बीकानेर में अश्व पालन प्रशिक्षण कार्यक्रम संपन्न, स्वदेशी अश्व-स्पर्धाओं को बढ़ावा देने पर जोर

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बीकानेर, 17 जुलाई । राष्ट्रीय अश्व अनुसंधान केंद्र, बीकानेर में अश्व पालन पर आयोजित चार दिवसीय कृषक प्रशिक्षण कार्यक्रम का आज सफलतापूर्वक समापन हो गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए केंद्र के प्रभागाध्यक्ष डॉ. एस.सी. मेहता ने अश्व पालन को बढ़ावा देने के लिए महत्वपूर्ण सुझाव दिए। उन्होंने कहा कि तांगा रेस, रेडी रेस और घोड़ों के साथ बैलों की रेस जैसी स्वदेशी अश्व-स्पर्धाओं को बढ़ावा दिया जाना चाहिए। डॉ. मेहता ने स्वदेशी घोड़ों के लिए रेस कोर्स और अन्य सुविधाओं के निर्माण तथा हर छोटे-बड़े शहर में हॉर्स राइडिंग स्कूल शुरू करने का भी आह्वान किया। उन्होंने प्रत्येक जिले में घोड़ों को बढ़ावा देने के लिए संगठन बनाने पर भी जोर दिया।

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घोड़ों का महत्व और नवाचार की आवश्यकता
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि वेटरनरी कॉलेज के डीन डॉ. हेमंत दाधीच थे। उन्होंने अपने उद्बोधन में घोड़ों के महत्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि यह पुरातन काल से लेकर आज तक समाज में एक विशिष्ट स्थान रखता है। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय और अश्व अनुसंधान केंद्र अश्व पालन को बढ़ावा देने के लिए अलग-अलग नहीं हैं, और अश्व पालकों को इसमें नवाचार करने के लिए प्रेरित किया।

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प्रशिक्षण और भागीदारी
इस कार्यक्रम में राजस्थान, पंजाब, दिल्ली और उत्तरप्रदेश से कुल 27 अश्व पालकों ने भाग लिया। किसानों को अश्व पालन, अश्व पोषण प्रबंधन, अश्व प्रजनन और अश्व प्राथमिक उपचार का गहन प्रशिक्षण दिया गया। यह कार्यक्रम पूर्णतया किसानों द्वारा स्व-पोषित था। इस प्रशिक्षण कार्यक्रम में प्रधान वैज्ञानिक डॉ. रमेश कुमार देदड, वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. तिरुमला राव ताल्लुरी, वैज्ञानिक डॉ. मुहम्मद कुट्टी, फार्म प्रबंधक डॉ. जितेंद्र सिंह और श्री एस.एन. पासवान ने प्रमुख भूमिका निभाई।

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