बीकानेर में मानसून का कहर: खाजूवाला में घरों में घुसा पानी, वल्लभगार्डन की 300 फीट चौड़ी पाल टूटी, कॉलोनियां जलमग्न



बीकानेर, 15 जुलाई । बीकानेर में मानसून एक बार फिर मेहरबान हुआ है, लेकिन इस बार की बारिश आफत बनकर आई है। देर रात से शुरू हुई रिमझिम बारिश सुबह तक जारी रही और दोपहर होते-होते बीकानेर शहर में तेज बारिश हुई, वहीं खाजूवाला-छत्तरगढ़ में भी भारी वर्षा दर्ज की गई। खाजूवाला में हालात इतने बिगड़ गए कि पानी लोगों के घरों में घुस गया और सड़कों पर हिलोरे लेने लगा। खेतों में भी पानी भरने से बड़े नुकसान की आशंका जताई जा रही है।




खाजूवाला में बिल्डिंग खतरे में, मुख्य बाजार जलमग्न
खाजूवाला के मुख्य बाजार में स्थित एक तीन मंजिला बिल्डिंग बारिश के बाद खतरे में आ गई है। बिल्डिंग के चारों तरफ पानी भर गया है और कई जगह दरारें दिख रही हैं। इसके नीचे के अंडरग्राउंड हिस्से में आधा पानी भर गया। सूचना के बाद पुलिस मौके पर पहुंची, लेकिन प्रशासन का कोई अधिकारी नहीं दिखा। कस्बे की सड़कें पूरी तरह से पानी में डूब चुकी हैं और घरों में पानी घुसने से लोग परेशान हैं, प्रशासन को कोसते नजर आ रहे हैं। घरों में गंदगी भर गई और पशुओं को भी पानी के कारण इधर-उधर भटकना पड़ा।


बीकानेर शहर और ग्रामीण क्षेत्रों में भारी बारिश
बीकानेर शहर में दोपहर करीब साढ़े तीन बजे तेज बारिश शुरू हुई। इससे पहले सोमवार रात हल्की रिमझिम के बाद बारिश रुकी थी, लेकिन देर रात करीब दो बजे फिर से शुरू हो गई। नापासर में बारिश इतनी तेज रही कि गलियों में बहाव के साथ पानी बहता दिखा। नापासर के सभी मोहल्लों में पानी जमा हुआ है, और मुख्य बाजार स्थित श्री तोलियासर भैरुजी मंदिर के सामने सीवर लाइन का चैंबर उफान पर रहा। नाल गांव में भी गलियों में पानी जमा हो गया है। शोभासर, अक्कासर, कोलासर, रायसर सहित कई गांवों में भी अच्छी बारिश हुई है।
वल्लभगार्डन की 300 फीट चौड़ी पाल टूटी, तीन कॉलोनियां जलमग्न
बीते दिनों हुई 61 एमएम बारिश का दबाव वल्लभगार्डन की अब तक की सबसे बड़ी 300 फीट चौड़ी पाल सहन नहीं कर पाई और टूट गई। पहले जब भी यह पाल टूटती थी, तो 20 से 70 फीट तक ही टूटती थी। इस बार का नुकसान ज्यादा बड़ा है और इसे भर पाना भी आसान नहीं होगा। नतीजतन, बजरंग विहार प्रथम व सेकंड फेज और मदन विहार का पूरा इलाका जलमग्न हो गया है। ये तीनों कॉलोनियां पानी के टापू पर बसी दिख रही हैं, और बीते 3 दिनों से यहां के सैकड़ों घरों के लोग अपने घरों में कैद हैं, क्योंकि निकलने का कोई रास्ता नहीं बचा है। वल्लभगार्डन के लोग पिछले दो-तीन सालों में कई बार इस समस्या का सामना कर चुके हैं। सीवरेज सिस्टम के अभाव में, शहर के लगभग 30% हिस्से का पानी नालों से होते हुए वल्लभगार्डन तक आता है। यहां आने वाले पानी का न तो ट्रीटमेंट होता है और न ही कोई और उपयोग। इस भरे हुए पानी का फायदा आसपास के लोग पंप करके खेतों तक ले जाते हैं और गंदे पानी से खेती करते हैं। चूंकि बजरंग विहार और मदन विहार कॉलोनियां इस पाल से सटी हुई हैं, पाल टूटते ही सारा पानी इन कॉलोनियों में भर जाता है।
समाधान की दिशा में प्रयास: 59 करोड़ की योजना और पंपिंग
इस समस्या से निजात पाने के लिए मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने अपने पहले बजट में बीकानेर के ड्रेनेज सिस्टम को ठीक करने के लिए 100 करोड़ रुपये का ऐलान किया था। प्रोजेक्ट बनने के बाद वित्त विभाग ने 59.63 करोड़ रुपये मंजूर किए हैं, जो वल्लभगार्डन, खुदखुदा नाला और सुजानदेसर के आसपास के जलभराव वाले क्षेत्रों पर खर्च होंगे। नगर निगम ने इस राशि से टेंडर प्रक्रिया शुरू कर दी है। जल्दी ही टेंडर खुलेगा और काम शुरू होगा। नगर निगम इस टेंडर के तहत यहां के पानी को पहले ट्रीट करेगा और उसके बाद उसे बेचा जाएगा। नगर निगम के एक्सईएन चिराग गोयल ने बताया, “पानी निकाला जा रहा है। इस बार पाल लंबी टूटी है, करीब 300 फीट। उसे बांधना आसान काम नहीं है। काम शुरू हो गया है, मगर समय लगेगा। तब तक पंप लगाकर पानी निकाला जा रहा है। सरकार से मिले पैसे से काम कराने के लिए टेंडर प्रक्रिया चल रही है।”
जनजीवन प्रभावित और स्वास्थ्य चुनौतियां
पानी के हालात इतने विकट हैं कि सोमवार को न तो बच्चे स्कूल जा पाए और न ही लोग काम पर निकल पाए, क्योंकि कॉलोनियों तक स्कूली वाहन नहीं पहुंच सके। पानी के नीचे गड्ढों का पता न होने के कारण लोग पैदल जाने से भी डर रहे हैं। दोपहर तक जलस्तर कुछ कम जरूर हुआ है, लेकिन हालात सामान्य नहीं हुए हैं। ऊपर से बरसाती सीजन होने के कारण पानी भरने से मौसमी बीमारियों के पनपने का डर भी है। नगर निगम ने पानी निकालने के लिए 3 पंप लगाए हैं, जिनसे पानी निकालकर नालों से होते हुए सीवरेज प्लांट तक ले जाया जा रहा है। निगम अधिकारियों का कहना है कि पाल अभी ठीक होना संभव नहीं है, इसलिए पंप लगाकर ही पानी निकालना पड़ेगा। इसके अलावा कोई विकल्प नहीं है। खुदखुदा तालाब की पाल भी बारिश के पानी के दबाव से दरक गई थी, हालांकि निगम का दावा है कि उसे ठीक कर दिया गया है।