राजस्थान के सुजानगढ़ में ‘हारे का सहारा’- श्यामसुंदर स्वर्णकार, जो बन गए हैं ‘चलती फिरती एम्बुलेंस’



डाॅ. वीरेन्द्र भाटी मंगल




सुजानगढ़ निवासी श्यामसुंदर स्वर्णकार पिछले 14 वर्षों से मानवता की मिसाल कायम कर रहे हैं और सच्चे अर्थों में ‘दूसरों के लिए जीने’ की भावना को साकार कर रहे हैं। पेशे से प्राइवेट कंपनी में सीनियर मार्केटिंग एग्जीक्यूटिव होते हुए भी, वे आज न सिर्फ सुजानगढ़ बल्कि आसपास के दर्जनों गाँवों में “चलती फिरती एम्बुलेंस” और “हारे का सहारा” के नाम से जाने जाते हैं।



2011 से निस्वार्थ सेवा का सफर
श्यामसुंदर स्वर्णकार (उम्र 47 वर्ष) ने वर्ष 2011 में केवल मानवीय संवेदना के साथ सेवा के पथ पर कदम रखा। उनके प्रयासों ने धीरे-धीरे एक सामाजिक अभियान का रूप ले लिया।
आपातकालीन सहायता: उन्होंने अब तक 4000 से अधिक आपातकालीन मामलों में घायलों, असहायों और जरूरतमंदों की सहायता की है।
तत्काल प्रतिक्रिया: चाहे सड़क दुर्घटना हो, जलने का मामला, आत्महत्या का प्रयास या रेल हादसा, सूचना मिलते ही वे सबसे पहले घटनास्थल पर पहुँचकर घायलों को अस्पताल पहुँचाने, प्राथमिक उपचार दिलाने और परिजनों से संपर्क कराने में जुट जाते हैं। कई बार वे खुद घायल व्यक्ति को बीकानेर, सीकर या जयपुर तक ले गए हैं।
‘हारे का सहारा’ टीम का गठन
लगातार सेवा कार्यों से प्रेरित होकर श्यामसुंदर जी से कुछ लोग जुड़े और “हारे का सहारा” नामक एक अनौपचारिक टीम बनी, जिसका न कोई रजिस्ट्रेशन है और न कोई फंड, केवल सेवा की भावना है। इस टीम में 8-10 सक्रिय सदस्य हैं जो 24 घंटे उपलब्ध रहते हैं और हर गाँव-मोहल्ले में नेटवर्क के माध्यम से सूचना पहुँचाते हैं।
कोविड काल में मानवता की सबसे बड़ी परीक्षा
कोरोना महामारी के दौरान जब भय का माहौल था, तब श्यामसुंदर स्वर्णकार और उनकी टीम ने मानवता की सबसे बड़ी परीक्षा पास की। उन्होंने लोगों को भोजन, दवाई और ऑक्सीजन उपलब्ध कराई। उन्होंने 175 से अधिक कोविड पॉजिटिव और संदिग्ध शवों का सरकारी गाइडलाइन के अनुसार अंतिम संस्कार किया।उन्होंने 15 से अधिक गाँवों में जाकर टीकाकरण और सुरक्षा के प्रति जागरूकता फैलाई।
अन्य उल्लेखनीय कार्य
- गुमशुदा लोगों की खोज: उन्होंने अब तक 100 से अधिक गुमशुदा लोगों को उनके परिजनों से मिलवाया है।
- अज्ञात शवों का अंतिम संस्कार: 50 से अधिक अज्ञात शवों का धार्मिक विधि-विधान से अंतिम संस्कार कराया।
- सरकारी योजनाओं का लाभ: सैकड़ों परिवारों को चिरंजीवी योजना सहित विभिन्न सरकारी योजनाओं का लाभ दिलाया।
रक्तदान और समन्वय
श्यामसुंदर जी स्वयं अब तक 75 बार रक्तदान कर चुके हैं और 25,000 रक्तदाताओं को प्रेरित कर चुके हैं। उन्होंने सोशल मीडिया के माध्यम से लाइव डोनर नेटवर्क बनाया है, जिससे प्रसूता महिलाओं और दुर्घटना पीड़ितों तक तुरंत रक्त पहुँचाया जा सके। उनकी तत्परता और जिम्मेदारी के कारण, 108 एम्बुलेंस, पुलिस और प्रशासन के साथ समन्वय बनाकर तुरंत सहायता उपलब्ध कराने के लिए उन्हें “चलती-फिरती एम्बुलेंस” कहा जाता है। श्यामसुंदर स्वर्णकार का जीवन युवाओं के लिए प्रेरणा है, जो यह साबित करता है कि मानवता सबसे बड़ा धर्म है।

