इलाज में लापरवाही और लालच के चलते बच्ची की मौत, जयपुर-बीकानेर के तीन डॉक्टरों पर FIR दर्ज

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पिता बोले- बिना परमिशन डाला स्टेंट, पेट में 200 टांके; डॉक्टर बोले- जांच में क्लीन चिट मिली

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बीकानेर, 25 अप्रैल। बीकानेर शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ. गौरव गोंबर सहित तीन चिकित्सकों के खिलाफ बीकानेर सदर पुलिस थाने में मुकदमा दर्ज हुआ है। यह मुकदमा रानी बाजार निवासी जगदीशचंद्र खत्री पुत्र रमेश चंद्र खत्री ने दर्ज करवाया है। जिसमें मारवाड. हॉस्पिटल बीकानेर में बाल रोग विशेष डॉ. गौरव गोंबर, जयपुर स्थित हॉप हॉस्पिटल दुर्गापुरा जयपुर के गुर्दा रोग विशेष डॉ. अंकित मंगला व डॉ. प्रियंका मित्तल के खिलाफ दर्ज कराया है। इन पर आरोप है कि इन्होंने बच्ची हैजल के ईलाज में गंभीर लापरवाही बरती, जिसके कारण बच्ची हैजल खत्री की मौत हो गई। डॉ. गौरव गोंबर ने ईलाज में लापरवाही बतरने के साथ-साथ पैसों के लालच में जयपुर रैफर कर दिया वो भी गलत डॉक्टर्स के पास। साथ ही डॉ. गोंबर पर जांच कमेटी के सामने सही तथ्य छुपाकर गलत तथ्य पेश करने का भी आरोप है। पिता का आरोप है कि मासूम के पेट में बिना परमिशन के स्टेंट डाला गया। फिर 200 टांके भी लगाए। दरअसल, बच्ची को किडनी की समस्या थी । इस कारण उसे बार-बार बुखार और यूरिन संक्रमण की परेशानी होती थी।

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परिवार ने मारवाड़ हॉस्पिटल के शिशु स्पेशलिस्ट डॉ गौरव गोंबर से उसका इलाज कराया। केस बिगड़ा तो डॉ गौरव ने जयपुर के होप हॉस्पिटल के डॉ अंकित मंगला के पास भेज दिया। यहां प्रियंका मित्तल ने भी बच्ची का इलाज किया। उसे कई दिन एडमिट रखा। फिर यूरेटर रिप्लांट व अन्य ट्रीटमेंट के बाद उसे घर भेज दिया। इसके कुछ दिन बाद 20 नवंबर 2024 को बच्ची की मौत हो गई। तीनों आरोपी डॉक्टर्स के खिलाफ 24 अप्रैल 2025 बीकानेर से सदन थाने में केस दर्ज कराया है।

सबसे पहले जानिए पूरा प्रकरण

बीकानेर के रानी बाजार के रहने वाले जगदीश खत्री की ढाई साल की बेटी हेजल की जन्म से ही एक किडनी थी। जन्म के करीब डेढ साल बाद उसे किडनी संबंधी अलग-अलग बीमारियां होने लगीं। साल 2024 में सितंबर से नवंबर के बीच उन्होंने बीकानेर के मारवाड़ हॉस्पिटल, जयपुर के दुर्गापुरा के होप हॉस्पिटल में बच्ची का इलाज कराया। उन्होंने पुलिस को दी जानकारी में बताया जयपुर के होप हॉस्पिटल में 14 अक्टूबर 2024 को बच्ची को एडमिट कराया था। यहां से उसे 30 अक्टूबर को उसे डिस्चार्ज किया गया।

परिवादी ने रिपोर्ट में बताया कि मेरी पत्नी आशा खत्री ने दिनांक 13.09.2022 को पीबीएम चिकित्सालय बीकानेर में एक पुत्री हैजल खत्री को जन्म दिया। मेरी पत्नी की पीबीएम चिकित्सालय बीकानेर में नोर्मल डिलवरी हुई थी और बच्ची हैजल खत्री भी पूर्णतया स्वस्थ पैदा हुई थी और इसी कारण डिलवरी के तीन दिन पश्चात् मेरी पत्नी व बच्ची को पीबीएम चिकित्सालय बीकानेर से छुट्टी दे दी गई थी। यह कि मेरी पत्नी का डिलबरी से पूर्व डॉक्टर्स स्वाति फलोदिया गायक्रोलोजिस्ट का ईलाज चला था। दौराने ईलाज डिलीवरी से पूर्व डॉ. फलोदिया ने मेरी पत्नी की सोनाग्राफी करवाने की सलाह दी जिस पर मैंने अपनी पत्नी के प्रेग्रेन्सी काल के दौरान 6 वे माह में सोनोग्राफी करवाई तो सोनोग्राफी की रिपोर्ट देखकर डॉ. फलोदिया ने बताया कि आपकी बच्ची की बाएं तरफ की किडनी अदृश्य है और कहा कि बच्ची के जन्म लेने व विकसित होने के पश्चात उक्त किडनी दिखना संभव हो सकता है। परिवादी ने बताया कि जन्म के डेढ़ वर्ष पश्चात् मेरी पुत्री को बुखार 103 डिग्री आने पर मैं अपनी पुत्री को गंगाशहर स्थित डॉ. एल.सी. बैद के पास लेकर गया तो वहां डॉ. बैद ने मेरी पुत्री की कुछ जांच करवाने के पश्चात् मेरी पुत्री को पेशाब में संक्रमण बताया और 3 दिन की मेडिसिन दी जिससे मेरी पुत्री ठीक हो गयी।

इसके पश्चात् सितम्बर 2024 में मेरी पुत्री को पुनः बुखार आया तो मैं उसे लेकर मारबाड हॉस्पीटल में बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. गौरव गोम्बर के पास लेकर गया जहां डॉ. गौरव गोम्बर को मैने बताया कि मेरी पुत्री को हर 6 माह पश्चात् पेशाब में संक्रमण की समस्या हो जाती है और मैंने उसे पूर्व में दो बार गंगाशहर स्थित डॉ. एल. सी. बैद को दिखा दिया है लेकिन इसके पश्चात भी मेरी पुत्री की समस्या का समाधान नहीं हो रहा है, जिस पर डॉ. गौरव गोम्बर ने कहा कि हमारी हॉस्पीटल में हॉप हॉस्पीटल दुर्गापुरा, जयपुर से गुर्दा रोग विशेषज्ञ डॉ. अंकित मंगला आते है, जो आज भी हमारी मारवाड हॉस्पीटल (आशीर्वाद चाइल्ड केयर सेंदर, बीकानेर) में आए हुए है। आप अपनी पुत्री को डॉ. अंकित मंगला साहब को दिखा देखें, तब मैंने डॉ. गौरव गौम्बर की सलाह पर अपनी पुत्री को डॉ. अंकित मंगला को दिखाया और उन्हें अपनी पुत्री की जन्म के पश्चात् की पुरी मेडिकल हिस्ट्री से अवगत कराया। तब डॉ. अंकित मंगला ने मुझे कहा कि आप अपनी पुत्री को जयपुर स्थित हमारे चिकित्सालय हॉप हॉस्पीटल लेकर लाओ, जहां पर आपकी पुत्री की कुछ जरूरी जांचे करनी पड़ेगी क्योंकि में आपकी पुत्री की जो जाँचे करवाना चाहता हूँ वह बीकानेर में संभव नहीं है और आपकी पुत्री की जांचे करने के पश्चात् ही आपकी पुत्री का ईलाज शुरू कर सकता हूं ।

परिवादी ने बताया कि डॉ. अंकित मंगत्ला के कहे अनुसार में अपनी पत्नी के साथ अपनी पुत्री को लेकर दिनांक 4.9.2024 को हॉप हॉस्पीटल जयपुर गया और डॉ. अंकित मंगला से सम्पर्क किया तो उन्होंने वहां जाते ही मेरी पुत्री को अस्पताल में भर्ती कर लिया और मेरी पुत्री को लगातार एंटीबायोटिक दवाईयां देते रहे और कहा कि एंटीबायोटिक दवाईयों से आपकी पुत्री का पेशाब का संक्रमण कम कर देगी।
अंकित मंगला ने दिनांक 08.09.2024 को मेरी पुत्री की MCU STUDY (मुत्राशय की जॉच) करवायी और कहा कि आपकी पुत्री की एक और जाँच RENAL DMSA SCAN (किडनी सम्बंधी जाँच) होगी जो हमारे हॉस्पीटल में उपलब्ध नहीं है। इसके लिये आपकी पुत्री को हमारी हॉस्पीटल की स्टॉफ गेटवेल हॉस्पीटल लेकर जायेगा।

गेटवैल हॉस्पीटल से करवायी। तत्पशचात् दिनांक 10.9.2024 को डॉ. प्रियंका मित्तल ने मेरी पुत्री की एक और जांच CYSTOGRAPHY (मुत्रालय सम्बंधी जाँच) की, इसके पश्चात् भी डॉ. अंकित मंगला व डॉ. प्रियंका मित्तल ने मेरी पुत्री को क्या समस्या है इसके बारे में मुझे नहीं बताया। इस तरह एक से दूसरी हॉस्पिटल में व अनेक जांचें करवाने व फिर वही जयपुर में ऑपरेशन किया गया जिसकी बारे में मुझे नहीं बताया गया कि किस चीज का ऑपरेशन है व किन कारणों से ऑपरेशन किया गया है। ऑपरेशन के दौरान पेट में तार डाले गए।

तार के कारण बेटी को होता था असहनीय दर्द- पिता

बच्ची के पेट में स्टेंट डाला गया और करीब 200 टांके लगाए गए। अंदर एक तार भी लगाया गया था, जिसका दर्द बेटी सहन नहीं कर पा रही थी। डॉक्टर्स ने इसके लिए उनसे कोई परमिशन भी नहीं ली। उसके बाद 11 नवंबर को बच्ची की तबीयत फिर बिगड़ी तो वे पहले मारवाड़ हॉस्पिटल गए।यहां से वे 13 नवंबर को उन्हें जयपुर के होप हॉस्पिटल भेज दिया गया। वहां पर उसको एक इंजेक्शन लगाया गया तो बच्ची का पूरा शरीर नीला पड़ गया था। जयपुर के चिकिसकों ने हाथ खड़े कर दिए और मेदांता ले जाने की सलाह दी तब परिवार उसे गुरुग्राम के मेदांता हॉस्पिटल ले गया। जहां 20 नवंबर को बच्ची ने दम तोड़ दिया।

सीएमएचओ की कमेटी ने माना गलती हुई

हेजल के इलाज में लापरवाही के आरोप में जगदीश खत्री ने 3 फरवरी 2025 को सदर थाने में परिवाद दिया था। पुलिस ने पीबीएम हॉस्पिटल के अधीक्षक से इस संबंध में राय मांगी। अधीक्षक ने चार डॉक्टरों के मेडिकल बोर्ड का गठन किया। जिन्होंने अपनी रिपोर्ट में इलाज में लापरवाही की बात से इनकार कर दिया।

रिपोर्ट सदर थाना पुलिस को भेज दी गई। केस में 4 अप्रैल को सीएमएचओ के पुलिस ने लेटर लिखा। सीएमएचओ ने तीन डॉक्टर्स की कमेटी से केस की फिर से जांच कराई। कमेटी ने माना कि हेजल की मौत ऑपरेशन के बाद कॉम्पलिकेशन के कारण हुई। ऑपरेशन के बाद बच्ची को इलाज के लिए डॉ गौरव गोंबर के हॉस्पिटल में रखना सही नहीं माना गया।

डॉक्टर बोले- जांच में क्लीन चिट मिल चुकी

इस मामले पर डॉ. गौरव गोंबर का कहना है कि पुलिस और स्वास्थ्य विभाग की जांच में उन्हें क्लीयरेंस मिल चुकी है। इलाज में किसी तरह की लापरवाही नहीं बरती गई। अब पुलिस जांच में सब स्पष्ट हो जाएगा। सदर थाने के एएसआई अशोक अदलान ने कहा- पूरे मामले की जांच चल रही है। गुरुवार को एफआईआर BNS की धारा 106 के तहत FIR दर्ज हुई है। डॉक्टर्स के बयान लिए जा रहे हैं। जल्द ही जांच पूरी करके आगे की कार्रवाई होगी।

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