राष्ट्रीय कवि चौपाल की 505वीं कड़ी में प्रीत रा परिन्दा गासी.. प्रीत रा गीतड़ला..

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  • काळी कळायन म्हारा खेत उजाड्या,मैणत रा मोती देवा रेत रळाया,..
  • भेळा रैया, रिस्ता नै जीया, मिनख बण’र रैया, आ ईज है म्हारी असल वसीयत..

 

बीकानेर, 2 मार्च। स्वास्थ्य एवं साहित्य संगम के राष्ट्रीय कवि चौपाल की 505वीं कड़ी राजस्थानी भाषा एवं होली महोत्सव को समर्पित रही। सार्दुल स्कूल मैदान स्थित भ्रमण पाठ में आयोजित हुई इस अनुठी सरस्वती सभा की अध्यक्षता हिंदी एवं राजस्थानी भाषा के वरिष्ठ साहित्य का सरदार अली परिहार, मुख्य अतिथि कवयित्री कथाकार श्रीमती कृष्णा आचार्य एवं विशिष्ट अतिथि स्वर कोकिला कवयित्री श्रीमती मनीषा आर्य सोनी मंच पर शोभित हुए।

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साप्ताहिक काव्य पाठ कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए सरदार अली पड़िहार ने कहा कि राजस्थानी भाषा उसके पास शब्दों का अथाह भंडार है। राजस्थानी जैसी गुढ भाषा एक भाव के अनेक शब्दों से अभिव्यक्ति की जा सकती है।

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मुख्य अतिथि श्रीमती कृष्णा आचार्य ने कहा कि हमारी मूल धरोहर राजस्थानी भाषा है जिसका संरक्षण आम राजस्थानी का दायित्व है। आपने इस गीत के साथ अभिव्यक्ति दी..प्रीत रा परिन्दा गासी प्रीत रा गीतड़ला.. विशिष्ट अतिथि श्रीमती मनीषा आर्य सोनी ने काळी कळायन म्हारा खेत उजाड्या,मैणत रा मोती देवा रेत रळाया,..।

राजस्थानी भाषा के वरिष्ठ कवि कथाकार कमल रंगा ने अपनी भावपुर्ण एवं मार्मिक कविता ‘म्हारी वसीयत भेळा रैया, रिस्ता नै जीया मिनख बण’र रैया आ ईज है म्हारी असल वसीयत.. की प्रस्तुतीकरण से श्रोताओं को गहन चिंतन मनन के लिए मजबूर कर दिया।

नगर के वरिष्ठ शाइर क़ासिम बीकानेरी ने होली पर कही मुसलसल ग़ज़ल की इन पंक्तियों उमड़ रहा है दिलों में जो प्यार होली में/वफ़ा का रंग घुला बेशुमार होली में’ के प्रस्तुतीकरण से माहौल को होली के रंगों से सराबोर कर दिया। वरिष्ठ कवयित्री श्रीमती इंद्रा व्यास ने आओ हम सब खेलें होली राधा कृष्ण सी प्रेम की होली सुनाकर पूरे सदन का मन मोह लिया। बमचकरी ने आच्छी आई रे छोटी बिनणी आई फोन लाई रे.गौरीशंकर प्रजापत ने साजन फाग रमण ना जाई, सेजां रंग के प्रस्तुतीकरण से कार्यक्रम को परवान चढ़ाया।

कार्यक्रम के प्रारंभ में “हे विधात ज्ञान दात मे च मेधा दियताम”.. ईश वंदना से रामेश्वर साधक ने कार्यक्रम का शुभारंभ किया । साथ ही साधक ने.. देखो इस बार, हर हाल, होली नहीं रहे ठिठोली.. रचना प्रस्तुत की। शिव दाधीच ने वीरों के गुण गान लिखे तो कलम तुम्हारी सबसे बेहतर… लीलाधर सोनी ने कोई गेलो कैवै कोई पगलो, म्हें हूं बीकाणे रौ छैलो… कृष्णा वर्मा ने फागणिये री धूम माचगी, देखो च्यारुं खानी.. राजकुमार ग्रोवर ने जो फूल खिला है डाली पर निश्चय ही मुरझाएगा.. हरि किशन व्यास ने मेरा गोपाल गिरधारी रंगीला रसीला होली पर शानदार लहजे में रचना सुनाई। राजू लखोटिया,पवन कुमार चढ्ढा, मधुसूदन सोनी, इसरार हसन कादरी, भवानी सिंह आदि गणमान्य महानुभाव उपस्थित रहे। संचालन बाबूलाल बमचकरी ने किया जबकि आभार रामेश्वर साधक ने ज्ञापित किया।

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