चेन्नई के किलपॉक में एक दिवसीय साधक साधना शिविर संपन्न

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51 साधकों ने मुनि मोहजीतकुमार के सान्निध्य में की ‘साधुसम साधना’

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किलपॉक, चेन्नई , 17 अगस्त। भारतीय संस्कृति के उत्थान में संत महात्माओं के महत्वपूर्ण योगदान को रेखांकित करते हुए, भिक्षु निलयम, किलपॉक में मुनि मोहजीतकुमार ठाणा 3 के पावन सान्निध्य में एक दिवसीय साधक साधना शिविर का आयोजन किया गया। तेरापंथ युवक परिषद के तत्वावधान में किशोर मंडल, किलपॉक द्वारा चलाए गए इस विशिष्ट उपक्रम में 51 सदस्यों ने भाग लेकर स्वयं को साधुचर्या से संबद्ध किया।
साधना का संकल्प और मार्गदर्शन
प्रातःकाल सूर्योदय के साथ ही, मुनि मोहजीतकुमार ने सभी साधकों को साधना की उपसम्पदाओं से संकल्पित करवाया। सभी साधक मुनि वेशभूषा में रहे। साधक संरक्षक ताराचंद बरलोटा ने संभागी साधकों को रजोहरण प्रदान किया। मुनि जयेशकुमार ने भगवान महावीर द्वारा उल्लेखित साधुचर्या की तरह सभी साधकों को पूर्ण जागरूकता के साथ पूरा दिन बिताने की प्रेरणा दी। इसके पश्चात् उन्होंने 10 साधक लीडरों की नियुक्ति कर उनके साथ अन्य साधकों का नियोजन किया, जो साधक लीडरों के दिशानिर्देश में संलग्न रहे।

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प्रवचन: साधना का महत्व और आत्म-निरीक्षण
अपने मुख्य प्रवचन में, मुनि मोहजीतकुमार ने कहा कि साधना के प्रति अंतर का भाव जागृत होने पर ही साधना फलीभूत होती है। संभागी साधकों के साथ उपस्थित श्रावक समाज को विशेष पाथेय प्रदान करते हुए, मुनिवर ने कहा कि हमारी देव, गुरु, धर्म के प्रति श्रद्धा सघन हो, आस्था अटूट होने पर ही हम परम की प्राप्ति कर सकते हैं। संकल्पों से परिपूर्ण बनने से साधना शिखर चढ़ती है। उन्होंने कामना की कि यह साधना एक दिन की ही नहीं, बल्कि जीवन भर की बने और साधक हर प्रवृत्ति में सजग रहें तथा वीतरागता की दिशा में आगे बढ़ें, जिससे साधना का सत्व बढ़ता रहे।

केश लुंचन, संयम यात्रा का वृत्तांत और समापन
प्रवचन के बाद साउंड हीलिंग का प्रयोग करवाया गया। मध्याह्न में, सभी साधकों ने अपनी आँखों से मुनि मोहजीतकुमार के केश लुंचन का दृश्य निहारा। संध्या में गुरु वन्दना और प्रतिक्रमण के पश्चात्, मुमुक्षु की संयम यात्रा पर मुनि जयेशकुमार ने अपने जन्म से लेकर अभी तक की साधना यात्रा का वृत्तांत सुनाया। पावरपॉइंट प्रेजेंटेशन में चित्रों और वीडियो के साथ उनकी यात्रा को देखकर पूरी जनमेदिनी भावविभोर हो गई। रात्रि में आत्मनिरीक्षण और आत्मदर्शन के साथ सभी साधकों ने शयन किया। प्रातःकाल ब्रह्म मुहूर्त में सभी ने रात्रिक प्रतिक्रमण कर गुरु वन्दना की। प्रतिलेखन के पश्चात्, सूर्योदय के समय मुनिप्रवर ने मंगल पाठ के साथ साधना परिसंपन्नता की घोषणा की।

आयोजन में प्रमुख योगदान
इस साधना शिविर में किशोर मंडल संयोजक हर्ष डूंगरवाल, प्रथम कोठारी, संयम रायसोनी, दीक्षित, विशाल और अन्य किशोरों के साथ, तेरापंथ सभा से अशोक आच्छा, चंद्रप्रकाश बोथरा, माणकचंद बोथरा का विशेष योगदान रहा। तेरापंथ सभा, तेयुप (तेरापंथ युवक परिषद), और महिला मंडल के कार्यकर्ताओं का भी इसमें श्रम नियोजित हुआ।

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