राजस्थान में MiG-21 की आखिरी उड़ान, एक युग का अंत



बीकानेर, 26 अगस्त। भारतीय वायुसेना के सबसे प्रतिष्ठित लड़ाकू विमानों में से एक, MiG-21, ने राजस्थान के बीकानेर स्थित नाल एयरबेस से अपनी अंतिम उड़ान भरी। एयरचीफ मार्शल अमर प्रीत सिंह ने इस ऐतिहासिक उड़ान को अंजाम दिया। यह विमान लगभग छह दशकों तक भारतीय सीमाओं की रक्षा करने के बाद अब सेवा से रिटायर हो रहा है। विंग कमांडर जयदीप सिंह ने बताया कि भारतीय वायुसेना में शायद ही कोई ऐसा पायलट होगा जिसने इस विमान को न उड़ाया हो। यह विमान 1971 के युद्ध में अपनी निर्णायक भूमिका और 2019 में बालाकोट स्ट्राइक के बाद पाकिस्तानी F-16 को मार गिराने के लिए जाना जाता है।




MiG-21 का गौरवशाली इतिहास


- 1963 में शामिल: MiG-21 को 1963 में भारतीय वायुसेना में शामिल किया गया था।
- 1971 का युद्ध: 1971 के युद्ध में इस विमान ने ढाका में पाकिस्तानी गवर्नर के आवास पर हमला कर पाकिस्तान को आत्मसमर्पण के लिए मजबूर किया था।
- US के F-16 को मार गिराया: बालाकोट स्ट्राइक के बाद, विंग कमांडर अभिनंदन वर्धमान ने इसी MiG-21 बाइसन से अमेरिका द्वारा निर्मित पाकिस्तानी F-16 को मार गिराया था।
- सबसे लंबा सेवा काल: MiG-21 को दुनिया का सबसे लंबा सेवा देने वाला सुपरसोनिक जेट माना जाता है।
‘उड़ता ताबूत’ क्यों कहा गया?
MiG-21 का रिकॉर्ड शानदार रहा है, लेकिन पिछले कुछ दशकों में हुए हादसों ने इसकी प्रतिष्ठा को नुकसान पहुँचाया। पिछले 60 सालों में 400 से अधिक MiG-21 विमान दुर्घटनाग्रस्त हुए, जिनमें 200 से ज्यादा भारतीय पायलट शहीद हुए। पुराने पुर्जों और रखरखाव की मुश्किलों के कारण इसे “उड़ता ताबूत” भी कहा जाने लगा।
अब स्वदेशी ‘तेजस’ लेगा इसकी जगह
MiG-21 के रिटायर होने के बाद, अब इसकी जगह स्वदेशी हल्के लड़ाकू विमान तेजस (LCA) और अन्य आधुनिक विमान जैसे राफेल और सुखोई-30 लेंगे। रक्षा मंत्रालय ने 83 तेजस एमके-1ए जेट की खरीद के लिए 48,000 करोड़ रुपये का सौदा किया है, और मार्च 2026 तक छह विमानों के मिलने की उम्मीद है। तेजस एक विश्वस्तरीय विमान है जो उच्च जोखिम वाले हवाई क्षेत्रों में भी उड़ान भरने में सक्षम है।