जीएसटी संशोधन: राहुल गांधी की बड़ी जीत, छोटे व्यवसायों और आम जनता को राहत



नई दिल्ली, 5 सितंबर। हाल ही में जीएसटी परिषद की बैठक में लिए गए निर्णय को विपक्ष के नेता और कांग्रेस सांसद राहुल गांधी की एक बड़ी जीत के रूप में देखा जा रहा है। जीएसटी दरों में व्यापक बदलाव और आम उपयोग की वस्तुओं पर करों में कमी को लेकर उनकी लगातार मांग और आलोचना ने केंद्र सरकार को नई नीतियों पर विचार करने के लिए मजबूर किया। इस संशोधन को छोटे व्यवसायों (MSMEs) और मध्यम वर्ग के लिए राहत के रूप में देखा जा रहा है।
जीएसटी संशोधन की मुख्य विशेषताएं
जीएसटी परिषद की 2025 की बैठक में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कई महत्वपूर्ण बदलावों की घोषणा की। इनमें शामिल हैं:
दो-स्तरीय कर संरचना: जीएसटी की नई संरचना में अब केवल 5% और 18% के दो कर स्लैब होंगे, जो पहले की जटिल पांच स्लैब वाली व्यवस्था को सरल बनाएंगे।
आम उपयोग की वस्तुओं पर शून्य कर: पनीर, भारतीय रोटी, और कई जीवन रक्षक दवाओं को 0% कर स्लैब में शामिल किया गया है।
स्वास्थ्य और जीवन बीमा पर जीएसटी हटाई गई: स्वास्थ्य और जीवन बीमा प्रीमियम पर अब कोई जीएसटी नहीं लगेगा, जिससे मध्यम वर्ग को बड़ी राहत मिलेगी।
‘सिन’ वस्तुओं पर उच्च कर: सिगरेट, लग्जरी कारों और अन्य ‘सिन’ वस्तुओं पर जीएसटी को बढ़ाकर 40% किया गया है।
होटल और पर्यटन क्षेत्र में राहत: 7,500 रुपये से कम कीमत वाले होटल कमरों पर जीएसटी में कमी की गई है, जिससे पर्यटन उद्योग को बढ़ावा मिलेगा।
इन बदलावों को 22 सितंबर 2025 से लागू किया जाएगा, जो नवरात्रि के पहले दिन से शुरू होगा।




राहुल गांधी की भूमिका


राहुल गांधी ने पिछले कई वर्षों से जीएसटी को “गब्बर सिंह टैक्स” करार देते हुए इसकी जटिलता और छोटे व्यवसायों पर पड़ने वाले नकारात्मक प्रभावों की लगातार आलोचना की थी। उन्होंने इसे “आर्थिक अन्याय का हथियार” बताया और दावा किया कि यह छोटे व्यवसायों और गरीबों को नुकसान पहुंचाने के लिए बनाया गया है।
2023 और 2024 में अपनी रैलियों और बयानों में राहुल गांधी ने एकल कर स्लैब और न्यूनतम कर दर की वकालत की थी। उन्होंने कहा था, “हमारी सरकार बनने पर हम जीएसटी को सरल करेंगे और इसे एकल कर स्लैब के साथ न्यूनतम दर पर लागू करेंगे।” उनकी यह मांग कि जीएसटी को छोटे और मध्यम उद्यमों (MSMEs) के लिए अनुकूल बनाया जाए, अब परिषद के हालिया निर्णयों में परिलक्षित हो रही है।
राहुल गांधी ने हाल ही में अपने सोशल मीडिया पोस्ट में कहा, “जीएसटी की नई संरचना और आम जनता के लिए करों में कमी हमारी लंबे समय से चली आ रही मांग का परिणाम है। यह छोटे व्यवसायों, किसानों और मध्यम वर्ग के लिए एक बड़ी जीत है। हमारी लड़ाई तब तक जारी रहेगी जब तक देश में एक ऐसी कर प्रणाली लागू नहीं हो जाती जो सभी के लिए समान और सरल हो।”
राहुल गांधी के आगे फिर झुकी मोदी सरकार pic.twitter.com/FpnA7w2av7
— Congress (@INCIndia) September 4, 2025
विशेषज्ञों की राय
वित्तीय विशेषज्ञों ने इन संशोधनों को “उपभोग को बढ़ावा देने वाला कदम” करार दिया है। टाटा एसेट मैनेजमेंट के मुख्य निवेश अधिकारी राहुल सिंह ने कहा, “जीएसटी दरों में कमी और प्रक्रिया सुधार MSMEs और उपभोक्ता क्षेत्रों के लिए सकारात्मक हैं। यह न केवल उपभोग को बढ़ाएगा बल्कि अर्थव्यवस्था को गति देगा।”
मेकमायट्रिप के सह-संस्थापक और समूह सीईओ राजेश मागो ने कहा, “होटल कमरों पर जीएसटी में कमी से घरेलू पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा और यह भारतीय यात्रियों के लिए किफायती होगा।”
सरकार की प्रतिक्रिया
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जीएसटी संशोधनों को “आर्थिक विकास और आत्मनिर्भर भारत के लिए एक डबल डोज” बताया। उन्होंने कहा कि ये बदलाव छोटे और मध्यम उद्यमों के लिए व्यापार करने की सुगमता को बढ़ाएंगे। हालांकि, विपक्ष का दावा है कि ये संशोधन राहुल गांधी और कांग्रेस की निरंतर आलोचना और दबाव का परिणाम हैं।
छोटे व्यवसायों और जनता पर प्रभाव
नई जीएसटी संरचना से छोटे व्यवसायों को अनुपालन में आसानी होगी, क्योंकि जटिल पांच स्लैब वाली प्रणाली अब सरल हो गई है। इसके अलावा, स्वास्थ्य बीमा और जीवन रक्षक दवाओं पर जीएसटी हटने से मध्यम वर्ग को आर्थिक राहत मिलेगी। माना जा रहा है कि इन बदलावों से उपभोग बढ़ेगा, जिसका सकारात्मक प्रभाव अर्थव्यवस्था पर पड़ेगा। मदर डेयरी के प्रबंध निदेशक मनीष बंधलिश ने कहा, “घी, पनीर और आइसक्रीम जैसी वस्तुओं पर जीएसटी में कमी से उपभोक्ताओं को लाभ होगा और इन उत्पादों की खपत बढ़ेगी।”
हाल ही में किए गए जीएसटी संशोधन को विपक्ष के नेता राहुल गांधी की एक बड़ी जीत के रूप में देखा जा रहा है। सरकार द्वारा 12% और 28% के जीएसटी स्लैब को खत्म करके अब केवल 5% और 18% की दरें लागू की गई हैं। कांग्रेस पार्टी इस बदलाव को अपनी वर्षों की लड़ाई का परिणाम बता रही है।
राहुल गांधी के पुराने ट्वीट बने चर्चा का विषय
जीएसटी में बदलाव की घोषणा के बाद, राहुल गांधी ने सोशल मीडिया पर अपने पुराने ट्वीट साझा किए हैं। इन ट्वीट्स में उन्होंने सालों पहले जीएसटी दरों को तर्कसंगत बनाने और 18% की सीमा लगाने की वकालत की थी। 2017 में उन्होंने जीएसटी को “गब्बर सिंह टैक्स” कहकर संबोधित किया था और कहा था कि देश को एक सरल कर प्रणाली की आवश्यकता है, न कि जटिल और कई स्लैब वाली। कांग्रेस का कहना है कि सरकार ने अंततः वही किया है, जो राहुल गांधी वर्षों से कहते आ रहे थे।
राजनीतिक प्रतिक्रिया
कांग्रेस के नेताओं ने इसे “राहुल गांधी की दूरदृष्टि की जीत” और सरकार द्वारा अपनी गलती को स्वीकार करना बताया है। कांग्रेस कार्यसमिति के सदस्य बी. के. हरिप्रसाद ने कहा कि यह विडंबना है कि सरकार को सच्चाई का एहसास होने में एक दशक लग गया। वहीं, कुछ भाजपा नेताओं ने इस बात से इनकार किया है कि यह कदम राहुल गांधी के सुझावों पर आधारित है, और इसे आम आदमी को राहत देने के लिए सरकार का एक प्रगतिशील कदम बताया है।
नए बदलावों से आम लोगों को राहत
सरकार का दावा है कि इन नए बदलावों से आम आदमी और मध्यम वर्ग को बड़ी राहत मिलेगी। 5% के स्लैब में अब कई आवश्यक वस्तुएं शामिल होंगी, और 12% और 28% के स्लैब के हटने से कई उत्पाद सस्ते हो जाएंगे। सरकार का यह भी कहना है कि इससे अर्थव्यवस्था को गति मिलेगी और व्यापार करना आसान हो जाएगा। हालांकि, कांग्रेस इसे अपनी राजनीतिक जीत के रूप में प्रचारित करने की पूरी कोशिश कर रही है।
भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) ने अपनी नवीनतम शोध रिपोर्ट में कहा कि दरों में कमी के जरिये माल एवं सेवा कर (जीएसटी) में सुधार से 3,700 करोड़ रुपये का न्यूनतम राजस्व नुकसान होगा। सरकार का अनुमान है कि जीएसटी दरों को युक्तिसंगत बनाने का शुद्ध राजकोषीय प्रभाव वार्षिक आधार पर 48,000 करोड़ रुपये होगा।
रिपोर्ट के अनुसार, विकास और उपभोग में वृद्धि को देखते हुए न्यूनतम राजस्व हानि 3,700 करोड़ रुपये रहने का अनुमान है। इसका राजकोषीय घाटे पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा। कुछ दिन पहले हुई जीएसटी परिषद की 56वीं बैठक में मौजूदा चार-स्तरीय ढांचे को दो-स्तरीय ढांचे से बदल दिया गया है। इसमें 18 प्रतिशत एवं पांच प्रतिशत की मानक दर और कुछ चुनिंदा वस्तुओं तथा सेवाओं पर 40 प्रतिशत की अवगुण दर शामिल है। रिपोर्ट में कहा गया कि जीएसटी दर को युक्तिसंगत बनाने से लागत दक्षता में सार्थक सुधार के कारण बैंकिंग क्षेत्र पर काफी हद तक सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा। इससे प्रभावी भारित औसत दर भी 2017 में लागू होने के समय 14.4 प्रतिशत से घटकर 9.5 प्रतिशत हो गई है।
जीएसटी लागू में वर्तमान में पांच प्रतिशत, 12 प्रतिशत, 18 प्रतिशत और 28 प्रतिशत की चार दरें हैं। रिपोर्ट में कहा गया कि चूंकि आवश्यक वस्तुओं (लगभग 295) की जीएसटी दर युक्तिकरण 12 प्रतिशत से घटकर पांच प्रतिशत या शून्य हो गई है, इसलिए चालू वित्त वर्ष 2025-26 में इस श्रेणी में सीपीआई मुद्रास्फीति भी 0.25 प्रतिशत से 0.30 प्रतिशत तक कम हो सकती है। इसमें कहा गया कि कुल मिलाकर उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) आधारित मुद्रास्फीति 2026-27 तक 0.65 प्रतिशत से 0.75 प्रतिशत अंकों के बीच नियंत्रित रह सकती है।
चुनौतियां और भविष्य
हालांकि जीएसटी में ये बदलाव स्वागत योग्य हैं, कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि पेट्रोल और डीजल को अभी भी जीएसटी के दायरे में नहीं लाया गया है, जो किसानों और परिवहन क्षेत्र के लिए चुनौती बना हुआ है। राहुल गांधी ने इस मुद्दे को भी उठाया और कहा कि “पेट्रोल और डीजल को जीएसटी में शामिल करना समय की मांग है।” कांग्रेस पार्टी ने यह भी दावा किया कि उनकी प्रस्तावित जीएसटी 2.0, जिसमें एकल कर स्लैब और अधिकतम 18% की दर होगी, को पूरी तरह लागू करने की आवश्यकता है।
निष्कर्ष
जीएसटी संशोधन को राहुल गांधी और कांग्रेस की एक बड़ी जीत के रूप में देखा जा रहा है, क्योंकि उनकी लंबे समय से चली आ रही मांगों का एक हिस्सा अब लागू हो रहा है। यह कदम छोटे व्यवसायों, मध्यम वर्ग और उपभोक्ताओं के लिए राहत लेकर आया है। हालांकि, हिंदी को राष्ट्रभाषा बनाने की तरह, जीएसटी को पूरी तरह से सरल और समावेशी बनाने की यात्रा अभी बाकी है।