साहित्य बिच्छोह दुखदाई’ थीम पर राष्ट्रीय कवि चौपाल, स्व. भवानी शंकर व्यास ‘विनोद’ को भावांजलि


बीकानेर, 7 दिसम्बर । बीकानेर के साहित्य जगत में शोक का माहौल है। हास्य-व्यंग्य के महान कवि, संपादक और चिंतक स्वर्गीय भवानी शंकर व्यास ‘विनोद’ की स्मृति को समर्पित राष्ट्रीय कवि चौपाल की 545वीं कड़ी का आयोजन किया गया। इस कड़ी की थीम ‘साहित्य बिच्छोह दुखदाई’ रखी गई, जिसमें साहित्यकारों ने उन्हें मौन रखकर और अपनी रचनाओं के माध्यम से भावभीनी श्रद्धांजलि दी।



मुख्य वक्ताओं के उद्गार
रामेश्वर साधक (बौद्धिक वक्ता): उन्होंने स्व. व्यास ‘विनोद’ को ‘साहित्य मुनि’ और ‘सरस्वती पुत्र’ बताया। उन्होंने कहा कि उनके साहित्य समर्पित लेखन और कालजयी रचनाओं से वह जन-जन के चितचोर थे।



श्रीमती इंदिरा व्यास (कार्यक्रम अध्यक्ष): उन्होंने व्यास जी को कलमकारों का सदा प्रेरक बताते हुए कहा, “निंदतू नीति निपुणा, नीति नीति में निपुण…”
जुगल किशोर पारीक (मुख्य वक्ता): उन्होंने कहा कि शिक्षाविद भवानी शंकर व्यास ‘विनोद’ हास्य-व्यंग्य के महान कवि के साथ जन-जन के चितचोर थे। उन्होंने उनकी प्रसिद्ध रचनाओं जैसे ‘जर्दे में भंग भवानी का’ और ‘गदर्भराज महा बलशाली’ का वाचन किया।
डॉ. कृष्ण लाल विश्नोई: उन्होंने अपनी मार्मिक कविता से श्रद्धांजलि दी: “जिंदगी बना तो ऐसी बना, जिंदा रहे दिल साद तूं.. जिंदगी रहे न रहे फिर भी रहे याद तूं।”
सरदार अली परिहार: उन्होंने व्यास जी को कला की कद्र करने वाला, प्रोत्साहित करने वाला और साहित्य सेवाओं में अग्रणी शिरोमणि बताया।
शिव दाधीच (संचालक): उन्होंने कहा, “आज राम तो नहीं घर घर देखों रामायण है” और “आप वो इन्सान थे, जिसको साहित्य जगत याद रखेगा। शब्द साहित्य के महकते उपवन इंतजार करेगा।”
अन्य कवि: लीलाधर सोनी, बाबू बमचकरी, प्रभा कोचर, राजकुमार ग्रोवर, तुलसीराम मोदी, कृष्णा वर्मा, विशाल भारद्वाज, हनी कोचर, मधुरिमा सिंह, कैलाश दान चारण, और सुभाष विश्नोई सहित कई साहित्य प्रेमियों ने अपने भावपूर्ण उद्गार व्यक्त किए।
कार्यक्रम का समापन
कार्यक्रम में श्रीमती इंदिरा व्यास, सरदार अली परिहार, डॉ. कृष्ण लाल विश्नोई, श्री नरसिंह भाटी आदि मंच पर विराजमान रहे। कार्यक्रम का संचालन शिव प्रकाश दाधीच ने चुटीले अंदाज में किया। अंत में, उपस्थित सभी साहित्य वृंद ने दो मिनट का मौन रखकर पुष्पांजलि मय भावांजलि श्रद्धांजलि अर्पित की।








