शासन सेवी स्व. सुरेन्द्र बोथरा की स्मृति सभा

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गंगाशहर , 21 मार्च। उग्रविहारी तपोमूर्ति मुनिश्री कमल कुमार जी ने फरमाया कि शासन सेवी स्व. सुरेन्द्र बोथरा सहज, सरल और शान्त स्वभाव का व्यक्ति था और उसने ऐसा ही जीवन जीया। माणकचन्द, मूलचन्द, सुरेन्द्र से लेकर अभी तक यह पूरा बोथरा परिवार गुरू भक्ति में समर्पित रहता है। गुरू चाहे कहीं पर हो इनका चौका चलता रहता है। इनकी संघ भक्ति चलती रहती है। यह परिवार अपने इस गौरव को अक्षुण बनाये रखेंगे यह मेरी आशा ही नहीं पूरा विश्वास है। पूरा परिवार हमेशा दर्शन, सेवा, स्वाध्याय करता रहे। पूरा परिवार आस्थावान परिवार बना रहे। इस परिवार की पांच पीढ़ीयां देखली सब निर्व्यसनी , सेवाभावी और गुरू भक्त है। मुनिश्री ने गीतिका का संगान किया “सुरेन्द्र सबको भाया”। कार्यक्रम में सामायिक के तेले रखे गये।
मुनि श्री डाॅ. विनोद कुमार जी ने स्मृति सभा को संबोधित करते हुए कहा कि संसार अपने नियमों से चलता है। इस पर किसी का जोर नहीं चलता है. इन नियमो को स्वयं तीर्थंकर भगवान भी नहीं टाल सकते। आयुष्य को बढ़ाना स्वयं भगवान के हाथ में भी नहीं हैं। यह शरीर क्षण भंगुर है जो संसार में आया है उसे जाना पड़ेगा। सुरेन्द्र जी व उनके पूरे परिवार पर तीन तीन गुरूओं का आशीर्वाद था।
मुनिश्री मुकेश कुमार ने आचार्य श्री महाश्रमण जी से प्राप्त संदेश का वाचन किया। मुनिश्री प्रबोध कुमार ने साध्वी प्रमुखा विश्रुत विभा से प्राप्त संदेश का वाचन किया। मुनिश्री श्रेयांस कुमार स्वामी व सभी संतो ने गीतिका प्रस्तुत की “जीवन जीया निर्मल”।

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तेरापंथी महासभा के संरक्षक व गंगाशहर तेरापंथ न्यास के ट्रस्टी जैन लूणकरण छाजेड़ ने कहा  तेरापंथ के गुरुओं के कृपा पात्र शासन सेवी श्री सुरेंद्र बोथरा के चले जाने से एक रिक्तता समाज में आयी है।परन्तु प्रकृति के आगे किसी का भी जोर नहीं चलता। आत्मा का आयुष्य का बंद जितना होता है उससे आगे क्षण भर भी जीवन नहीं हो सकता है। उन्होंने कहा की स्व. मूलचंद जी बोथरा , स्व. सुरेंद्र जी बोथरा के मन में हमेशा यही भावना रहती थी कि गुरुदेव का चातुर्मास यहां हो। छाजेड़ ने श्रद्धांजलि व्यक्त करते हुए मंगलकामना व्यक्त की कि आत्मा अपने चरम लक्ष्य को प्राप्त करे।

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जैन विश्व भारती के उपाध्यक्ष विजयसिंह डागा ने कहा कि सुरेन्द्र जी ने कैसा जीवन जीया ये मायने नहीं रखता मायने यह रखता है कि उन्होने ऐसा जीवन जीया की आचार्य श्री महाश्रमण जी ने उनको शासनसेवी की उपाधी दी। धर्मसंघ के प्रति दृढ भावना रखते थे। तेरापंथी सभा गंगाशहर के मंत्री जतन संचेती ने कहा कि गुरू की दृष्टी परिवार के किसी एक सदस्य पर पड़े तो बहुत बड़ी बात होती है लेकिन बोथरा परिवार पर तो तीन तीन आचार्यों की दृष्टी थी। हम सभी को यह हमेशा ध्यान रखना चाहिए की हमारी जीवन की धड़ी पल पल बीतती जा रही है। उग्रविहारी तपोमूर्ति मुनिश्री कमल कुमार जी सुरेन्द्र जी के देहावसान के बाद हर रोज प्रवचन में उनके गुणों को बताते रहते है।

स्व. सुरेन्द्र बोथरा की स्मृति सभा में श्रीमती दीपिका बोथरा

श्रीमती दीपिका बोथरा ने कहा कि हमारे अनमोल कोहीनूर हीरे कहा गुम हो गये पता नहीं। जेठजी सुरेन्द्र जी पुजा पाठ नहीं करते थे वो कहते मेरा घर परिवार ही मेरा मन्दिर और मेरी पुजा पाठ है। वे हमेशा पुरे परिवार को साथ लेकर चलते थे साथ ही दूसरों के लिए भी परम उपकारी थे। आज हम जो कुछ भी है हमारे ससुर जी मुलचन्द जी व जेठजी सुरेन्द्र जी बोथरा की वजह से है। जीसा मूलचन्द जी व जेठजी सुरेन्द्र जी ने जो वट वृक्ष तैयार किया था अब हम सब इस वट वृक्ष को सिंचित करेंगे। बोथरा परिवार के सभी बच्चों ने गीतिका के माध्यम से अपनी श्रद्धांजली दी।

तेरापंथी सभा बीकानेर के अध्यक्ष सुरपत बोथरा ने कहा कि सुरेन्द्र वैरागी व कालजयी व्यक्ति था। छोटी उम्र में पढाई की तरफ ध्यान न देकर व्यापार की तरफ अपना मुख कर लिया और 25 वर्ष की उम्र में एक ख्याती नाम जोहरी बन गया। सुरेन्द्र ने उच्च कोटी का जीवन जीया। सुरेन्द्र में अर्जन, सर्जन व विसर्जन की भावना हमेशा से थी। उसने अपने पुरे परिवार को हमेशा ऊपर उठाया। आचार्य श्री तुलसी की सीख निज पर शासन फिर अनुशासन को हमेशा याद रखा। यह सत्य है कि संयोग और वियोग हमेशा साथ साथ चलते है।
तेरापंथ युवक परिषद् अध्यक्ष महावीर फलोदिया, तेरापंथ महिला मण्डल मंत्री मिनाक्षी आंचलिया, तेरापंथ प्रोफेशनल फोरम के अंकुश चैपड़ा, आचार्य तुलसी शान्ति प्रतिष्ठान के निवर्तमान अध्यक्ष हंसराज डागा व अणुव्रत समिति के प्रितिनिधि ने श्रद्धांजली व्यक्त की। तेरापंथी महासभा, तेरापंथ विकास परिषद्, साध्वी राजीमति जी, साध्वी संघमित्राजी, साध्वी श्री मंजुप्रभाजी, साध्वीश्री कुन्थुश्री जी, साध्वीश्री विशदप्रज्ञाजी, साध्वी श्री लब्धियशा जी, अम्बानी परिवार, सावित्री जिन्दल परिवार, और अनेक उद्योगपतियों के संदेश प्राप्त हुए। मुनिश्री ने सामूहिक रुप से एक लोगस्स का पाठ करवाया व मंगलपाठ के साथ कार्यक्रम संम्पन्न हुआ।

भीखाराम चान्दमल 15 अक्टूबर 2025
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