अंता उपचुनाव में कांग्रेस की बड़ी जीत: बीजेपी की हार के चौंकाने वाले कारण, नरेश मीणा फैक्टर और गुटबाजी पड़ी भारी


जयपुर, 14 नवंबर। कांग्रेस ने आखिरकार अंता विधानसभा सीट भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) से छीन ली है। कांग्रेस प्रत्याशी प्रमोद जैन भाया ने अपने पिछले हार के अंतर से तीन गुना अधिक वोटों से जीत दर्ज की। सत्ता में होने के बावजूद बीजेपी की हार के पीछे कई चौंकाने वाले कारण सामने आए हैं, जिनमें पार्टी की अंदरूनी कलह और नरेश मीणा फैक्टर प्रमुख हैं।



बीजेपी की हार के मुख्य कारण



बीजेपी उम्मीदवार मोरपाल सुमन के लिए प्रचार में केवल दिखावे की एकता नजर आई। हार के प्रमुख कारण निम्नलिखित हैं:
- स्थानीय दिग्गजों से दूरी: बारां जिले के ही कैबिनेट मंत्री हीरालाल नागर और मदन दिलावर जैसे स्थानीय नेताओं को चुनावी मैदान से दूर रखा गया। सूत्रों के अनुसार, इन नेताओं को हाड़ौती के दूसरे दिग्गज नेता के समर्थक माने जाने के कारण प्रचार में शामिल नहीं किया गया।
- नरेश मीणा फैक्टर को कम आंकना: निर्दलीय उम्मीदवार नरेश मीणा, जिन्हें हनुमान बेनीवाल (रालोपा) और राजेंद्र सिंह गुढ़ा का समर्थन मिला, बीजेपी के लिए सबसे बड़ा खतरा साबित हुए। बीजेपी ने उन्हें गंभीरता से नहीं लिया, जबकि उन्होंने मीणा समाज और बीजेपी से नाराज वोटों में सीधी सेंधमारी की।
- किरोड़ी लाल मीणा की औपचारिकता: मीणा समाज के दिग्गज नेता किरोड़ी लाल मीणा का प्रचार मात्र औपचारिकता बनकर रह गया, जिससे नरेश मीणा के प्रभाव को काउंटर नहीं किया जा सका।
- कमजोर ग्राउंड मैनेजमेंट: बीजेपी नेता राठौड़ ने खुद माना कि पार्टी कांग्रेस द्वारा फैलाए गए भ्रम को समय पर काउंटर नहीं कर पाई और संगठनात्मक स्तर पर कमी रह गई।
कांग्रेस की एकजुटता बनी जीत का आधार
बीजेपी की हार के उलट, कांग्रेस की जीत में सबसे अहम भूमिका नेताओं की एकजुटता ने निभाई।
- गहलोत-पायलट की जुगलबंदी: पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और पूर्व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट, दोनों ने अपने बीच की दूरियां भुलाकर अंता सीट के लिए एकजुट होकर प्रचार किया।
- सक्रिय प्रदेश नेतृत्व: प्रदेश प्रभारी सुखजिंदर सिंह रंधावा, नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली और प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा ने गांव-गांव जाकर प्रचार किया और बीजेपी सरकार को घेरा, जिसका बीजेपी के पास कोई जवाब नहीं था।
नतीजों का राजनीतिक असर
इस एक सीट के परिणाम से कांग्रेस में एक नई ‘जान’ आएगी और यह पार्टी को एकजुट होकर अगले चुनावों में जाने के लिए ईंधन प्रदान करेगा। वहीं, सत्ता में रहने के बावजूद मिली इस हार पर बीजेपी को गहन मंथन करना होगा। जानकारों का मानना है कि बीजेपी स्थानीय लोगों की आधारभूत समस्याओं को दूर करने के लिए कोई काम छेड़ नहीं पाई, जिसके कारण जनता ने वोट नहीं दिए।
बीजेपी प्रदेशाध्यक्ष राठौड़ ने बताए 5 कारण
बीजेपी प्रदेशाध्यक्ष राठौड़ ने हार के लिए पाँच कारण स्वीकार किए, जिनमें प्रमुख हैं: कांग्रेस के भ्रम को काउंटर न कर पाना, स्थानीय मुद्दों का हावी होना, ग्राउंड मैनेजमेंट में कमी, और प्रमोद जैन भाया की मजबूत स्थानीय पकड़।








