राष्ट्रीय कवि चौपाल की 527वीं कड़ी तुलसीदास जी को समर्पित

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डॉ. हरिदास हर्ष ‘साहित्य सम्मान’ से नवाज़े गए
बीकानेर, 3 अगस्त . स्वास्थ्य एवं साहित्य संगम राष्ट्रीय कवि चौपाल की 527वीं कड़ी आज महाकवि तुलसीदास जी की जयंती पर उन्हें समर्पित की गई। इस महत्वपूर्ण कड़ी की अध्यक्षता कवि कमल किशोर पारीक ने की, जिसमें हिंदी एवं राजस्थानी भाषा के वरिष्ठ कवि डॉ. हरिदास हर्ष मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित रहे। उर्दू शायर शकील ग़ौरी विशिष्ट अतिथि थे।
डॉ. हरिदास हर्ष का सम्मान
राष्ट्रीय कवि चौपाल के क़ासिम बीकानेरी ने बताया कि सम्मान के क्रम में अतिथियों और संस्था प्रतिनिधियों द्वारा डॉ. हरिदास हर्ष को शॉल, माल्यार्पण और श्रीफल भेंट कर सम्मानित किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे कमल किशोर पारीक ने कहा कि डॉ. हरिदास हर्ष की समृद्ध साहित्य साधना का सम्मान करके राष्ट्रीय कवि चौपाल ने एक अनुकरणीय उदाहरण पेश किया है। विशिष्ट अतिथि शकील ग़ौरी ने संस्था की सराहना करते हुए कहा कि समय-समय पर साहित्यकारों का सम्मान करके यह संस्था उनका हौसला बढ़ा रही है, जिसके लिए सभी पदाधिकारी साधुवाद के पात्र हैं।

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तुलसीदास जी के कृतित्व और डॉ. हर्ष की कविता
मुख्य अतिथि के रूप में डॉ. हरिदास हर्ष ने महाकवि तुलसीदास जी के व्यक्तित्व और कृतित्व पर अपने विचार रखे। उन्होंने कहा कि तुलसीदास जी ने जो रचा वह अमर हो गया। डॉ. हर्ष ने बीकानेर की समृद्ध साहित्य परंपरा और वरिष्ठ साहित्यकारों के योगदान को भी रेखांकित किया। उन्होंने अपनी कविता की इन पंक्तियों से श्रोताओं को गंभीर चिंतन करने पर मजबूर कर दिया:”बीत गया जीवन संघर्ष करते-करते, झांक रहा अतीत में कुंठित सा अंतर्मन।”कमल किशोर पारीक और शकील ग़ौरी ने भी बतौर अतिथि रचना पाठ किया और श्रोताओं से भरपूर वाहवाही लूटी।

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रचनाकारों की प्रस्तुति और कार्यक्रम का समापन
इस अवसर पर नगर के एक दर्जन से अधिक रचनाकारों ने अपनी रचनाओं का प्रस्तुतीकरण कर कार्यक्रम को सफल बनाया। इनमें शायर क़ासिम बीकानेरी, कवि शिव दाधीच, हास्य कवि बाबू बमचकरी, कैलाश टाक, कृष्णा वर्मा, डॉ. कृष्णलाल बिश्नोई, मनमोहन कपूर, राजकुमार ग्रोवर, सिराजुद्दीन भुट्टा और पवन चढ़ा शामिल थे, जिन्होंने कविता पाठ करके श्रोताओं से भरपूर दाद हासिल की। कार्यक्रम में महेश हर्ष, डॉ. तुलसीराम मोदी, परमेश्वर सोनी जैसे अनेक श्रोता उपस्थित थे। कृष्णा वर्मा ने सरस्वती वंदना से कार्यक्रम का आग़ाज़ किया। संचालन बाबू बमचकरी ने किया, जबकि आभार ओमप्रकाश भाटी ने ज्ञापित किया।

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