रूसी तेल मुनाफा’ विवाद के बीच ट्रंप का बड़ा वार: भारत पर 25% अतिरिक्त टैरिफ, कुल शुल्क 50% हुआ

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नई दिल्ली/वॉशिंगटन, 6 अगस्त। अमेरिका और भारत के बीच बढ़ते व्यापारिक तनाव ने आज एक नया मोड़ ले लिया, जब अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत से आयात होने वाले कुछ प्रमुख उत्पादों पर 25% का अतिरिक्त टैरिफ लगाने की घोषणा कर दी। इस नई बढ़ोतरी के साथ, इन उत्पादों पर कुल आयात शुल्क अब 50% तक पहुँच गया है, जिससे भारतीय निर्यातकों पर भारी आर्थिक बोझ पड़ने की आशंका है।
व्हाइट हाउस से जारी एक बयान में, राष्ट्रपति ट्रंप ने इस कदम को “अनुचित व्यापार प्रथाओं” और “रूसी तेल से भारत के मुनाफ़ा कमाने” के पूर्व आरोप का प्रत्यक्ष परिणाम बताया। उन्होंने कहा कि अमेरिका अपने हितों की रक्षा के लिए प्रतिबद्ध है और उन देशों के साथ “निष्पक्ष व्यापार” चाहता है जो उसकी उम्मीदों पर खरे नहीं उतरते। ट्रंप ने यह आदेश उस समय पर साइन किया, जब उनके पहले से घोषित टैरिफ लागू होने में सिर्फ 14 घंटे बचे थे. इस आदेश के बाद भारत से अमेरिका भेजे जाने वाले ज्यादातर सामान पर अब कुल 50% टैक्स देना होगा. पहला टैरिफ 7 अगस्त से लागू हो जाएगा, जबकि यह नया 25% टैक्स 21 दिन बाद यानी 27 अगस्त 2025 से लागू होगा. हालांकि कुछ सामान इस से छूटेंगे, जैसे वो सामान जो आदेश जारी होने से पहले जहाज पर लोड हो चुके हैं और अमेरिका के रास्ते में हैं. आदेश में यह भी साफ किया गया है कि यह नया टैरिफ पहले से लग रहे किसी भी टैक्स या शुल्क के अलावा होगा. हालांकि, अगर किसी पुराने अमेरिकी कानून के तहत पहले से कोई अलग व्यवस्था हो, तो वहां यह नया टैरिफ लागू नहीं होगा.

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भारत की तीखी प्रतिक्रिया, आर्थिक झटकों की आशंका
भारतीय अधिकारियों ने इस अमेरिकी कदम पर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की है। विदेश मंत्रालय के सूत्रों ने बताया कि यह निर्णय “एकतरफा और व्यापारिक सिद्धांतों के खिलाफ” है। उन्होंने यह भी दोहराया कि भारत अपने ऊर्जा हितों के अनुसार फैसले लेने के लिए स्वतंत्र है, और कई अन्य देश भी रूस से व्यापार कर रहे हैं। इस टैरिफ वृद्धि का सीधा असर भारतीय निर्यातकों पर पड़ेगा, खासकर उन क्षेत्रों पर जो अमेरिका को भारी मात्रा में माल भेजते हैं। वस्त्र, फार्मास्यूटिकल्स, कृषि उत्पाद और कुछ इंजीनियरिंग सामान इस नई टैरिफ वृद्धि के दायरे में आ सकते हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि इससे भारतीय निर्यात प्रभावित होगा, जिससे देश की अर्थव्यवस्था पर दबाव बढ़ सकता है और रुपये में गिरावट देखी जा सकती है। कई उद्योग संघों ने सरकार से तत्काल हस्तक्षेप करने और संभावित जवाबी उपायों पर विचार करने का आग्रह किया है।

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वैश्विक व्यापार पर असर और आगे की राह
विश्लेषकों का मानना है कि यह कदम वैश्विक व्यापार युद्धों को और भड़का सकता है, जिसका असर केवल भारत और अमेरिका तक ही सीमित नहीं रहेगा। अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) और विश्व व्यापार संगठन (WTO) जैसे अंतर्राष्ट्रीय निकाय भी व्यापारिक तनाव बढ़ने पर चिंता व्यक्त कर चुके हैं। फिलहाल, भारतीय सरकार इस स्थिति का गहन मूल्यांकन कर रही है और संभावित राजनयिक तथा व्यापारिक विकल्पों पर विचार कर रही है। यह देखना बाकी है कि क्या भारत भी जवाबी टैरिफ लगाएगा, या इस मुद्दे को द्विपक्षीय बातचीत और अंतरराष्ट्रीय मंचों पर हल करने का प्रयास करेगा। यह घटना दोनों देशों के बीच संबंधों के लिए एक महत्वपूर्ण चुनौती पेश कर रही है।

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