। फिर भी, इस कार्य में मामूली देरी पर कई शिक्षकों को नोटिस जारी कर प्रताड़ित किया जाता है।
मुख्यमंत्री से हस्तक्षेप की मांग
संगठन ने मुख्यमंत्री से पत्र के माध्यम से नियमानुसार दोषी अधिकारियों के विरुद्ध कार्रवाई करने, दोनों ही आरोप पत्रों को वापस लेने, और उपखंड अधिकारियों द्वारा शिक्षा अधिकारियों पर नियम विरुद्ध कार्रवाइयों पर रोक लगाने तथा गैर जिम्मेदार अधिकारियों पर अंकुश लगाने की मांग की है। प्रदेश सभाध्यक्ष संपत सिंह, वरिष्ठ उपाध्यक्ष रवि आचार्य, महिला उपाध्यक्ष सुषमा विश्नोई, महिला मंत्री गीता जैलिया, प्रदेश अतिरिक्त महामंत्री बसंत जिंदल, कोषाध्यक्ष कैलाश कच्छावा सहित प्रदेश कार्यकारिणी के समस्त पदाधिकारियों ने इस मांग का समर्थन कर दोषी अधिकारियों पर कार्रवाई कर शिक्षकों का सम्मान बनाए रखने का आग्रह किया।