हिंदी साहित्य संसद, चूरू द्वारा कवि राजेंद्र स्वर्णकार को जनकवि प्रदीप शर्मा साहित्य सम्मान



चूरू, राजस्थान। हिंदी साहित्य संसद, चूरू द्वारा आयोजित एक भव्य समारोह में, बीकानेर के प्रसिद्ध कवि, गीतकार और संगीतकार राजेंद्र स्वर्णकार को ‘जनकवि प्रदीप शर्मा साहित्य सम्मान और पुरस्कार’ से सम्मानित किया गया। यह सम्मान उन्हें उनके उत्कृष्ट काव्य और संगीतिक प्रतिभा के लिए दिया गया।
माता-पिता को समर्पित सम्मान
सम्मान के साथ मिली ग्यारह हजार रुपये की पुरस्कार राशि को कवि स्वर्णकार ने अपने माता-पिता को समर्पित किया। इस अवसर पर, उन्होंने अपने भावों को दो दोहों के माध्यम से व्यक्त किया:
‘अम्मा धरती रूप है, बाबूजी आकाश।’
‘धरती पर मां बाप में ईश्वर है साकार।’
इन दोहों ने मंच पर उपस्थित सभी लोगों को भावुक कर दिया।




काव्यपाठ और प्रशंसा
अपने 25 मिनट के काव्यपाठ में, राजेंद्र स्वर्णकार ने विभिन्न छंदों, गीतों और ग़ज़लों की सस्वर प्रस्तुति दी। उनकी प्रस्तुति से मंत्रमुग्ध होकर श्रोताओं ने लगातार तालियाँ बजाकर उनका सम्मान किया। वरिष्ठ शिक्षाविद बाबूलाल शर्मा ने अपने अध्यक्षीय भाषण में स्वर्णकार की विलक्षण प्रतिभा की सराहना करते हुए उन्हें एक अद्भुत और श्रेष्ठ रचनाकार बताया। जयपुर से आए मुख्य अतिथि, सूचना-जनसंपर्क विभाग के उपनिदेशक कुमार अजय ने भी स्वर्णकार की काव्य-गुणों से अपनी पुरानी पहचान का उल्लेख किया।


अन्य सम्मान और कार्यक्रम
तीन घंटे से अधिक चले इस समारोह में स्थानीय कवियों ने भी अपनी कविताएँ सुनाईं। इसी कार्यक्रम में, कोलकाता के कवि जय कुमार रुसवा को भी ‘रामादेवी भगीरथ प्रसाद मरदा स्मृतिकोष सम्मान’ से नवाजा गया। यह आयोजन साहित्य के प्रति लोगों की रुचि और कवियों के सम्मान को दर्शाने वाला एक यादगार समारोह था।