स्वामी केशवानंद राजस्थान कृषि विश्वविद्यालय का 39वां स्थापना दिवस समारोहपूर्वक आयोजित

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बीकानेर, 1 अगस्त। स्वामी केशवानंद राजस्थान कृषि विश्वविद्यालय (SKRAU) का 39वां स्थापना दिवस शुक्रवार को समारोहपूर्वक मनाया गया। इस अवसर पर विद्या मंडप में आयोजित कार्यक्रम में कृषि शिक्षा, अनुसंधान और प्रौद्योगिकी हस्तांतरण में विश्वविद्यालय के महत्वपूर्ण योगदान पर प्रकाश डाला गया।
स्थानीय फसलों पर अनुसंधान समय की मांग- डॉ. अखिल रंजन गर्ग
समारोह के मुख्य अतिथि, बीकानेर तकनीकी विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. अखिल रंजन गर्ग ने SKRAU को 39वें स्थापना दिवस की बधाई दी। उन्होंने कहा कि कृषि विज्ञान में उच्च शिक्षा के साथ-साथ विश्वविद्यालयों का किसानों को तकनीक हस्तांतरण में महत्वपूर्ण योगदान रहा है। डॉ. गर्ग ने वर्तमान आवश्यकताओं को देखते हुए कृषि विश्वविद्यालयों से स्थानीय फसलों के अनुसंधान पर जोर देने का आग्रह किया। उनका मानना है कि इससे किसान स्थानीयता को अपनाने के लिए प्रेरित होंगे और पोषण अंतर को कम किया जा सकेगा। उन्होंने कृषि की आधुनिकतम तकनीकों को अपनाते हुए सामूहिक और सामुदायिक कृषि मॉडल विकसित करने पर भी बल दिया, ताकि संसाधनों का बेहतर इस्तेमाल हो सके।

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कृषि प्रौद्योगिकी हस्तांतरण में कृषि वैज्ञानिकों का योगदान अभूतपूर्व: डॉ. गहलोत
राजुवास के पूर्व कुलपति डॉ. गहलोत ने संस्थापक कुलपति डॉ. के.एन. नाग की स्मृति में व्याख्यान दिया। उन्होंने SKRAU की लंबी, सफल और प्रेरक यात्रा को सराहा और संस्थापक कुलपति डॉ. नाग के विश्वविद्यालय की स्थापना और विकास की चुनौतियों को बखूबी निभाने की बात कही। डॉ. गहलोत ने राज्य में कृषि के उत्थान में कृषि विश्वविद्यालयों की अग्रणी भूमिका पर जोर दिया। उन्होंने बताया कि पानी की कमी जैसी चुनौतियों के बावजूद, तकनीकी सहायता से प्रदेश में कृषि की उपज में ऐतिहासिक बढ़ोतरी हुई है। राजस्थान अब मोटे अनाज और सरसों जैसी फसलों में प्रथम स्थान पर, दलहन-तिलहन और जीरा उत्पादन में दूसरे स्थान पर, तथा दूध उत्पादन में अग्रणी राज्यों में है। इसका पूरा श्रेय कृषि वैज्ञानिकों को जाता है, जिनके माध्यम से कृषि प्रौद्योगिकी किसानों तक पहुँची है। डॉ. गहलोत ने पानी की कमी, जोत के घटते आकार और जलवायु परिवर्तन को बड़ी चुनौती बताते हुए कृषि शोध व अनुसंधान को इस दिशा में ले जाने की आवश्यकता पर बल दिया, ताकि इन चुनौतियों का सामना किया जा सके। उन्होंने SKRAU को पश्चिमी राजस्थान की वर्तमान कृषि परिस्थितियों के अनुरूप कार्य करने के लिए प्रतिबद्ध रहने को कहा।

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विश्वविद्यालय की उपलब्धियाँ और भविष्य की दिशा
SKRAU के कुलगुरु डॉ. अरुण कुमार ने कहा कि कृषि शिक्षा, शोध व अनुसंधान के क्षेत्र में गौरवशाली 38 वर्ष इस विश्वविद्यालय की धरोहर हैं। उन्होंने बताया कि विश्वविद्यालय क्षेत्र के किसानों की आर्थिक-सामाजिक समृद्धि के मूल ध्येय के साथ कृषक कल्याण के लिए सतत प्रयासरत रहा है। उन्होंने गर्व से कहा कि विश्वविद्यालय से निकले विद्यार्थियों ने देश-दुनिया के हर कोने में अपना परचम लहराया है। डॉ. अरुण कुमार ने SKRAU के वैज्ञानिकों, प्रोफेसर्स, विद्यार्थियों और कार्मिकों को विश्वविद्यालय की उपलब्धियों के लिए बधाई देते हुए राष्ट्र निर्माण में अपना सर्वोत्तम योगदान देने का आह्वान किया। वित्त नियंत्रक पवन कस्वां ने कहा कि विश्वविद्यालय ने कृषि शोध अनुसंधान में नए कीर्तिमान स्थापित किए हैं और शिक्षा का लाभ समाज की अंतिम पंक्ति तक पहुँचाने में अहम योगदान दिया है।

समारोह में विभिन्न संबद्ध महाविद्यालयों में आयोजित वाद-विवाद, एक्सटेम्पर, पोस्टर, संगीत और नृत्य प्रतियोगिताओं के विजेताओं को सम्मानित किया गया। डॉ. एच.एल. देशवाल ने स्वागत उद्बोधन और प्रगति प्रतिवेदन प्रस्तुत किया। अकादमिक एक्सीलेंस के लिए मानवजीत सिंह और बुलबुल को चौधरी चरण सिंह स्मृति पुरस्कार से सम्मानित किया गया। कार्यक्रम का संचालन विवेक व्यास और डॉ. मंजू कंवर राठौड़ ने किया। इस दौरान अधिष्ठाता, किसान और विश्वविद्यालय के विद्यार्थी उपस्थित रहे। डॉ. सीमा त्यागी ने धन्यवाद ज्ञापित किया।

प्रदर्शनी और खेजड़ी ब्लॉक का निर्माण
समारोह में विश्वविद्यालय के विभिन्न कार्यों, शोध अनुसंधान, कृषि उपकरणों, उन्नत बीज, मूल्य संवर्धन उत्पादों आदि पर आधारित एक आकर्षक प्रदर्शनी भी लगाई गई, जिसका अतिथियों ने अवलोकन कर सराहना की। स्थापना दिवस के अवसर पर विश्वविद्यालय परिसर में खेजड़ी का एक पूरा ब्लॉक तैयार करने का संकल्प लिया गया। इसी संदर्भ में देशी खेजड़ी और थार शोभा खेजड़ी के 251 पौधों का वैज्ञानिक विधि से रोपण किया गया। कुलगुरु डॉ. अरुण कुमार, रजिस्ट्रार डॉ. देवाराम सैनी और वित्त नियंत्रक पवन कस्वां सहित डीन डायरेक्टर्स द्वारा वृहद स्तर पर पौधारोपण किया गया। कार्यक्रम संयोजक व भू-सदृश्यता और राजस्व सृजन विभाग निदेशक डॉ. पी.के. यादव ने बताया कि यह पौधारोपण राज्य सरकार के ‘हरियालो राजस्थान अभियान’ के तहत किया गया है, जिसमें विश्वविद्यालय के शैक्षणिक, गैर-शैक्षणिक स्टाफ और विद्यार्थियों की सक्रिय भागीदारी रही।

 

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