पूर्व राज्यपाल सत्यपाल मलिक का 79 वर्ष की आयु में निधन



नई दिल्ली, 5 अगस्त। जम्मू-कश्मीर के पूर्व राज्यपाल सत्यपाल मलिक का मंगलवार को 79 साल की उम्र में निधन हो गया। वे पिछले काफी समय से लंबी बीमारी से जूझ रहे थे और दिल्ली के राम मनोहर लोहिया अस्पताल (RML Hospital) में उनका इलाज चल रहा था। मलिक के आधिकारिक ‘X’ हैंडल से उनके निधन की पुष्टि की गई, जिसमें लिखा गया, “पूर्व गवर्नर चौधरी सत्यपाल सिंह मलिक जी नहीं रहे।”
राजनीतिक यात्रा और महत्वपूर्ण कार्यकाल
सत्यपाल मलिक का जन्म उत्तर प्रदेश के बागपत के हिसावदा गाँव में एक जाट परिवार में हुआ था। उन्होंने मेरठ विश्वविद्यालय से विज्ञान स्नातक और एलएलबी की डिग्री हासिल की। उनका राजनीतिक जीवन 1968-69 में छात्र संघ अध्यक्ष चुने जाने के साथ शुरू हुआ।




मलिक पहली बार 1974-77 के दौरान उत्तर प्रदेश विधान सभा के सदस्य के रूप में सार्वजनिक पद के लिए चुने गए थे, जब उन्होंने चरण सिंह के भारतीय क्रांति दल के सदस्य के रूप में चुनाव लड़ा था। उन्होंने 1980 से 1986 और 1986-89 तक राज्यसभा में उत्तर प्रदेश का प्रतिनिधित्व किया। 1989 से 1991 तक वे जनता दल के सदस्य के रूप में अलीगढ़ से नौवीं लोकसभा के सदस्य रहे। 1996 में उन्होंने समाजवादी पार्टी की तरफ से फिर चुनाव लड़ा, लेकिन हार गए। वे भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष भी रह चुके थे।


राज्यपाल के रूप में भूमिका
सत्यपाल मलिक ने अपने राजनीतिक जीवन में कई राज्यों के राज्यपाल के रूप में महत्वपूर्ण भूमिकाएँ निभाईं।
बिहार: 30 सितंबर 2017 से 21 अगस्त 2018 तक।
ओडिशा: 21 मार्च 2018 से 28 मई 2018 तक (अतिरिक्त प्रभार)।
जम्मू-कश्मीर: अगस्त 2018 से अक्टूबर 2019 तक, वे तत्कालीन जम्मू-कश्मीर राज्य के 10वें और अंतिम राज्यपाल रहे। उनके कार्यकाल के दौरान ही 5 अगस्त 2019 को जम्मू और कश्मीर का विशेष दर्जा समाप्त किया गया था।
गोवा: अक्टूबर 2019 में वे गोवा के 18वें राज्यपाल बने।
मेघालय: अक्टूबर 2022 तक उन्होंने मेघालय के 21वें राज्यपाल के रूप में भी कार्य किया।
सत्यपाल मलिक को भारतीय राजनीति में उनके लंबे और विविध योगदान के लिए याद किया जाएगा, खासकर जम्मू-कश्मीर के राज्यपाल के रूप में उनके कार्यकाल के दौरान हुए ऐतिहासिक फैसलों के लिए।