चेन्नई में जैन श्वेताम्बर तेरापंथी सभा ने ‘ज्ञानशाला दिवस-2025’ मनाया

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चेन्नई, 13 अगस्त । जैन श्वेताम्बर तेरापंथी सभा, चेन्नई के अंतर्गत, ज्ञानशाला दिवस-2025 का आयोजन देशभर में एकरूपता के साथ किया गया. चेन्नई में श्री जैन श्वेताम्बर तेरापंथी सभा के तत्वावधान में यह कार्यक्रम तीन स्थानों पर मनाया गया.
साहूकारपेट में ज्ञानशाला दिवस समारोह
तेरापंथ भवन, साहूकारपेट में साध्वीश्री उदितयश जी ठाणा 4 के पावन सान्निध्य में यह कार्यक्रम दो सत्रों में संपन्न हुआ.
पहला सत्र: प्रशिक्षकों और ज्ञानार्थियों द्वारा गीतिका और मंचीय प्रस्तुतियाँ दी गईं।
दूसरा सत्र: इसमें ’25 बोल’ और अन्य धार्मिक प्रतियोगिताओं के माध्यम से ज्ञानार्थियों का ज्ञानवर्धन और मनोरंजन किया गया।
कार्यक्रम का शुभारंभ मंगलाचरण से हुआ. साध्वी श्री उदितयशा जी ने अपने मंगल उद्बोधन में प्रेरणा देते हुए कहा कि जीवन को सजाने और संस्कारों को पाने के लिए ज्ञानशाला एक महत्वपूर्ण माध्यम है. उन्होंने अभिभावकों को बच्चों की परवरिश के संबंध में भी सारगर्भित संदेश दिए. सभा के अध्यक्ष अशोक खतंग ने स्वागत भाषण में ज्ञानशाला परिवार को बधाई दी और कार्यक्रम के प्रति शुभकामनाएं व्यक्त कीं. सभा के मंत्री श्री गजेंद्र खांटेड का कार्यक्रम संचालन में पूर्ण सहयोग रहा.

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ज्ञानशाला की भूमिका और प्रदर्शन
ज्ञानशाला प्रभारी राजेश सांड ने सभी प्रशिक्षकों और अभिभावकों को धन्यवाद देते हुए कहा कि उनके सहयोग, समर्पण और सेवा भाव से ही चेन्नई की ज्ञानशाला इतनी समृद्ध है. उन्होंने ज्ञानार्थियों को तेरापंथ समाज और धर्मसंघ की नींव बताया, और कहा कि उनकी शक्ति ही प्रेरणा है. ज्ञानशाला की प्रशिक्षिकाओं ने सुमधुर गीतिका प्रस्तुतियाँ दीं. मंचीय प्रस्तुति में, ज्ञानार्थियों ने ‘आओ ज्ञानशाला’ गीत की संयुक्त प्रस्तुति दी. इसके अतिरिक्त, उन्होंने नाटक के माध्यम से जैन धर्म के विभिन्न चरित्रों का प्रभावी चित्रण किया, जिसे उपस्थित जनसमुदाय से खूब सराहना मिली.

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व्यवस्था और सहभागिता
कार्यक्रम का संयोजन और संचालन साध्वी श्री संगीतप्रभा जी ने किया. व्यवस्था पक्ष में ज्ञानशाला के कर्मठ कार्यकर्ता नीरज गोगड़, देवेंद्र सुराणा, मनोज सेठिया, कमलेश सिंघवी आदि का पूर्ण सहयोग रहा। कार्यक्रम में श्रावक समाज की गरिमामयी उपस्थिति के साथ ज्ञानशाला सह-प्रभारी अनिल बोथरा भी उपस्थित थे. चेन्नई क्षेत्र की कुल 25 ज्ञानशालाओं में से 12 शाखाओं के 188 ज्ञानार्थियों और 78 प्रशिक्षकों ने इस आयोजन में भाग लिया. कार्यक्रम के अंत में साध्वीवृंद के चेहरों पर खिली मुस्कान इस बात का प्रमाण थी कि यह आयोजन अत्यंत सफल और मनोरंजक रहा.

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