जमीयत उलमा-ए-हिंद बीकानेर ने किया व्यापक वृक्षारोपण अभियान का आगाज़: पर्यावरण संरक्षण और इस्लामी शिक्षाओं पर ज़ोर


बीकानेर, 1 अगस्त। जमीयत उलमा-ए-हिंद, शाखा बीकानेर ने पर्यावरण संरक्षण और इस्लामी शिक्षाओं के अनुरूप समाज में हरियाली को बढ़ावा देने के उद्देश्य से ज़िले भर में एक व्यापक ‘शजरकारी मुहिम’ (वृक्षारोपण अभियान) की शुरुआत की है।
जनभागीदारी की अपील और अभियान का उद्देश्य
इस मुहिम के तहत जमीयत ने आम जनता से अपील की है कि वे इस नेक और सवाबदार (पुण्य के) काम में बढ़-चढ़कर हिस्सा लें और कम से कम एक पेड़ ज़रूर लगाएं। यह पेड़ मस्जिदों, मदरसों, स्कूलों, घरों, खेतों, बगीचों या किसी भी खुली जगह पर लगाया जा सकता है। जमीयत उलमा-ए-हिंद शाखा बीकानेर के महासचिव मौलाना मोहम्मद इरशाद कासमी ने इस अवसर पर कहा, “इस्लाम में हर वह अमल जो इंसानों, जानवरों और कुदरत के लिए मुफ़ीद हो, नेकियों में शुमार किया गया है। पेड़ लगाना एक ऐसा अमल है जो न केवल धरती को संवारता है, बल्कि सदक़ा-ए-जारिया बनकर हमारी आखिरत को भी रौशन करता है।” उन्होंने सही मुस्लिम की हदीस का हवाला देते हुए बताया कि “जब कोई मुसलमान पेड़ लगाता है और उससे इंसान, परिंदे या जानवर फायदा उठाते हैं, तो वह उसके लिए सदक़ा होता है।”




इस मुहिम के मुख्य उद्देश्य हैं:


- पर्यावरण की रक्षा और हरियाली का प्रचार।
- इस्लामी शिक्षाओं पर अमल और नेकियों में इज़ाफ़ा।
- समाज को ऑक्सीजन, छाया और राहत मुहैया कराना।
- आने वाली नस्लों के लिए एक बेहतर और साफ़ वातावरण छोड़ना।
भागीदारी का आह्वान और शुरुआती पहल
जमीयत ने बीकानेर के सभी नागरिकों, ख़ास तौर पर युवाओं, मस्जिदों के इमामों, मदरसों के उस्तादों और छात्रों से अपील की है कि वे इस बर्कत वाले काम में शरीक़ होकर पेड़ लगाएं और दूसरों को भी प्रेरित करें। उनका संदेश है कि “हर लगाया गया पेड़ – आपकी आखिरत में रोशनी का ज़रिया बन सकता है।” इस मुहिम का आगाज़ पेमासर में पेड़ लगाकर किया गया, जिसमें हाफिज अब्दुस्सलाम साहब, मुफ्ती नजमुल हक साहब, मौलाना रफीक साहब, कारी उबैदुल्लाह साहब जैसे बुज़ुर्ग और ज़िम्मेदारान शामिल रहे।