कोयंबतूर में मुमुक्षु अंजलि सिंघवी और दीक्षा छाजेड़ का मंगल भावना समारोह संपन्न , संयम पथ पर चलने की प्रेरणा



कोयंबतूर ,17 अगस्त। तेरापंथ भवन, कोयंबतूर में समणी जिनप्रज्ञा जी एवं समणी क्षांतिप्रज्ञा जी के पावन सानिध्य में मुमुक्षु अंजलि सिंघवी और मुमुक्षु दीक्षा छाजेड का भव्य मंगल भावना समारोह आयोजित किया गया। इससे पूर्व, शांतिलाल जी मंजूबाई सिंघवी के निवास से तेरापंथ भवन तक एक भव्य शोभायात्रा निकाली गई। बरसात होने के बावजूद स्थानीय लोगों ने इस शोभायात्रा में उत्साह के साथ भाग लिया।




आशीर्वाद और शुभकामनाएँ
समणीजी द्वारा नवकार मंत्र के पश्चात् मधुर मंगलाचरण से कार्यक्रम की मंगल शुरुआत की गई। तेरापंथ सभा अध्यक्ष देवीचंदजी मांडोत एवं तेरापंथ ट्रस्ट के प्रमुख नियासी बच्छराजजी गिडिया ने मुमुक्षु बहनों के साहस की सराहना करते हुए उन्हें मंगल कामनाएं दीं। ज्ञानशाला के बच्चों एवं प्रशिक्षिकाओं ने मिलकर एक बहुत सुंदर संवाद प्रस्तुत किया, जिसने सभी का मन मोह लिया। तेयुप अध्यक्ष चैनरूप जी सेठिया ने भी अपने विचार व्यक्त किए। तेरापंथ महिला मंडल अध्यक्षा श्रीमती रूपकला भंडारी ने दोनों दीक्षार्थी बहनों की निर्विघ्न मंगल यात्रा की कामना की। जैन महासंघ सचिव राकेश गोलछा ने दोनों मुमुक्षु बहनों को शुभ आशीर्वाद और मंगल कामनाएँ दीं।


मंडल की बहनों द्वारा प्रस्तुत संवाद गीतिका बहुत ही हृदयस्पर्शी थी, वहीं कन्या मंडल द्वारा प्रस्तुत किया गया नाटक प्रेरणादायक था। मुमुक्षु अंजलि के पारिवारिक जनों ने भी अपनी भावनाएँ संवाद, गीतिका और नाटक के माध्यम से प्रस्तुत कीं।
संयम पथ और महत्वपूर्ण सूत्र
समणी क्षांति प्रज्ञा जी ने अपने उद्बोधन में कहा कि अंजलि ने संयम में ‘स्पेशलिस्ट’ (Specialist) का करियर चुना है। उन्होंने ‘SPECIAL’ बनने के लिए Sacrifice (त्याग), Positive thinking (सकारात्मक सोच), Empathy (समानुभूति), Confidence (आत्मविश्वास), Intelligence (बुद्धिमत्ता), Attitude (दृष्टिकोण) और Loyalty (निष्ठा) की आवश्यकता बताई। उन्होंने प्रेरणा दी कि जिस श्रद्धा और विश्वास से यह पथ चुना है, उसी श्रद्धा और विश्वास के साथ उस पर चलें। उन्होंने शांत (calm) रहते हुए सजग (clear) रहने, शांति के साथ सजगता और आराम के साथ तत्परता (relaxed but ready) जैसे उत्कृष्ट भावों से संयम मार्ग पर चलने का आह्वान किया।
समणी निर्देशिका जिनप्रज्ञाजी ने अपने मंगल उद्बोधन में आगम के तीन वाक्यों के बारे में कहा:
- समयं गोयम मा पमाइए (हे गौतम! क्षण भर भी प्रमाद न करो।
- खणं जाणाई पंडिए (क्षण-भर के लिए भी सावधान रहना ही पंडितपन है।
कालं काले समायरे (समय पर कर्तव्य का आचरण करो।)
उन्होंने कहा कि मुमुक्षु अंजलि ने इन तीनों रत्न समान वाक्यों को जीवन में उतारा है। उन्होंने दोनों दीक्षार्थियों को साधना पर ध्यान केंद्रित करने और साधना की राह पर आत्मस्थ रहने की प्रेरणा दी। समणीजी ने कोयंबतूर के लिए मंगल कामना की कि ऐसे ही और संतानें दीक्षा के लिए तैयार हों।
स्थानकवासी समाज से घीसूलाल जी हिंगड़ ने दीक्षार्थी बहनों को रागी से वैरागी बन, वीतरागी बनने की उत्कृष्ट भावना व्यक्त की। श्री जैन श्वेतांबर मूर्तिपूजक संघ के अध्यक्ष गुलाब मेहता ने प्रशंसनीय शब्दों में दोनों मुमुक्षु बहनों के भाग्य को सराहा। उपासिका श्रीमती सुशीला बाफना ने दोनों को उज्ज्वल भविष्य की मंगल कामनाएँ दीं। बेंगलुरु के तेयुप उपाध्यक्ष श्री विनोद जी कोठारी ने भी अपने विचार व्यक्त किए।
मुमुक्षु अंजलि एवं मुमुक्षु दीक्षा का सम्मान महिला मंडल और सभा द्वारा तिलक व शॉल भेंट कर किया गया। मुमुक्षु अंजलि ने अपनी अब तक की यात्रा के बारे में उत्तम शैली और धारा प्रवाह रूप से बताया, और मुमुक्षु दीक्षा ने भी अपनी कहानी साझा की। श्री जैनसुखजी बैद द्वारा कार्यक्रम का कुशल संचालन संघ प्रभावक रहा।