दीक्षार्थी खुशी सुराणा का भव्य अभिनंदन; मुनि कमल कुमार बोले- “सतत गुरु दृष्टि का पालन करें”


गंगाशहर, 18 दिसम्बर । स्थानीय तेरापंथ भवन में उग्रविहारी तपोमूर्ति मुनि श्री कमल कुमार जी के पावन सान्निध्य में दीक्षार्थी बहन खुशी सुराणा ‘घणा’ का भव्य अभिनंदन समारोह आयोजित किया गया। इस गौरवपूर्ण अवसर पर मुनिश्री ने दीक्षार्थी के उज्ज्वल संयमी जीवन की मंगल कामना करते हुए उन्हें आध्यात्मिक पथ पर अडिग रहने की प्रेरणा दी।


मुनिश्री ने खुशी के पारिवारिक पृष्ठभूमि की प्रशंसा करते हुए कहा कि वह एक समर्पित संघ-हितैषी परिवार की सदस्या हैं, जिसके अनेक सदस्य पूर्व में ही धर्मसंघ में दीक्षित होकर अपनी सेवाएं दे रहे हैं। उन्होंने बताया कि खुशी ने पिछले चार वर्षों तक ‘परमार्थिक शिक्षण संस्था’ (पा.शि.संस्था) में गहन अध्ययन और साधना कर स्वयं को संयम के लिए परिपक्व बनाया है। मुनिश्री ने इसे सौभाग्य की बात बताया कि ‘योगक्षेम वर्ष’ के प्रारंभ में होने वाले प्रथम दीक्षा महोत्सव में खुशी की दीक्षा संपन्न हो रही है।


आशीर्वाद प्रदान करते हुए मुनिश्री ने कहा कि संयम मार्ग पर चलते हुए खुशी पूर्ण जागरूकता के साथ महाव्रतों, समिति और गुप्ति का पालन करें तथा विनय एवं सहिष्णुता के अभ्यास को निरंतर बढ़ाती रहें। समारोह में मुमुक्षु खुशी ने अपने विचार व्यक्त करते हुए सभी के प्रति आभार ज्ञापित किया। मुनिश्री श्रेयांस कुमार जी ने शासन गौरव मुनिश्री मधुकरजी स्वामी द्वारा रचित गीत का मधुर गान किया, जबकि श्री जैन श्वेताम्बर तेरापंथी सभा के मंत्री जतन संचेती ने संपूर्ण समाज की ओर से दीक्षार्थी के प्रति मंगल भावनाएं व्यक्त कीं।
पोष माह की कड़ाके की ठंड के बीच गंगाशहर में तपस्या का क्रम भी अत्यंत उत्साह के साथ चल रहा है। मुनिश्री ने जानकारी दी कि उनके अनन्य सहयोगी मुनि नमि कुमार जी की आज 30 दिन की तपस्या पूर्ण हुई है और उन्होंने 31वें दिन का प्रत्याख्यान (संकल्प) किया है। इसी आध्यात्मिक श्रृंखला में भाई सुरेंद्र भूरा ने 26 दिन, आंचल बैद ने 14 दिन और सभा के उपाध्यक्ष पवन छाजेड़ ने 11 दिन की तपस्या का संकल्प किया है।
मुनिश्री ने क्षेत्र में बढ़ते आध्यात्मिक वातावरण की विशेष रूप से सराहना की। उन्होंने आंचल बैद के निवास पर भक्तामर मंडल की सुंदर व्यवस्थाओं को सराहा और कहा कि रविवार को होने वाला नवकार मंत्र जाप, भिक्षु भजन संध्या और भक्तामर पाठ घर-घर में धर्म की प्रभावना बढ़ा रहे हैं। उन्होंने जोर देकर कहा कि यह वातावरण आत्म-कल्याण के साथ-साथ धर्मसंघ की उन्नति का भी सशक्त माध्यम बन रहा है।








