जोधपुर में फर्जी बीमा क्लेम का खुलासा: अस्पताल स्टाफ और बीमा कंपनी पर मिलीभगत का आरोप



जोधपुर, 8 अगस्त। जोधपुर के व्यास मेडिसिटी हॉस्पिटल में एक बड़े फर्जी बीमा क्लेम घोटाले का मामला सामने आया है। हॉस्पिटल के डॉक्टर अनुराग गुप्ता ने इस संबंध में रिपोर्ट दर्ज करवाई है, जिसमें आरोप लगाया गया है कि जो मरीज अस्पताल में कभी भर्ती ही नहीं हुए, उनकी फर्जी फाइलें तैयार करके बीमा कंपनी के प्रतिनिधियों की मिलीभगत से क्लेम उठाया गया।
कैसे सामने आया फर्जीवाड़ा?
डॉक्टर अनुराग गुप्ता ने बताया कि 23 जुलाई, 2025 को हॉस्पिटल का कर्मचारी शाहिद कुछ फाइलें लेकर जा रहा था। सिक्योरिटी गार्ड ने उसे रोका क्योंकि फाइलों को इस तरह ले जाना नियमों के खिलाफ था। गार्ड ने शाहिद को फाइलें ब्लड बैंक में जमा करने को कहा, जिसके बाद वह फाइलें छोड़कर चला गया और गार्ड ने इसकी सूचना हॉस्पिटल मैनेजमेंट विभाग को दी। मैनेजर (पेमेंट विभाग) ने जब इन फाइलों की जांच की, तो सामने आया कि उनमें मौजूद दस्तावेज़ हॉस्पिटल के रिकॉर्ड में नहीं थे। जिन मरीजों के नाम पर फाइलें थीं, उनसे संपर्क किया गया, लेकिन उन्होंने कोई संतोषजनक जवाब नहीं दिया और न ही उनका अस्पताल में भर्ती होने का कोई रिकॉर्ड मिला। इसके बाद शाहिद भी हॉस्पिटल नहीं आया और न ही फोन पर जवाब दिया।




मिलीभगत और फर्जी क्लेम के नाम
जांच में यह सामने आया कि शाहिद के साथ हॉस्पिटल के कुछ अन्य कर्मचारी भी मिले हुए थे। जिन मरीजों के नाम पर फर्जी तरीके से बीमा क्लेम मंजूर करवाया गया, उनमें शामिल हैं: नजमी (पत्नी रजक), मदेरणा कॉलोनी निवासी: ₹1,69,200 (1 लाख 692 हजार रुपए), फरदीन खान (पुत्र फिरोज खान), पति नजमी: ₹123,537, सीताराम (पुत्र जोराराम), तांबेरिया कलां निवासी: ₹86,796 ,वीरेंद्र (पुत्र चुनाराम), धुंधाड़ा निवासी: ₹98,167 इन सभी का बीमा क्लेम बिना अस्पताल में भर्ती हुए ही फर्जी तरीके से पास करवा लिया गया था।


किन-किन पर है मिलीभगत का आरोप?
पुलिस को दी गई रिपोर्ट में शाहिद के अलावा, इंश्योरेंस व टीपीए इंश्योरेंस इंचार्ज शिंभु कुमावत का नाम भी मिलीभगत में दिया गया है। शिंभु कुमावत पर आरोप है कि वह इंश्योरेंस से संबंधित मेल का जवाब देता था और क्लेम राशि स्वीकृत करवाने में उसकी मुख्य भूमिका थी। रिपोर्ट में बताया गया है कि शिंभु कुमावत का कज़िन भाई पिंटू कुमावत, जो लैब में काम करता है, लैब से फर्जी रिपोर्ट बनाकर देने का काम करता था। इसके साथ ही गोपाल पटेल (एक्स-रे संबंधित काम) और नर्सिंग कर्मचारी भागीरथ भी इस फर्जीवाड़े में शामिल बताए जा रहे हैं।
अस्पताल प्रशासन की मांग: व्यापक जांच और कड़ी कार्रवाई
हॉस्पिटल प्रशासन ने पुलिस को बताया कि अब तक 6 फाइलों की जांच में सभी संदिग्धों की मुख्य भूमिका सामने आई है और उनकी आईपीडी (इनपेशेंट डिपार्टमेंट) में कोई सीट रिकॉर्ड नहीं है। यह जानबूझकर हॉस्पिटल प्रशासन से धोखाधड़ी करने, अस्पताल का नाम खराब करने और सुनियोजित षड्यंत्र के तहत किया गया अपराध है। पुलिस को दी गई रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि शिंभु कुमावत एक महीने पहले ही नौकरी छोड़ चुका है, और यह आशंका है कि उसने पहले भी ऐसे फर्जी इंश्योरेंस क्लेम किए होंगे, जिसकी जानकारी अस्पताल प्रशासन को अभी तक नहीं मिली है। अस्पताल प्रशासन ने पुलिस से इस फर्जीवाड़े में शामिल सभी लोगों की जांच कर खुलासा करने और दोषियों के खिलाफ सख्त कानूनी कार्रवाई करने की मांग की है।