रंग राजस्थानी में गूँजा मायड़ भाषा की मान्यता का मुद्दा, ‘रोए बिना माँ भी दूध नहीं पिलाती


बीकानेर, 17 दिसंबर। महाराजा गंगा सिंह विश्वविद्यालय के राजस्थानी विभाग और अधिष्ठाता छात्र कल्याण के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित ‘रंग राजस्थानी’ कार्यक्रम में राजस्थानी भाषा की मान्यता का मुद्दा प्रमुखता से छाया रहा। विश्वविद्यालय के संत मीराबाई सभागार में आयोजित इस कार्यक्रम में विशेषज्ञों ने राजस्थानी भाषा, कला और संस्कृति के संरक्षण पर ज़ोर देते हुए युवाओं को अपनी मातृभाषा के प्रति गर्व करने का संदेश दिया।


जनगणना में राजस्थानी लिखने का आह्वान
मुख्य अतिथि और चलकोई फाउंडेशन के राजवीर सिंह चलकोई ने ‘राजस्थानी साहित्य: इतिहास, कला, संस्कृति का संरक्षण और संवर्धन’ विषय पर बोलते हुए सरकार और समाज की मानसिकता पर कड़े सवाल उठाए। उन्होंने कहा:


मान्यता की मांग: जब इटली से आकर एल.पी. टेस्सिटोरी राजस्थानी व्याकरण लिख सकते हैं, तो आज तक इस भाषा को संवैधानिक मान्यता क्यों नहीं मिली? यदि डोगरी और मणिपुरी को मान्यता मिल सकती है, तो राजस्थानी के साथ यह भेदभाव क्यों?
वोट की चोट: चलकोई ने युवाओं से आह्वान किया कि आगामी जनगणना में अपनी भाषा ‘राजस्थानी’ ही लिखवाएं। उन्होंने तीखे लहजे में कहा कि अब आंदोलन चलाना होगा और ‘वोट की चोट’ देनी होगी, क्योंकि रोए बिना माँ भी दूध नहीं पिलाती।
ग्लानि की मानसिकता: उन्होंने अफसोस जताया कि आज माता-पिता बच्चों को राजस्थानी बोलने पर टोकते हैं, जिससे नई पीढ़ी अपनी जड़ों से कट रही है।
मरु कोकिला सीमा मिश्रा के गीतों से सजी महत
समारोह में ‘मरु कोकिला’ के नाम से प्रसिद्ध सीमा मिश्रा ने अपनी सुरीली आवाज़ में राजस्थानी गीतों की प्रस्तुति दी, जिससे पूरा सभागार मंत्रमुग्ध हो गया। वहीं, उद्योगपति प्रहलाद राय गोयनका ने राजस्थानी संस्कृति के चार स्तंभों—मीरा, अमृतादेवी बिश्नोई, पन्नाधाय और महाराणा प्रताप—के आदर्शों को आत्मसात करने की प्रेरणा दी।
कुलपति आचार्य मनोज दीक्षित ने अध्यक्षीय उद्बोधन में स्वदेशी दृष्टि से लिखे गए इतिहास को समझने की आवश्यकता पर बल दिया। कार्यक्रम के दौरान राजस्थानी विभाग की सह-प्रभारी डॉ. लीला कौर ने अतिथियों का स्वागत किया और डीन स्टूडेंट्स वेलफेयर डॉ. मेघना शर्मा ने राजस्थानी साहित्य को इतिहास की अनमोल धरोहर बताया। इस अवसर पर विभाग के मेधावी विद्यार्थियों को छात्रवृत्ति भी वितरित की गई। कार्यक्रम में बड़ी संख्या में शिक्षाविद्, साहित्यकार और छात्र उपस्थित रहे।








