पुष्करणा सावा की तारीख 10 फरवरी तय बीकानेर में 200 जोड़ों का होगा विवाह



बीकानेर, 3 अक्टूबर । बीकानेर के विश्वविख्यात पुष्करणा सावा की तारीख 10 फरवरी तय कर दी गई है। समाज के ज्योतिषियों, पंचांगकर्ताओं और विद्वानों ने देर रात तक चली शास्त्रोक्त चर्चा के बाद यह तारीख निश्चित की। इस सावे में इस बार लगभग 200 जोड़ों का एक साथ विवाह होगा।
सावे की तारीख कैसे हुई तय ?
पुष्करणा समाज सावा समिति के सदस्यों ने विजयादशमी के दिन गौरी शंकर महादेव मंदिर में विद्वानों की एक विशेष बैठक बुलाई। बैठक में भगवान शिव और पार्वती को वर-वधू मानकर विवाह की तारीख तय करने पर चर्चा की गई। पंचांग बनाने वाले विद्वानों के बीच 10 फरवरी और 19 फरवरी को लेकर मतभेद थे। अंतिम निर्णय: शास्त्रों के आधार पर लंबी चर्चा के बाद, आखिरकार 10 फरवरी की तारीख को सर्वसम्मति से अंतिम रूप दिया गया। अब धनतेरस पर विवाह के सभी कार्यक्रमों के मुहूर्त तय किए जाएंगे।




क्या है पुष्करणा समाज का सावा?
पुष्करणा समाज की यह परंपरा पिछले सौ साल से भी अधिक समय से चली आ रही है। एक ही दिन विवाह: पुष्करणा समाज हर दो साल में (जो कभी चार साल में होता था) एक बार, एक ही दिन में सामूहिक विवाह आयोजित करता है। कम खर्च का उद्देश्य: इस परंपरा का मुख्य उद्देश्य विवाह खर्च को कम करना है। सावे के दिन बारात में 500-1000 लोगों के बजाय 100 लोगों का एकत्र होना भी मुश्किल होता है। सरलता: बड़े और महंगे विवाह स्थलों के बजाय, यह कार्य घरों के आगे टैंट लगाकर ही पूरा कर लिया जाता है।



आर्थिक और सामाजिक सहयोग
सावे के दिन विवाह करने वाले परिवारों को समाज के लोगों से बड़ा आर्थिक सहयोग मिलता है. ‘बनावें’ के रूप में मदद: समाज के लोग ‘बनावें’ के रूप में लड़की के परिजनों को हजारों रुपए की आर्थिक सहायता देते हैं।
गुप्त दान: गरीब परिवारों को कई लोग गुप्त दान करते हैं और तेल, घी सहित कई तरह के सामान भी उपलब्ध कराते हैं। संस्थागत सहयोग: कुछ लोग मंडप का पूरा खर्च उठाते हैं, और सामाजिक संस्थाएं भी अपने स्तर पर सहयोग देती हैं।

