राजेन्द्र जोशी का एकल काव्य पाठ- “कविताएं और कहानियां हमारे आसपास के विषयों के साथ न्याय करती हैं”


बीकानेर, 30 जुलाई। शब्दरंग साहित्य एवं कला संस्थान की ओर से आज वरिष्ठ कवि कथाकार राजेन्द्र जोशी का तपसी भवन में एकल काव्य पाठ और नागरिक अभिनंदन किया गया। इस अवसर पर उन्हें ‘साहित्य मित्र सम्मान’ से भी नवाजा गया।
जोशी के साहित्य में वैविध्य और स्थानीयता
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि व्यंग्यकार बुलाकी शर्मा ने राजेन्द्र जोशी के साहित्यिक योगदान की सराहना करते हुए कहा कि उन्होंने साहित्य सृजन को नए आयाम दिए हैं। उनके साहित्य में विषयों की वैविध्यता के साथ स्थानीय पुट देखने को मिलता है। शर्मा ने जोर देकर कहा कि जोशी की कहानियाँ और कविताएँ हमारे आसपास तैरने वाले विषयों के साथ न्याय करती हैं, और वे कथेतर साहित्य पर कार्य करने वाले गिने-चुने साहित्यकारों में शामिल हैं। वरिष्ठ स्तंभलेखक डॉ. अजय जोशी ने बीकानेर को देशभर में साहित्य के माध्यम से मिली पहचान का जिक्र करते हुए कहा कि राजेन्द्र जोशी इसी परंपरा के वाहक हैं। उन्होंने अपनी प्रत्येक रचना के साथ सामाजिक सरोकार का कोई-न-कोई संदेश देने का प्रयास किया है और साहित्य फलक पर अपनी विशेष पहचान स्थापित की है। जनसंपर्क विभाग के उपनिदेशक डॉ. हरि शंकर आचार्य ने साहित्य की सार्थकता पर बात करते हुए कहा कि वही साहित्य अर्थपूर्ण होता है जिसे सामान्य पाठक समझ सके। उन्होंने जोशी के सृजन की गहराई को स्वीकार करते हुए बताया कि साक्षरता आंदोलनों को देखने, समझने और जीने के कारण उनकी रचनाओं में शब्दों का चयन अत्यंत सतर्कता से किया जाता है, जिससे वे आम पाठक तक पहुँच पाती हैं।




‘साहित्य मित्र सम्मान’ और जोशी का साहित्यिक सफर
शब्दरंग संस्थान के सचिव और गीतकार राजाराम स्वर्णकार ने कार्यक्रम की रूपरेखा बताते हुए कहा कि साहित्यिक क्षेत्र में सतत और विशेष योगदान के लिए राजेन्द्र जोशी को शब्दरंग का ‘साहित्य मित्र सम्मान’ अर्पित किया गया है। उन्होंने जानकारी दी कि जोशी के छह कविता संग्रह, नौ कहानी संग्रह, पाँच अनुवाद की पुस्तकें, और इसके अतिरिक्त जीवनी, संपादन सहित अनेक चर्चित पुस्तकें प्रकाशित हुई हैं।


राजेन्द्र जोशी ने अपने संबोधन में कहा कि लेखन के प्रति न्याय किसी भी लेखक की सर्वोच्च प्राथमिकता होनी चाहिए, और ऐसा करके ही वह इसे सार्थक बना सकता है। उन्होंने बताया कि उन्होंने अपनी प्रत्येक पंक्ति को इस कसौटी पर खरा उतारने का प्रयास किया है कि उनका सृजन सार्थक हो। इस दौरान उन्होंने अपनी चुनिंदा हिंदी कविताएँ जैसे ‘कल के रास्ते’, ‘समय ने पूछा’, ‘रात-1’, ‘छिप गया सूरज’, ‘मेघ’ और राजस्थानी की चिर-परिचित अंदाज में ‘दूजे रै कांधे उपर बंदूक’ कविताएँ सुनाईं, साथ ही सृजन से जुड़े अपने अनुभव भी साझा किए।
अभिनंदन और गणमान्य व्यक्तियों की उपस्थिति
इससे पहले एन.एस.पी. के विभागाध्यक्ष डॉ. गौरी शंकर प्रजापत ने राजेन्द्र जोशी के लेखन पर आधारित लघु शोध भेंट किया। कैलाश टाक, बाबू लाल छंगाणी, प्रेरणा प्रतिष्ठान के प्रेम नारायण व्यास और अशफाक कादरी सहित अन्य अतिथियों ने जोशी का अभिनंदन किया। अध्यक्षीय उद्बोधन देते हुए वरिष्ठ अधिवक्ता हीरालाल हर्ष ने बताया कि जोशी ने साहित्य के साथ-साथ साक्षरता, मतदाता जागरूकता, स्काउट गाइड और अन्य सामाजिक सरोकार से जुड़े अनेक कार्यों में भी महत्वपूर्ण योगदान दिया है। कार्यक्रम का संचालन बाबू लाल छंगाणी ने किया। इस दौरान सुभाष जोशी, समाजशास्त्री आशा जोशी, बी.जी. जोशी, लोकेश चूरा, केशव आचार्य आदि गणमान्य व्यक्ति उपस्थित रहे।